Uttar Pradesh Samachar: संसद भवन के पास स्थित मस्जिद में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी सांसदों की बैठक को लेकर सियासत गरमा गई है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सवाल खड़े किए हैं और कहा कि, “क्या मस्जिद को सपा का नया पार्टी कार्यालय बना दिया गया है?” इस तस्वीर में अखिलेश यादव मस्जिद के भीतर सपा सांसदों के साथ नजर आ रहे हैं जिनमें रामपुर के सांसद और मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी भी शामिल हैं। मामला सामने आते ही बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने इसे धर्मस्थल के दुरुपयोग का मामला बताया और ऐलान किया कि 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
क्या है BJP का आरोप?
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दकी ने कहा, “मस्जिदें आस्था की जगह होती हैं ना कि राजनीतिक बैठकों का मंच। अखिलेश यादव ने मस्जिद को राजनीतिक गतिविधियों का अड्डा बना दिया है।” इस पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि, “बीजेपी चाहती है कि लोग एक-दूसरे से जुड़ें नहीं इसलिए मेरे मस्जिद जाने को मुद्दा बना रही है। आस्था जोड़ने का काम करती है लेकिन बीजेपी सिर्फ बांटने का काम करती है।” उन्होंने आगे कहा, “हम सभी धर्मों में आस्था रखते हैं। अब क्या मंदिर और मस्जिद में जाने के लिए भी बीजेपी से परमिशन लेनी पड़ेगी?”
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वक्फ बोर्ड ने भी जताई नाराजगी
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा, “मस्जिदें इबादत की जगह होती हैं, ना कि सियासी बैठकों की। यह मुसलमानों की भावनाओं को आहत करता है। अखिलेश यादव को इस पर माफी मांगनी चाहिए।”
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि, संसद भवन के ठीक बगल में स्थित मस्जिद में अखिलेश यादव ने बीते दिन सपा सांसदों के साथ कथित तौर पर एक बैठक की थी। तस्वीर सामने आने के बाद बीजेपी ने इसे सियासी मुद्दा बना दिया और आरोप लगाया कि सपा ने मस्जिद को पार्टी दफ्तर बना दिया है। विरोध में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा 25 जुलाई को उसी मस्जिद के बाहर प्रदर्शन करेगा।
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