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भारत की भौगोलिक स्थिति और दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना (चीन और पाकिस्तान) ऐसी है कि उसे हमेशा अलर्ट रहना होगा. मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से एडवांस और बहुआयामी क्षमता वाले फाइटर जेट्स की जरूरत है. यही वजह है कि भारत न केवल घरेलू परियोजनाओं जैसे AMCA पर काम कर रहा है, बल्कि रणनीतिक साझेदारों से भी आधुनिक तकनीक हासिल करने की कोशिश में है.
रूस की तरफ से प्रस्तावित Su-57E और Su-35M ने भारत के इसी प्रयास को नया आयाम दे सकते हैं. Su-57E एक 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है, जबकि Su-35M एक उन्नत 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है.
रूस की स्टेट कंपनी Rostec और Sukhoi की तरफ से भारत को जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें Su-57E का एक्सपोर्ट वर्जन, जिसमें स्टील्थ टेक्नोलॉजी, सुपरसोनिक स्पीड और मल्टीरोल ऑपरेशन की सुविधा शामिल है.
रूस की स्टेट कंपनी सोर्स कोड और निर्माण अधिकार भी दे सकती है. इसकी मदद से भारत अपने अनुकूल तकनीकी सुधार कर सकेगा. Su-35M की तुरंत डिलीवरी देने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे भारतीय वायुसेना को तुरंत ऑपरेशनल बढ़त मिलेगी.
Su-57E फाइटर जेट को विशेष रूप से स्टील्थ ऑपरेशन, इंटरनल वेपन वे और 3D थ्रस्ट वेक्टरिंग के लिए डिजाइन किया गया है. यह बिना आफ्टरबर्नर के मैक 1.6 तक की गति बनाए रख सकता है और अधिकतम गति मैक 2 (2450 किमी/घंटा) तक जा सकती है.
Su-57E फाइटर जेट में R-77M एयर-टू-एयर मिसाइल, Kh-69 क्रूज़ मिसाइल और GROM ग्लाइड बम मुख्य हथियार के रूप में काम करता है.
रूस के फाइटर जेट भारतीय मिसाइल सिस्टम जैसे ब्रह्मोस, रुद्रम और अस्त्र के साथ भी इंटीग्रेट किया जा सकता है. इसके डेटा लिंक सिस्टम के जरिए अन्य विमानों और कंट्रोल रूम से रियल टाइम कम्युनिकेशन भी संभव है.
F-35 जहां अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, वहीं उस पर अमेरिकी नियंत्रण सख्त है. भारत के लिए सबसे बड़ा फायदा Su-57E के साथ यह है कि वह इसमें अपना सॉफ़्टवेयर और मिसाइल सिस्टम शामिल कर सकता है, जो रणनीतिक स्वतंत्रता देता है.
Published at : 08 Jul 2025 07:30 AM (IST)
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