Opposition Protest On Bihar SIR CEC Gyanesh Kumar asked Should EC Allow Dead Voters On List ‘क्या मरे हुए लोगों के नाम वोटर लिस्ट में होने चाहिए’, SIR विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त का विपक्ष से सवाल, India News in Hindi

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CEC ज्ञानेश कुमार ने जोर देकर कहा कि एक शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है। बिहार में SIR अभियान 25 जुलाई तक चलेगा, और इसके बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान को लेकर विपक्ष के लगातार विरोध के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने इस प्रक्रिया का पुरजोर बचाव किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग को मरे हुए मतदाताओं, डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र धारकों और विदेशी नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल करने की अनुमति देनी चाहिए। यह बयान तब आया है जब राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने SIR अभियान के खिलाफ तीखा विरोध जताया है। विपक्षी दलों का दावा है कि SIR की प्रक्रिया से 50 लाख से अधिक मतदाताओं के मताधिकार छिन सकते हैं।

SIR अभियान पर उठे सवाल

मुख्य चुनाव आयुक्त ने न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में कहा, “क्या चुनाव आयोग को मृत मतदाताओं को वोटर लिस्ट में रखने की अनुमति देनी चाहिए? क्या डुप्लिकेट वोटर आईडी वाले लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए? क्या विदेशी नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल करना चाहिए? इस पर आपत्ति क्या है?” उन्होंने जोर देकर कहा कि एक शुद्ध और सटीक मतदाता सूची लोकतंत्र की सफलता की नींव है।

विपक्ष का विरोध और संसद में हंगामा

गुरुवार को भी, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत इंडिया गठबंधन के कई सांसदों ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में संशोधन के खिलाफ संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और इसे वापस लेने के साथ-साथ दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले, कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, झामुमो, राजद और वामपंथी दलों सहित विपक्ष के शीर्ष नेता और सांसद संसद के मकर द्वार के बाहर एकत्र हुए और सरकार तथा मतदाता सूची के एसआईआर के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं, खासकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की साजिश है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और RJD नेता तेजस्वी यादव ने इस अभियान को “लोकतंत्र के खिलाफ साजिश” करार दिया।

चुनाव आयोग का आंकड़ा

चुनाव आयोग ने बुधवार को एक बयान में बताया कि SIR अभियान के तहत अब तक 56 लाख मतदाताओं को अयोग्य पाया गया है। इसमें 20 लाख मृत मतदाता, 28 लाख ऐसे मतदाता जो बिहार से बाहर चले गए हैं, 7 लाख ऐसे मतदाता जो दो जगहों पर पंजीकृत हैं, और 1 लाख ऐसे मतदाता शामिल हैं जिनका पता नहीं चल सका। CEC ने सवाल उठाया, “क्या चुनाव आयोग को ऐसे मतदाताओं को नहीं हटाना चाहिए?”

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पारदर्शी प्रक्रिया का दावा

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि SIR अभियान पूरी तरह पारदर्शी है और इसका उद्देश्य एक शुद्ध मतदाता सूची तैयार करना है। उन्होंने बताया कि बिहार के मतदाताओं ने इस अभियान में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया है और अब तक 57.48% गणना फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 2003 की मतदाता सूची में शामिल 4.96 करोड़ मतदाताओं को कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है, जबकि शेष 3 करोड़ मतदाताओं को अपनी जन्म तिथि या स्थान साबित करने के लिए 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक जमा करना होगा। उन्होंने पूछा, “क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और एक मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला नहीं है?” मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “किसी न किसी मोड़ पर, हम सभी को, और भारत के सभी नागरिकों को, राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर, इन सवालों पर एक साथ गहराई से विचार करना होगा।”

सुप्रीम कोर्ट में मामला

SIR अभियान के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं, जिनमें दावा किया गया है कि यह प्रक्रिया असंवैधानिक है और लाखों मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को अभियान जारी रखने की अनुमति दी है, लेकिन यह भी सुझाव दिया कि आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को स्वीकार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अभियान के समय पर भी सवाल उठाए, पूछा कि इसे केवल बिहार में ही क्यों लागू किया गया और इसे पूरे देश में क्यों नहीं किया गया।

विपक्ष की रणनीति

एक दिन पहले, बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने धमकी दी थी कि अगर एसआईआर प्रक्रिया नहीं रोकी गई तो वे राज्य में आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। उनके बहिष्कार वाले बयान के बारे में पूछे जाने पर, तेजस्वी ने कहा, “देखेंगे कि लोग क्या चाहते हैं और हमारे सहयोगी क्या कहते हैं।” उन्होंने पूछा, “अगर राज्य के चुनाव पक्षपातपूर्ण और जोड़-तोड़ वाले तरीके से कराए जाते हैं, जहां यह पहले से ही तय होता है कि कौन कितनी सीटें जीतेगा, तो ऐसे चुनाव कराने का क्या फायदा?”

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