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Pakistan army chief asim Munir tribute to caption karnal sher khan martyr refued to accept body Indian army Kargil war 1999

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Pakistan Army Involvement in Kargil: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार (6 जुलाई, 2025) को कारगिल युद्ध में मारे गए कैप्टन करनल शेर खान की 26वीं पुण्यतिथि पर उन्हें सच्चा देशभक्त और बहादुर सिपाही बताते हुए श्रद्धांजलि दी. पाकिस्तान में उन्हें शौर्य और बलिदान का प्रतीक माना जाता है. हालांकि, कारगिल युद्ध के दौरान जब भारत ने उनकी लाश टाइगर हिल (द्रास सेक्टर) में बरामद की थी, तब पाकिस्तान ने न केवल उनकी पहचान स्वीकारने से इनकार किया था, बल्कि यह भी माना था कि वहां उसके ‘रेगुलर आर्मी’ के सैनिक ही नहीं थे.

भारत ने 1999 में किया था खुलासा

15 जुलाई 1999 को भारतीय दूतावास, वॉशिंगटन द्वारा जारी प्रेस रिलीज में बताया गया था कि पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध में अपनी सेना की भागीदारी को पूरी तरह नकार दिया था. जब भारत ने शेर खान के शव से मिले दस्तावेजों के आधार पर उनकी पहचान की और पाकिस्तान से संपर्क किया तो पाक अधिकारियों ने पहले इसे मानने से इनकार कर दिया.

भारत ने की थी शव लौटाने की पेशकश, लेकिन पाक ने नकारा

TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कारगिल युद्ध के दौरान मारे गए पाकिस्तानी सैनिक कैप्टन करनल शेर खान के शव को लेकर भारत ने 12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान से संपर्क किया था. भारत ने साफ कहा था कि वह यह शव पाकिस्तान की सेना को सौंपना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान ने इससे इनकार कर दिया.

वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया, “यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान को इन शवों की पहचान के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करना चाहता क्योंकि इससे उनकी सेना की कारगिल में संलिप्तता सामने आ जाएगी.” भारतीय दूतावास ने आगे कहा, “इस सच्चाई को न मानकर पाकिस्तान न सिर्फ अपने सैनिकों के परिवारों के साथ अन्याय कर रहा है, बल्कि पूरे विश्व की सैन्य परंपराओं का भी अपमान कर रहा है.”

पाकिस्तान ने नहीं मानी सैनिकों की पहचान

करगिल युद्ध के दौरान मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के शव को लेकर भारत से संपर्क करने से इनकार करने के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संस्था रेड क्रॉस (ICRC) से मदद मांगी थी. 13 जुलाई 1999 को ICRC ने भारत सरकार से संपर्क किया और बताया कि पाकिस्तान सरकार चाहती है कि भारत उन दो अधिकारियों के शव उन्हें सौंप दे जिनके बारे में उन्होंने सुना है.

भारतीय दूतावास ने क्या कहा?

भारतीय दूतावास ने बताया कि पाकिस्तान ने ICRC को भेजे अनुरोध में मारे गए दो अधिकारियों के नाम और पहचान की जानकारी नहीं दी, जबकि वे जानते थे कि ये कौन हैं. दूतावास के अनुसार, “पाकिस्तान ने जानबूझकर शवों की पहचान नहीं मानी क्योंकि अगर वे इन अधिकारियों की पहचान स्वीकार कर लेते तो यह साबित हो जाता कि करगिल में पाकिस्तान सेना शामिल थी.”

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