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NSDL IPO: नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) अपना बहुप्रतीक्षित IPO 30 जुलाई से 1 अगस्त के बीच लॉन्च करने की योजना बना रही है। यह जानकारी इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने Moneycontrol को दी। इसका एंकर इन्वेस्टमेंट सेगमेंट 29 जुलाई को खुलेगा। कंपनी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से रजिस्टर्ड एक मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) है।
सूत्रों के अनुसार, यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) होगा। इसके जरिए कंपनी लगभग करीब 4,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना में है। हालांकि, अगर बाजार में कोई अप्रत्याशित स्थिति आती है तो लॉन्च की तारीखों में बदलाव किया जा सकता है।
16,000 करोड़ के वैल्यूएशन पर लिस्टिंग!
एक अन्य सूत्र ने बताया कि NDSL का लक्ष्य लगभग करीब 16,000 करोड़ रुपये (1.85 बिलियन डॉलर) की वैल्यूएशन पर लिस्टिंग करना है। सूत्र ने कहा कि एंकर बुक को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। इसमें देश-विदेश के बड़े म्यूचुअल फंड्स और FII हिस्सा ले सकते हैं।
5 करोड़ शेयरों की बिक्री का प्रस्ताव
17 मई को DRHP के अनुसार, इस IPO में 5,01,45,001 इक्विटी शेयरों की बिक्री का प्रस्ताव है। इसमें IDBI Bank, NSE, Union Bank of India, SBI और UTI के प्रशासक जैसे शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे।
इस इश्यू के लिए ICICI Securities, Axis Capital, HSBC Securities, IDBI Capital, Motilal Oswal और SBI Caps बुक रनिंग लीड मैनेजर्स होंगे।
SEBI के नियम और शेयरहोल्डिंग
SEBI के नियमों के अनुसार, किसी भी MII में कोई एक संस्था 15% से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकती। इस IPO से IDBI (26.01%) और NSE (24%) को अपनी हिस्सेदारी घटाने का मौका मिलेगा।
CDSL के बाद NSDL की बारी
NSDL के CEO विजय चंडोक (Vijay Chandok) हैं, जो ICICI ग्रुप के सीनियर एग्जीक्यूटिव रह चुके हैं। NSDL के पास कोई पहचान योग्य प्रमोटर नहीं है। अगर यह लिस्टिंग होती है तो यह CDSL (2017 में लिस्ट हुई) के बाद देश की दूसरी लिस्टेड डिपॉजिटरी कंपनी बनेगी।
CDSL का शेयर पिछले 5 साल में 961% बढ़ा है। इसका IPO 524 करोड़ रुपये का था। इसे 170 गुना ओवरसब्सक्राइब किया गया था।
देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी NSDL
31 दिसंबर 2024 तक NSDL भारत की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी रही है, जारीकर्ताओं की संख्या, एक्टिव इंस्ट्रूमेंट्स, सेटलमेंट वॉल्यूम में डीमैट वैल्यू और कस्टडी में रखी गई एसेट वैल्यू के आधार पर।
इसके पास 38.77 मिलियन डीमैट अकाउंट्स थे, जो 289 डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स के जरिए संचालित हो रहे थे। इसके पास 64,535 रजिस्टर्ड इश्यूअर्स हैं। इसका ऑपरेशनल रेवेन्यू प्रति निवेशक अकाउंट ₹116.60 रहा है, जो CDSL से कहीं अधिक है।
NSDL ने निभाई है बड़ी भूमिका
1996 में Depositories Act लागू होने के बाद भारत की पहली डिपॉजिटरी NSDL बनी। इसने सीधे डिमैटेरियलाइजेशन को अपनाया, जबकि वैश्विक स्तर पर पहले इम्मोबिलाइजेशन और फिर डीमैट किया जाता था। इससे स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड सेटलमेंट प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया और रोलिंग सेटलमेंट की राह खुली।
इस IPO को लेकर NSDL और NSE को भेजे गए ईमेल पर समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, IDBI बैंक ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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