WPL: महिला क्रिकेटरों को पुरुषों के मुकाबले कई गुना कम पैसे मिलने की वजह क्या है?
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जब 29 वर्षीय क्रिकेटर सजना सजीवन 23 फरवरी 2024 को बल्लेबाजी करने उतरीं, उनके लिए इससे बड़ा दिन कोई और हो ही नहीं सकता था.
यह महिला प्रीमियर लीग के दूसरे सीजन का पहला मैच था, जो दुनिया की सबसे बड़ी टी20 टूर्नामेंट, इंडियन प्रीमियर लीग का महिला संस्करण है.
सजना पहली बार डब्ल्यूपीएल में खेल रही थीं. उन्हें अपनी टीम को मैच जिताने के लिए आखिरी गेंद में छह रन चाहिए थे.
उन्होंने वहीं किया. उन्होंने आखिरी गेंद में छ्क्का जड़कर अपनी टीम को जीत दिलाई.
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सजना केरल राज्य के एक साधारण परिवार से आती हैं. उनके पिता एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर और मां स्थानीय नगर निकाय में काम करती हैं.
कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान उनका परिवार घर का ख़र्च चलाने के लिए संघर्ष कर रहा था. डब्ल्यूपीएल में अपने शानदार प्रदर्शन के कारण वह सुर्खियों में छा गई थीं.
उन्होंने हाल ही में मुंबई में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “डब्ल्यूपीएल की वजह से मुझे भारत के लिए खेलने का मौका मिला. इसने मुझे यह जानने का प्लेटफॉर्म दिया कि मैं कौन हूं और मेरे लिए नए रास्ते खोले.”
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14 फरवरी को डब्ल्यूपीएल का एक और सीजन शुरू हो चुका है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह लीग देश के दूर-दराज के इलाकों में युवा महिला क्रिकेटरों तक खेल को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान झूलन गोस्वामी ने कहा कि इस लीग की टीवी कवरेज का असर होगा. इस कवरेज से युवा लड़कियां क्रिकेट अपनाने के लिए प्रेरित होंगी.
उन्होंने कहा, “लीग सभी के नए दरवाजे खोल रही है.”
लेकिन इन दरवाजों के खुलने के बावजूद भी, अभी भी जेंडर पे गैप की समस्या बनी हुई है. यानी डब्ल्यूपीएल में महिला क्रिकेटरों और आईपीएल में पुरुष क्रिकेटरों को मिलने वाले पैसों के बीच काफी अंतर है.
डब्ल्यूपीएल और आईपीएल दोनों में खिलाड़ियों को मिलने वाले पैसे फ्रेंचाइज़ी मालिकों की ओर से नीलामी के पैसों पर निर्भर करता है.
विशेषज्ञों और खिलाड़ियों का कहना है बाजार की कीमत देखते हुए इस जेंडर पे गैप को तभी कम किया जा सकता है, जब डब्ल्यूपीएल की बाजार में वैसी ही कीमत बन जाए जैसी आईपीएल की है.
महिला क्रिकेट में पैसा लगाना
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पुरुषों क्रिकेटरों की तुलना में महिला क्रिकेटरों को कम पैसे मिलने के बावजूद भी, डब्ल्यूपीएल महिला क्रिकेट की दुनिया में सबसे ज्यादा फायदेमंद लीग है.
इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान शार्लेट एडवर्ड्स ने इस टूर्नामेंट के बड़े असर पर बात की.
उन्होंने कहा, “वाकई में इसने खेल को बदल दिया है. यह देखकर मुझे बहुत गर्व महसूस होता है कि जब मैं देखती हूं कि बाकी टूर्नामेंट्स का स्तर भी ऊपर जा रहा है. लेकिन डब्ल्यूपीएल ही एक ऐसी लीग है जिसे हर खिलाड़ी खेलना चाहता है.”
इस लीग की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह यह है कि इसमें खिलाड़ियों को अच्छी सैलरी और इनाम में अच्छी-खासी राशि मिलती है.
डब्ल्यूपीएल में कई खिलाड़ियों के जीवन को बदलने की शक्ति है जो वित्तीय कठिनाइयों पर काबू पाने के बावजूद क्रिकेट खेलने का सपना देखते हैं.
मुंबई की 22 वर्षीय क्रिकेटर सिमरन शेख उनमें से एक हैं.
22 साल की बल्लेबाज सिमरन और उनके पांच भाई-बहन मुंबई के धारावी इलाके में एक छोटे से घर में पले-बढ़े. धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है. उनके पिता जाहिद अली, एक इलेक्ट्रीशियन हैं, जो रोजाना सिर्फ 500 से 1000 रुपये कमाते हैं.
दिसंबर 2024 में सिमरन तब सुर्खियों में आई थीं, जब डब्ल्यूपीएल में गुजरात जायंट्स ने उन्हें 1.9 करोड़ रुपये में खरीदा. यह इस साल डब्ल्यूपीएल के नीलामी में किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी बोली थी.
सिमरन के लिए उनकी सैलरी उनके साधारण परिवार की हिसाब से काफी ज्यादा हो सकती है. लेकिन उनकी सैलरी एक बार फिर से यह दिखाती है कि अभी भी क्रिकेट में जेंडर पे गैप काफी ज़्यादा है.
आईपीएल और डब्ल्यूपीएल के बीच अंतर
डब्ल्यूपीएल की नीलामी से ठीक एक महीने पहले आईपीएल की नीलामी हुई थी. जिसमें विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के लिए रिकॉर्ड बोली लगाई गई थी.
लखनऊ सुपर जायंट्स ने ऋषभ पंत को 27 करोड़ रुपये में खरीदा. जिससे ऋषभ आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए.
अब आइए पंत की कमाई की तुलना स्टार भारतीय बल्लेबाज स्मृति मंधाना से करते हैं. मंधाना डब्ल्यूपीएल की अब तक की सबसे महंगी खिलाड़ी हैं.
साल 2023 में डब्ल्यूपीएल के पहले संस्करण की नीलामी में, मंधाना को 3.4 करोड़ रुपये में खरीदा गया था. इसका मतलब यह है कि उनपर लगाई गई बोली ऋषभ पंत की तुलना में लगभग आठ गुना कम है.
महिला खिलाड़ियों पर लगाई गई बोली का यह अंतर और ज़्यादा हो जाएगा, अगर हम इसकी तुलना विराट कोहली जैसे स्टार खिलाड़ियों से करते हैं.
महिला और पुरुष खिलाड़ियों को मिलने वाले पैसों में यह असमानता केवल भारतीय क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है.
साल 2022 में बीसीसीआई ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले पुरुष और महिला टीमों के लिए समान मैच फीस देने का कदम उठाया.
लेकिन जब भारत के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों को दिए जाने वाले सालाना अनुबंधों (कॉन्ट्रैक्ट) की बात आती है, तो दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड अपने पुरुष और महिला खिलाड़ियों को कितना भुगतान करता है, इसमें एक उल्लेखनीय अंतर देखने को मिलता है.
जहां भारत में पुरुष क्रिकेटरों को 7 करोड़ रुपये की अधिकतम वार्षिक अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) राशि दी जाती है, तो वहीं महिलाओं के लिए यह केवल 50 लाख रुपये हैं.
इंग्लैंड में 100 गेंदों के क्रिकेट टूर्नामेंट ‘द हंड्रेड’ में भी इसी तरह की असमानता देखने को मिलती है. हालांकि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने वेतन में समानता लाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है, लेकिन इस साल यह अंतर और ज़्यादा बढ़ने वाला है.
वेतन में असमानता का कारण क्या है?
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भारत की पूर्व महिला कप्तान मिताली राज ने कहा कि डब्ल्यूपीएल और आईपीएल के बीच ऐसी तुलना नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा, “जब आप डब्ल्यूपीएल की बात करते हैं, तो यह महज़ दो सीज़न पुराना है. जबकि आईपीएल 18 साल पुराना है. इसलिए आप वास्तव में दोनों की तुलना नहीं कर सकते हैं. इसलिए इसे कुछ और समय देना चाहिए.”
विज्ञापन से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेतन में अंतर का एक कारण यह भी है कि स्पॉन्सर अपने निवेश पर अच्छे रिटर्न की उम्मीद करते हैं. लेकिन महिला क्रिकेट को पुरुषों की तुलना में कम दर्शक देखते हैं, इसलिए इसमें निवेश भी कम होता है.
मिताली इस बात पर ज़ोर देते हुए कहती हैं, “जितनी ज़्यादा लड़कियों को आप टीवी पर खेलते हुए देखेंगे, उतने ही ज़्यादा स्पॉन्सर आगे आएंगे”.
साल 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई थी, तब इस टूर्नामेंट को देखने वाले दर्शकों की संख्या 10.2 करोड़ थी. जो 2024 में बढ़कर 62 करोड़ हो गई.
इसकी तुलना में, डब्ल्यूपीएल को देखने वाले दर्शकों की संख्या 2023 के पहले सीज़न में 5 करोड़ से बढ़कर 2024 में 10.3 करोड़ हो गई है.
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डब्ल्यूपीएल में कम दर्शक संख्या होने का कारण यह भी है कि इसमें कम टीमें और कम मैच खेले जाते हैं. आईपीएल के 2024 सीज़न में 10 टीमों ने 13 शहरों में 74 मुकाबले खेले थे.
इस साल डब्ल्यूपीएल में पांच टीमें चार शहरों में 22 मैच खेलेंगी.
इस बात पर ज़ोर देते हुए भारत की पूर्व कप्तान डायना एडुल्जी ने कहा कि बीसीसीआई ने समान वेतन की जो घोषणा की, वह एक अच्छा कदम है. लेकिन महिला क्रिकेटरों को पहले से भी अधिक मैच खेलने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि जब वह क्रिकेट खेलती थी, तब महिलाओं के शायद ही कोई मैच टेलीविजन पर प्रसारित होते थे और उनके लिए पैसे जुटाना भी एक बहुत कठिन काम था. लेकिन अब इस दिशा में बहुत कदम उठाए गए हैं.
भारत की मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा कि डब्ल्यूपीएल ने इस मामले में काफी सकरात्मक बदलाव किया है.
उन्होंने कहा, “लोग अब हमारा खेल देख रहे हैं, वे अब हमें पहचानते हैं. कल जब मैं यात्रा कर रही थी, तो मेरी मुलाक़ात कुछ ऐसे फैंस से हुई, जिन्हें पता था कि मैं डब्ल्यूपीएल खेलने के लिए जा रही हूं. यह बदलाव हमारे लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि यह हमें बेहतर प्रदर्शन करते रहने के लिए प्रेरित करता है”.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित