सऊदी अरब में बातचीत से क्या ज़मीन पर रूस-यूक्रेन जंग रुकती दिख रही है?
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रूस और अमेरिका यूक्रेन में शांति बहाल करने के लिए सऊदी अरब में बातचीत कर रहे हैं. उधर यूरोपीय नेता और राजनयिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद ‘कठिन विकल्पों’ पर गौर कर रहे हैं.
इसमें कोई शक नहीं है कि ट्रंप की कूटनीतिक पहल ने यूरोप और अमेरिका के बीच गठबंधन में एक दरार डाल दी है. इस दरार को भरना असंभव लग रहा है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की बदले हुए अमेरिकी रुख़ से परेशान दिख रहे हैं लेकिन देश में मौजूद उनके कई आलोचकों का मानना है कि ज़ेलेंस्की को समझ लेना चाहिए था कि ये होने जा रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप ने जब दोबारा चुनाव जीता तो उन्होंने साफ़ कर दिया था कि वो अब जो बाइडन की नीतियों को आगे जारी रखने नहीं जा रहे हैं.
हालिया दौरे पर तुर्की पहुंचे ज़ेलेंस्की ने इस बात की निंदा की थी कि ‘रूसी हमले के परिणामों से प्रभावित हुए मुख्य पक्षों की पीठ के पीछे’ युद्ध को ख़त्म करने के लिए बातचीत चल रही है.
जंग के क्या हैं हालात
लेकिन ऐसा लगता है कि जंग ख़त्म करने के लिए सऊदी अरब के एयरकंडिशन कमरों में चमचमाती मेज़ों पर रूसी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से लेकर उत्तर पूर्व यूक्रेन की कड़कड़ाती ठंड तक एक लंबा रास्ता तय किया जाना बाक़ी है.
रूस से लगी सीमा में बर्फ़ से ढके जंगलों और गांवों में मिलिट्री बेस और चौकियों में यूक्रेनी सैनिक पहले की तरह ही अपने जंग लड़ने के काम में लगे हुए हैं.
सूमी के नज़दीक एक जंगल में सैन्य अड्डे के एक बंकर में मौजूद यूक्रेनी अफ़सर ने मुझसे कहा कि उनके पास ख़बरें देखने के लिए बहुत समय नहीं है. जहां तक डोनाल्ड ट्रंप के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के फ़ैसले का सवाल है, उस पर वो कहते हैं कि ये ‘सिर्फ़ शोरगुल’ है.
कमांडर का कहना था कि उन्हें सिर्फ़ ‘व्हाइट’ नाम से ही बुलाया जाए, और बहुत सारे मामले विचार करने के लिए हैं.
कूटनीतिक धमाके ने उनके राष्ट्रपति के साथ-साथ पश्चिमी नेताओं को चिंता में डाल दिया है लेकिन वो इसे नज़रअंदाज़ करते हैं. उनका मानना है कि शायद ये सही समय है जब जंग के मैदान में मौजूद अफ़सर अपने सैनिकों को वापस लड़ाई में लाने के लिए तैयार करें.
वो अब दोबारा कुर्स्क में दाख़िल होंगे ताकि रूस ने यूक्रेन से जो ज़मीन छीन ली है उस जंग में वो शामिल हों.
यूक्रेनी सैनिकों तक हमारी पहुंच इसी शर्त पर हुई थी कि हम उनकी पहचान और जगहों के बारे में जानकारी सार्वजनिक न करें. सिर्फ़ हमें ये बताने दिया गया कि हम यूक्रेन के सूमी शहर के सीमाई इलाक़े में हैं और यूक्रेन के सभी हिस्से कुर्स्क में लड़ाई जारी रख रहे हैं.
किस तरह जंग है जारी
एक गांव में स्थित छोटे से कमरे में गोला-बारूद के बक्से इस युद्ध की मारक शक्ति का ज़बरदस्त प्रदर्शन हैं.
इस घर की अलमारियों पर सैकड़ों ड्रोन हैं. ये सारे यूक्रेन में बने हैं. हर ड्रोन की क़ीमत लगभग 380 अमेरिकी डॉलर है.
कुर्स्क की जंग में भेजने के लिए कार्डबोर्ड बॉक्स में पैक करने से पहले उन्हें जांचने वाले सैनिकों ने बताया कि जब ये ड्रोन हमला करने जाते हैं तो उनका नियंत्रण एक कुशल पायलट करता है और वे एक टैंक तक को भी नष्ट कर सकते हैं.
यहाँ मौजूद एंड्रयू ऐसे ही एक ड्रोन पायलट थे. बाद में युद्ध के दौरान उनका पैर उड़ गया.
एंड्रयू ने बताया कि अमेरिका की शांति की कोशिश के बारे में उन्होंने अधिक विचार नहीं किया है लेकिन उनमें से कोई भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर रत्ती भर भरोसा नहीं करता.
कुछ घंटे पहले ही यहां से उड़े ड्रोन ने दिन के उजाले में आगे बढ़ रही एक रूसी बख्तरबंद यूनिट को नष्ट कर दिया था.
सैनिकों ने हमें उस हमले का वीडियो दिखाया. उस वीडियो में दिख रहे कुछ वाहनों पर रूसी झंडे की जगह सोवियत संघ का लाल झंडा लहराता हुआ दिख रहा था.
आम लोग क्या सोचते हैं
सुमी नाम के इस क़स्बे में दिनभर चहल-पहल रहती है. यहाँ दुकानें खुली रहती हैं और उनमें काफ़ी सामान भी भरा रहता है. लेकिन अंधेरा होते ही सड़कें लगभग सुनसान हो जाती हैं. और बीच-बीच में हवाई हमलों की चेतावनी अक्सर गूंजती रहती है.
कई घंटो तक विमान रोधी तोपों से आसमान में फ़ायरिंग होती रहती है. इस फ़ायरिंग का लक्ष्य रूसी ड्रोन होते हैं. ये ड्रोन कई बार यूक्रेन के बहुत अंदर तक पहुंच जाते हैं.
यहां कुछ ही दिन पहलें एक रूसी ड्रोन हमले में ग्यारह लोग मारे गए थे.
जिस इमारत को रूसी ड्रोन ने निशाना बनाया था वह सोवियत काल के दौरान बनाई गई थी. उस क्षतिग्रस्त और असुरक्षित इमारत के बगल में रहने वाले लोग अभी भी बिना परवाह किए अपनी आम ज़िंदगी जी रहे हैं.
यहां रहने वाले 50 वर्षीय माइकोला से मैंने पूछा कि यूक्रेन में शांति के बारे में डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों के बारे में वे क्या सोचते हैं?
उन्होंने कहा, “हमें शांति चाहिए क्योंकि युद्ध का कोई मतलब नहीं है. युद्ध से कुछ हासिल नहीं होता. अब तक रूस ने जितने इलाक़े पर कब्ज़ा किया है उस हिसाब से तो उसे कीएव पहुंचने के लिए 14 साल तक जंग लड़नी होगी. इस लड़ाई से सिर्फ़ आम लोग पीड़ित हो रहे हैं. इसे ख़त्म करने की ज़रूरत है.”
लेकिन मिकोला का मानना है कि ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के बिना पुतिन और ट्रंप के एकसाथ बैठने से कोई सार्थक समझौता नहीं हो पाएगा.
यहां रहने वाली 33 वर्षीय यूलिया, अपने कुत्ते को टहलाने के लिए बाहर निकली हैं. जब रूसी ड्रोन ने इमारत पर हमला किया था तो वह घर के भीतर ही थीं.
यूलिया बताती हैं, “हमला आधी रात के बाद हुआ. हम बस सोने जा रहे थे तभी हमने एक ज़ोरदार धमाका सुना. हमने अपनी खिड़की से एक बहुत बड़ी लाल चमक देखी. यह सब बहुत डरावना था.
मुझे याद है कि एक महिला खिड़की से बाहर झांकते हुए मदद के लिए चिल्ला रही थी. बाद में उसे बचा लिया गया.”
यूलिया का मानना है कि दोनों देशों के बीच शांति संभव है. वो कहती हैं, “लेकिन पहले रूस को हम पर बमबारी बंद करनी होगी, तभी शांति संभव है. पहले उन्हें ही ये करना होगा क्योंकि जंग की शुरुआत भी उन्होंने ही की है.”
और फिर वो कहती हैं, “बेशक, आप पुतिन पर भरोसा नहीं कर सकते.”
जंग जारी रखें या शांति समझौता?
70 वर्षीय बोरिस सेवानिवृत्त कर्नल हैं जिन्होंने सोवियत सेना में 30 साल नौकरी की है. बोरिस बताते हैं कि अब उनका बेटा और पोता दोनों यूक्रेन के लिए लड़ रहे हैं.
बोरिस ने बीबीसी को बताया, “शांति संभव है लेकिन मैं वास्तव में मुझे शांति में कोई यक़ीन नहीं है. मुझे लगता है कि यूक्रेन को इंसाफ़ चाहिए.”
“जब तक पुतिन सत्ता में है, आप रूसियों पर भरोसा नहीं कर सकते. क्योंकि रूसी लोग पुतिन पर बहुत भरोसा करते हैं. आप उन्हें नहीं बदल सकते. उन्हें बदलने में वक़्त लगेगा.”
तो फिर जवाब क्या है – लड़ाई जारी रखें या शांति समझौता?
इस पर वो कहते हैं, “यूक्रेन को शांति के बारे में सोचना चाहिए. लेकिन हमें आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए. मुझे इसका कोई मतलब नहीं दिखता. हम तब तक लड़ते रहेंगे जब तक कुछ हासिल नहीं कर सकते. ऐसा लगता है कि यूरोप हमारी मदद करने के लिए तैयार है. ऐसे में आत्मसमर्पण करने का कोई मतलब नहीं है.”
डोनाल्ड ट्रंप इस बात से आश्वस्त लगते हैं कि एक रियल एस्टेट सौदे के सिद्धांतों को युद्ध ख़त्म करने के लिए लागू किया जा सकता है. लेकिन उन्हें पता चलेगा कि शांति क़ायम करना, युद्ध विराम कराने और यह तय करने से कहीं अधिक जटिल है कि कौन-सा पक्ष कितनी ज़मीन पर काबिज़ रहेगा.
राष्ट्रपति पुतिन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन की संप्रभुता को तोड़ना चाहते हैं और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में क़ायम रहने की यूक्रेन की क्षमता को नष्ट करना चाहते हैं.
चाहे यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को राष्ट्रपति ट्रंप के साथ इन वार्ताओं में हिस्सा लेने का अवसर मिले या नहीं, वो पुतिन के इन इरादों को कभी नहीं मानेंगे.
एक स्थाई शांति क़ायम करने का रास्ता काफ़ी लंबा और धीमा होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.