Tunnel: Telangana में निर्माणाधीन SLBC सुरंग में हादसा, राज्य सरकार के मंत्री के मुताबिक़ किसी के बचने की संभावना नहीं
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- Creator, अमरेंद्र यारलगड्डा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
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तेलंगाना में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल (एसएलबीसी) सुरंग में हादसे के बाद तेलंगाना सरकार के एक मंत्री ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, “हादसे में किसी के भी जीवित बचने की संभावना नहीं है. सेना के जवान, एनडीआरएफ़ कर्मी और राज्य सरकार के अधिकारी रविवार दोपहर घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने हालात का आकलन कर पाया कि सुरंग में फंसे किसी भी मज़दूर के ज़िंदा रहने की संभावना नहीं है. ये बहुत दुखद है.”
रविवार तड़के सुबह तीन बजे फंसे हुए मज़दूरों को रेस्क्यू करने का अभियान शुरू किया गया.
शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे सुरंग में बड़ा हादसा हुआ जिसमें आठ लोग सुरंग के भीतर फंस गए.
एसएलबीसी सुरंग का काम नागरकुरनूल ज़िले के अमराबाद मंडल के डोमलपेंटा गांव के पास चल रहा है. ये जगह श्रीशैलम प्रोजेक्ट के नज़दीक है.
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार जिस वक़्त सुरंग का काम चल रहा था, उस वक़्त रिसाव के कारण अचानक सुरंग के भीतर पानी घुस आया था.
प्रशासन ने सुरंग में फंसे आठ लोगों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं. इनमें दो उत्तर प्रदेश, चार झारखंड, एक जम्मू कश्मीर और एक पंजाब से हैं.
अधिकारियों ने लोकोमोटिव के ज़रिए सुरंग में प्रवेश किया था, ताकि उसका मुआयना किया जा सके. लोकोमोटिव एक तरह की ट्रेन होती है, जिसका इस्तेमाल सुरंग में जाने के लिए किया जाता है.
भारतीय सेना की टीम रविवार सुबह तीन बजे घटनास्थल पर पहुंच गई थी. एनडीआरएफ़, एसडीआरएफ़, फ़ायर, हाइड्रा और अन्य विभाग के सीनियर अधिकारियों ने आगे की कार्रवाई को लेकर बैठक भी की.
उन्होंने बचाव कार्य के लिए सभी तरह की मदद का आश्वासन भी दिया.
शनिवार शाम राज्य के सिंचाई मंत्री ने एक प्रेस वार्ता कर कहा कि सुरंग में फंसे आठ लोगों को बाहर निकालने के लिए सरकार हर कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ़ की मदद मांगी है.
अमराबाद मंडल के तहसीलदार मारुति ने बीबीसी को बताया कि सुरंग के अंदर आठ लोग फंसे हुए हैं, इनमें कुछ तकनीकी कर्मचारी भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि सुरंग के भीतर आठ लोग फंसे हैं. उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी हैं.”
सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि सुरंग परियोजना के 14वें किलोमीटर पर सुरंग की छत का एक हिस्सा गिर गया है.
सुरंग का काम करने के लिए शनिवार सवेरे कुछ मज़दूर और तकनीकी कर्मचारी सुरंग के भीतर गए थे.
अमराबाद के सर्किल इंस्पेक्टर ने बीबीसी को बताया, “सुरंग के भीतर लगभग 13 या 14 किलोमीटर पर काम चल रहा है. सवेरे करीब साढ़े आठ से नौ बजे के बीच हमें ख़बर मिली की सुरंग में अचानक कीचड़ और पानी निकलने लगा है. बाहर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि आठ कर्मचारी भीतर फंसे हुए हैं.”
उन्होंने बताया कि यह अभी भी स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि यह दुर्घटना कैसे हुई और सुरंग के भीतर आख़िर क्या हुआ था.
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तेलंगाना सरकार में रोड और बिल्डिंग्स मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने सुरंग दुर्घटना पर प्रतिक्रिया दी है और दुर्घटना के कारणों को समझाया है.
उन्होंने कहा, “यह दुर्घटना श्रीशैलम से देवरकोंडा तक जाने वाली सुरंग के 14वें किलोमीटर के प्रवेश द्वार (डोमलपेंटा के नज़दीक) रिसाव को ढंकने वाले कंक्रीट के टुकड़े के फिसलने के कारण हुई है.”
प्रदेश के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के कार्यालय ने कहा है कि हादसे की सूचना मिलने के बाद सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, मंत्री जुपाल्ली कृष्ण राव और दूसरे अधिकारियों को घटनास्थल जाने का आदेश दिया गया है.
मुख्यमंत्री के कार्यालय ने कहा, “सुरंग में छत गिरने और कई लोगों के घायल होने की सूचना मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत अधिकारियों को सतर्क किया है. जिला कलेक्टर, एसपी, अग्निशमन विभाग, हाइड्रॉलिक्स और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को घटनास्थल पर पहुंचकर और राहत कार्य शुरू करने का आदेश दिया गया है.”
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, सिंचाई सलाहकार आदित्य नाथ दास और अन्य अधिकारी विशेष हेलीकॉप्टर से घटनास्थल के लिए रवाना हुए.
घटनास्थल के लिए निकलने से पहले उत्तम कुमार रेड्डी ने मीडिया से बात की और इस बात की पुष्टि की कि सुरंग के भीतर पानी घुस आया है. साथ ही उन्होंने कहा कि राहत कार्य चल रहा है.
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वहीं विपक्षी भारत राष्ट्र समिति से सांसद केटी रामा राव ने सरकार पर आरोप लगाया है वो घटना को छिपाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “चार दिन पहले शुरू हुए एसएलबीसी टनल कार्य में हुई दुर्घटना पर परदा डालने की सरकार की कोशिश उनकी सोच के बारे में इशारा है.”
“ये दुर्भाग्य की बात है कि अगर दुर्घटना सुबह साढ़े आठ बजे हुई तो सरकार ने दोपहर तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया. अधिकारी इस स्थिति में हैं कि उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि कितने मजदूर भीतर फंसे हैं.”
उन्होंने कहा,” सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार का ये कहना हास्यास्पद है कि सुरंग में रिसाव था इसलिए ये हादसा हुआ. अगर रिसाव हुआ था तो उसे रोकने के लिए समय पर कदम क्यों नहीं उठाया गया?”
तेलगांना बीजेपी के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने भी बताया कि इस हादसे में कुछ लोग निर्माणाधीन सुरंग में फंस गए हैं. उन्होंने कहा,” राज्य सरकार लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार पूरी मदद के लिए तैयार है. हम इसमें पूरा सहयोग करेंगे.”
झारखंड के चार मज़दूर फंसे
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झारखंड के गुमला ज़िले के संतोष साहू, संदीप साहू, अनुज साहू और जगत खेस भी सुरंग में फंसे हैं.
संदीप साहू गुमला ज़िले के पालकोट प्रखंड के उमरा गांव के रहनेवाले हैं. बीते साल सितंबर माह में वो तेलंगाना मज़दूरी करने गए थे.
बीबीसी हिंदी के सहयोगी पत्रकार आनंद दत्त से बात करते हुए उनकी बहन संदीपा देवी ने बताया कि गुरूवार रात को आखिरी बार संदीप से बात हुई थी. शुक्रवार शाम से संदीप का फ़ोन लगातार स्विच ऑफ जा रहा है.
संदीपा देवी ने कहा, “मेरे गांव से 30 से अधिक लोग तेलंगाना मज़दूरी करने गए हैं. उन्हीं में से एक फूलचंद साहू ने मेरे पिता जीतू साहू को फोन कर घटना की जानकारी दी. मेरी मां बिरसमुनी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है. हम बस उम्मीद कर रहे हैं कि मेरा भाई किसी तरह बच कर आ जाए.”
संदीप के परिवार में माता, पिता और बहन के अलावा एक भाई अर्जुन साहू भी है. पिता खेती और मजदूरी करते हैं. संदीप को प्रतिमाह 15000 रुपया मिलता था.
संदीपा के मुताबिक झारखंड सरकार के लोग उनके घर आकर हाल चाल लिए हैं. लेकिन तेलंगाना सरकार की तरफ से किसी ने अभी तक संपर्क नहीं किया है.
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जगत खेस भी गुमला ज़िले के रायडीह प्रखंड के कोवीटोली गांव के रहने वाले हैं. वो 45 साल के हैं. बीते साल जुलाई महीने में वह मजदूरी करने गए हैं.
घर में मां मंगरी देवी हैं, जो 90 साल से अधिक की हैं. वो सुन नहीं सकती हैं. हालांकि परिजनों ने उन्हें घटना के बारे में जानकारी दे दी है. उनके अलावा दो भाई सीताराम खेस और विक्रम खेस हैं. दोनों ही मजदूरी करते हैं.
जगत खेस की भांजी मुक्ता मनी खलखो ने बीबीसी को बताया, “रायडीह थाने की पुलिस पूछताछ करने घर आई थी. उन्होंने बताया कि घटना के संबंध में कोई और जानकारी मिलती है तो वो आकर बताएंगे. इसके अलावा परिजनों के पास कोई और जानकारी उपलब्ध नहीं है.”
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अनुज साहू गुमला ज़िले के घाघरा प्रखंड के खंभिया गांव के कुंबाटोली के रहनेवाले हैं. पिता रामप्रताप साहू ने बताया कि शनिवार को गांव के ही गंदूर साहू ने फोन कर घटना की जानकारी दी. तब से अनुज की मां गायत्री देवी बार-बार बेहोश हो रही हैं.
रामप्रताप साहू कहते हैं, “तेलंगाना में जिस कंपनी के लिए वह काम करता था, उसके एक साहब ने भी फोन कर घटना की जानकारी दी है. बस इस बार किसी तरह मेरा बेटा बचकर आ जाए. अब बाहर कमाने नहीं भेजेंगे. गांव में ही मजदूरी करेगा.”
रामप्रताप साहू गांव में ही खेतिहर मजदूर हैं. उनके तीन बेटे हैं. बड़ा बेटा अरुण साहू बेंगलूरु में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है. वहीं छोटा बेटा अमर साहू पढ़ाई कर रहा है.
(झारखंड से आनंद दत्ता की अतिरिक्त रिपोर्टिंग के साथ)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित