नंबी नारायणन की जीवनी | Nambi Narayanan Biography Hindi

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टॉर्चर के दौरान 30 घंटे खड़ा रखा गया, गले और नाक पर वार किए, सिर पर चोट पहुंचाई गई, गालियां दी, मैंटल टॉर्चर किया वो अलग, भारत की सुरक्षा सर्वोपरी है, लेकिन देश की तरक्की और सुरक्षा के लिए अपना जीवन लगा देनेवाला सायंटिस्ट ये सब डिजर्व नहीं करता था, और लगे हुए आरोपों में रत्ति भर सच्चाई थी तो सिस्टम साबित क्यों नहीं कर पाया, इस लिए निष्कर्ष यही निकलता है कि निर्दोष “नंबी” के साथ बुरा हुआ.
वर्ष 2012 में हाई कोर्ट ने कहा की नंबी नारायणन को जो जूठा मुकद्दमा झेलना पड़ा, उसके लिए केरला राज्य सरकार उसे 10 लाख का मुआबजा दे, लेकिन स्टेट गवर्नमेंट ने बेशर्मी दिखाते हुए, कोर्ट का मान भी नहीं रखा.
केंद्र, फिल्मजगत और मीडिया नंबी के सपोर्ट में आ गए
वर्ष 2017 में उनकी ऑटोबायोग्राफी “Ormakalude Bhramanapatham” रिलीजी हुई, जिसमें इस किस्से को वर्णित किया गया. इस देशद्रोही के केस में 5 अन्य लोगों पर गाज गिरी थी, डी. शशिकुमारन, एस. के. शर्मा (ISRO के एक ठेकेदार), रशियन स्पेस एजेंसी के ऑफिसर के. चंद्रशेखर और मालदीव की 2 महिलाऐं फौज़िया हसन और मरियम रशीदा.
वर्ष 2018 में चीफ जस्टिस “दीपक मिश्रा” द्वारा लीड की जा रही बैंच ने कहा, हम पीड़ित नंबी नारायणन को सीधे मुआबजा देने की हिदायत देते हैं, की स्टेट गवर्नमेंट कॉन्सपिरेसी करने वाले ऑफिशल्स की प्रॉपर्टी बिकवा कर रकम वसूले. उनकी वजह से वादी को पीड़ा हुई है, अब वो लोग ही अपनी संपत्ति बेच कर भरपाई करे.
Lesser Known Facts (नंबी नारायणन)
नंबी नारायणन की व्यथा : मेरी पत्नी ऑटो से उतार दी जाती है क्यों की मेरे ऊपर पाकिस्तान के लिये मुखबिरी करने के आरोप थे.
लोग मुझे गद्दार और देशद्रोही पुकार रहे थे, घर पर पत्थर फेंके रहे थे, पता नहीं कब बेकाबू भीड़ अंदर घुस कर हमें मार दे, वो मंज़र याद कर के आज भी मेरी रूह कांप जाती है.
मेरे बच्चे खौफ़ में जिए, मेरी पत्नी गहरे तनाव में चली गई, उसने बोलना तक बंद कर दिया, बरसों की मेरी कमाई इज़्ज़त मिट्टी में मिल गई, शरीर, मन और आत्मा से मैं टूट गया.
सच्चाई की जीत हुई…केरला सरकार को लगी फटकार
अंत में न्याय हुआ, केरला सरकार को अपने लचर सिस्टम के कारण नंबी नारायणन को 75 लाख रुपयों का हर्जाना देना पड़ा, इस निर्दोष वैज्ञानिक ने कानूनी लड़ाई करीब दो दशकों तक लड़ी, यह आदेश जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनाया था.
सायंटिस्ट नंबी नारायणन से जुड़ा विवाद “संक्षिप्त में”
बंटवारे के बाद से ही भारत-पाक रिश्ते अच्छे नहीं रहे. ऐसे में अगर किसी वैज्ञानिक पर खुफिया जानकारी-दस्तावेज दुश्मन देश को बेचने या मदद मुहैया कराने का आरोप लगे, तो परिणाम गंभीर ही होंगे.
वर्ष 1994 में नंबी पर कुछ ऐसे ही संगीन आरोप लगे, एजेंसिज ने उन्हें 50 दिन अरेस्ट कर के गहन पूछताछ की, लेकिन 2 साल बाद वर्ष 1996 में CBI ने सारे आरोप गलत पाए.
फिर वर्ष 1998 में सुप्रिम कोर्ट ने भी कहा कि नंबी नारायणन का कोई पाकिस्तान कनेक्शन नहीं है वे, पूरी तरह से निर्दोष है.
पूछताछ के दौरान नंबी को फिजिकली, इमोशनली और मेंटली टॉर्चर किया गया था, जिसके लिए 2 ऑफिशल्स के विरुद्ध इस वैज्ञानिक ने कोर्ट में पिटिशन भी फाइल किया था, के उन्हें जानबूझ कर जुठे केस में फ्रेम किया गया है.
उपलब्धियां और सम्मान

वर्ष 2019 में नंबी नारायणन को भारत का तीसरा सर्वोच्च सम्मान “पद्मभूषण” मिला, (पूर्व भारतीय प्रेसीडेंट रामनाथ कोविंद के हाथों से).
उनकी कहानी को Bollywold ने भी चित्रित किया है, वर्ष 2018 में साऊथ के एक्टर R. Madhvan नंबी नारायणन का रोल निभाने की हामी भरते हैं, Film का नाम The Rocketry: The Namby Effect रखा जाता है, जिसे 1 जुलाई 2022 को सिनेमाघरो में प्रकाशित किया जाता है, आज देश-दुनियां जानते हैं कि नंबी कौन है और उसने क्या सहा था और देश के लिए उ का क्या योगदान रहा है.
QNA (नंबी नारायणन की लाइफ स्टोरी)
Q – नंबी नारायणन कौन है?
A – वे भारत के प्रसिद्ध “ऐरोस्पेस इंजीनियर” है.
Q – नंबी नारायणन की जीवनी पर बनी फिल्म का नाम क्या था? उसमें Hero कौन थे?
A – फिल्म का नाम “रॉकेट्री: द नांबी इफ़ेक्ट” था और
साऊथ के एक्टर R.madhvan नायक बने थे.
Q – भारत सरकार की तरफ से नंबी नारायणन को कौनसा सम्मान मिला है?
A – वर्ष 2019 में Govt of India ने उन्हें “पद्मभूषण” अवार्ड दिया है. यह सम्मान उन्हें तब के भारतीय प्रेसीडेंट रामनाथ कोविंद के हाथों मिला.
Q – नंबी नारायणन के पेरेंट्स का नाम बताएं?
A – उनके पिता का नाम सी. वन्निया पेरुमल था, और उनकी माँ का नाम एस. थंगम्माल था.
Q – वैज्ञानिक नंबी नारायणन ISRO संस्था से कब जुड़े थे?
A – वे वर्ष 1966 में Indian Space Research Organisation (ISRO) से जुड़े थे.
Q – नंबी नारायणन पर कौनसा गंभीर आरोप लगा था?
A – उनपर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने और उन्हें ख़ुफ़िया दस्तावेज मुहैया कराने का संगीन आरोप लगा था, जो गलत साबित हुआ.
Q – नंबी नारायणन ने कितने वर्ष ISRO में सेवाएं दी?
A – उन्होंने 35 वर्ष ISRO में सेवाएं दी है और सतीश धवन, यू.आर. राव, विक्रम साराभाई और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों के साथ काम किया.
Q – नंबी नारायणन के साथ और किस वैज्ञानिक पर ISRO की खुफिया जानकारियां पाकिस्तान को बेचने का आरोप लगा था?
A – नंबी नारायणन और शशिकुमारन पर ISRO के कोफिडेंशल डॉक्युमेंट्स पैसे ले कर बेचने का आरोप लगा था.
Q – नंबी नारायणन ने क्या पढाई की है?
A – वे एरोस्पेस इंजिनयरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं.
Q – नंबी नारायणन की एक प्रसिद्ध शोध बताएं?
A – उन्होंने वर्ष 1970 में लिक्विड फ्यूअल रॉकेट टेक्नोलॉजी की शोध की है.
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