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पूरी दुनिया में आलोचकों के निशाने पर आने के बावजूद और भारत से मार खाने के बावजूद पाकिस्तान, आतंक को वित्तपोषित करने की अपनी आदत से अभी भी बाज नहीं आ रहा है। भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में स्थित कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। अब सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि पाकिस्तान द्वारा फिर से इन आतंकी ठिकानों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है।
मुरीदके में लश्कर के मुख्यालय को फिर से बनवा रहीं पाकिस्तानी सेना और सरकार
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई 2025 को हवाई हमले कर पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और इन हमलों में सैंकड़ों आतंकी मारे गए। इन ठिकानों में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का मुरीदके में स्थित मुख्यालय भी शामिल था। भारतीय वायु सेना के हमले में मुरीदके स्थित लश्कर के मुख्यालय को भारी नुकसान पहुंचा था और वहां आंतकियों के ठहरने वाली जगह, हथियारों के भंडार गृह, ट्रेनिंग ब्लॉक आदि जगहों को भारी नुकसान पहुंचा था।
खुफिया इनपुट से हुआ खुलासा
अभी खुफिया इनपुट से पता चला है कि पाकिस्तान फिर से लश्कर ए तैयबा के मुख्यालय का पुनर्निमाण कर रहा है। पाकिस्तान की सरकार और सेना ने इसके लिए लश्कर ए तैयबा को 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये दिए हैं और आगे और भी आर्थिक मदद दी जाएगी। लश्कर के मुख्यालय के पुनर्निर्माण में करीब 15 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। लश्कर के शीर्ष आतंकी मौलाना अबु जार और यूनुस शाह बुखारी इस प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे हैं। पुनर्निर्माण के लिए 5 फरवरी 2026 की समयसीमा तय की गई है।
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लश्कर ए तैयबा के आतंकी बाढ़ पीड़ितों की मदद की आड़ में फंड भी इकट्ठा कर रहे हैं। साल 2005 में भी भूकंप राहत के लिए इकट्ठा किए गए फंड का 80 प्रतिशत पैसा आतंकी कैंप बनाने में खर्च किया गया था। वैश्विक मंचों पर भले ही पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित होने का ढोंग करता है, लेकिन मुरीदके में आतंकी ठिकानों के पुनर्निर्माण से साफ है कि वहां सेना और आईएसआई का गठजोड़ अभी भी मजबूत बना हुआ है और वहां आतंकी फंडिंग में कोई कमी नहीं आई है।
‘आईएमएफ से मिले पैसों आतंकी ठिकाने बना रहा पाकिस्तान’
आरोप है कि आईएमएफ से मिले पैसों से पाकिस्तान आतंकी ठिकानों का निर्माण कर रहा है। इसे लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘अगर यह जानकारी सही है और यह सच है, तो भारत को इसे एफएटीएफ के सामने उठाना चाहिए। अगर आईएमएफ द्वारा प्रदान दिए गए धन का उपयोग संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय के पुनर्निर्माण के लिए किया जा रहा है, तो यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। भारत सरकार को इसे एफएटीएफ के सामने प्राथमिकता के आधार पर उठाना चाहिए।’
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