नाख़ून आपके स्वास्थ्य के बारे में क्या बताते हैं?
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हाथों और पैरों के नाखून इसके नीचे की त्वचा को चोट से बचाते हैं. इसके अलावा, वे शरीर को खुजलाने और फल जैसे खाने की कई चीजों को छीलने में भी हमारी मदद करते हैं.
लेकिन नाख़ून हमारी सेहत के बारे में क्या बताते हैं?
हक़ीक़त तो ये है कि नाख़ूनों से आपकी सेहत के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है.
जैसे कई बार कहा जाता है कि कभी-कभी सफेद धब्बे (ल्यूकोनिशिया) कैल्शियम की कमी के बारे में बताते हैं. लेकिन क्या इन सभी बातों में कोई सच्चाई है?
नाखू़नों से क्या पता चलता है?
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यह जानने के लिए हमें सबसे पहले शरीर की बनावट को समझना होगा.
हमारे नाखू़न हमारी त्वचा का ही एक हिस्सा हैं. ये केराटिन से बने होते हैं. केराटिन एक तरह का प्रोटीन होता है जो आपके पैर की उंगलियों और उनके ऊपरी हिस्से को चोट से बचाता है.
आपके नाखून के निचले हिस्से में आधे चांद जैसे दिखने वाले भाग को लुनुला कहा जाता है. यह नाख़ून की “फैक्ट्री” की तरह है, जहां नई कोशिकाएं बनती हैं.
ये नई कोशिकाएं ही बाद में नाख़ून बनती हैं. लुनुला क्यूटिकल के ठीक ऊपर स्थित होता है. क्यूटिकल एक मरी हुई त्वचा की छोटी-सी परत होती है जो आपके नाख़ून के निचले हिस्से को त्वचा से जोड़ती है.
क्यूटिकल नाख़ून को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है और बैक्टीरिया, फंगस और दूसरी बीमारियों को उनके रास्ते में ही रोक देता है.
डॉक्टरों के लिए नाख़ून यह बताने में मदद कर सकते हैं कि आपके शरीर के अंदर क्या चल रहा है.
डॉक्टर नाख़ून की मदद से त्वचा की समस्याओं से लेकर किडनी की बीमारी और यहां तक कि ऑटो इम्यून गड़बड़ियों का भी पता लगा सकते हैं.
गंभीर समस्याओं के संकेतों को पहचानना
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डैन बाउमगार्ट, ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के जनरल प्रैक्टिसनर (डॉक्टर) हैं.
वो कहते हैं, “मेडिकल स्कूल में मैंने जो पहली चीज सीखी, वह थी क्लबिंग नामक एक चीज के बारे में पढ़ना. क्लबिंग में आपके नाख़ून और उसके नीचे की त्वचा (नेल बेड) के बीच की जगह ग़ायब हो जाती है”
क्लबिंग के कारण नाख़ून के नीचे की त्वचा (नेल बेड) नरम हो जाती है और नाखून उंगली से मजबूती से जुड़े होने की जगह लगभग “तैरते” हुए दिखाई देते हैं. उंगलियों के सिरे भी सूजे हुए दिखाई देते हैं.
बाउमगार्ट कहते हैं, “क्लबिंग के कारण उंगली में सूजन आ जाती है, जिससे उंगली थोड़ी ड्रमस्टिक (सहजन फली) जैसी दिखाई देती है”.
क्लबिंग तब होती है जब आपके खून में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है. इसे अक्सर फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जोड़ा जाता है.
लेकिन यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी संकेत हो सकता है, जैसे हृदय की परतों पर संक्रमण( इन्फेकशन) सीलिएक (पाचन तंत्र में समस्याएं), लीवर की बीमारी (सिरोसिस) और फेफड़ों में इन्फेकशन वगैरह आदि.
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बाउमगार्ट कहते हैं, “अगर आप किसी मरीज में क्लबिंग की समस्या देखते हैं, तो सामान्य नियम यह है कि उसका तुरंत एक्स-रे करवाएं, क्योंकि यह फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है”.
वह कहते हैं, “हमें क्लबिंग के बारे में मेडिकल स्कूल में ही पता चल जाता है. लेकिन अपने 14 साल के करियर में मैंने ऐसा होते हुए केवल एक बार ही देखा है. मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों होता है”.
नाख़ून पर दिखाई देने वाले सफेद धब्बों (ल्यूकोनीशिया) को अक्सर विटामिन या मिनरल की कमी का संकेत माना जाता है. हालांकि इस बात का समर्थन करने वाले साक्ष्य मिले-जुले हैं.
कॉलेज के छात्रों के एक अध्ययन में इन धब्बों और किसी व्यक्ति के जिंक या कैल्शियम के सेवन के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया.
हालांकि, एक ऐसा मामला था जहां क्रोहन रोग (पाचन तंत्र में सूजन) से बीमार व्यक्ति के नाखूनों पर सेलेनियम की कमी के कारण गंभीर सफ़ेद धब्बे दिखने लगे थे. लेकिन सेलेनियम की कमी का इलाज करने के बाद धब्बे दूर हो गए.
आमतौर पर नाखू़नों पर सफ़ेद धब्बे (ल्यूकोनीशिया) चोट लगने या नाख़ून को नुकसान पहुंचने के कारण होते हैं. अपने पैर की उंगली पर चोट लगने, अपने नाखू़न को दरवाजे में फंसाने, बहुत अधिक मैनीक्योर करवाने या अपने पैर पर कोई भारी वस्तु गिराने से इस तरह के निशान पड़ सकते हैं.
फिर भी नाखू़नों पर सफेद निशान कभी-कभी किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकते हैं. उदाहरण के लिए सफ़ेद धब्बे लीड या आर्सेनिक जैसे मेटल से होने वाले ज़हर से जुड़े हो सकते हैं.
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सफ़ेद नाखून सोरायसिस नामक त्वचा की स्थिति का भी संकेत दे सकते हैं, जो लाल, पपड़ीदार धब्बों का कारण बनता है.
अगर पूरा नाख़ून सफ़ेद हो जाता है तो यह खून में प्रोटीन की कमी का संकेत हो सकता है. इससे किडनी से जुड़ी बीमारी, लीवर की बीमारी और डाइबिटीज होने का ख़तरा रहता है.
बाउमगार्ट कहते हैं, “अगर लोगों के खून में प्रोटीन का स्तर कम है, तो इससे [अक्सर] पूरा नाख़ून सफेद हो जाता है. हम इसे उन लोगों से जोड़ते हैं जिन्हें लीवर की बीमारी होती है. जैसे लीवर का सिरोसिस. यह शायद शराब पीने के कारण होता है”.
दूसरी तरफ, नीले नाखून इस बात का संकेत हैं कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. इससे दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी या सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती है. ऐसे में आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए.
ऐसा तब भी हो सकता है जब आपको नाखून के नीचे काली रेखाएं दिखाई दें. हालांकि यह चोट के कारण हो सकता है. लेकिन यह सबंगुअल मेलेनोमा का संकेत भी हो सकता है. यह बेहद कम होने वाला लेकिन त्वचा कैंसर का एक गंभीर प्रकार है.
अगर आपके नाख़ून के नीचे खून बहता है जो ठीक नहीं हो रहा है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.
बाउमगार्ट कहते हैं, “इसे “स्प्लिंटर हेमरेज” कहते हैं, जो नाख़ून के नीचे छोटी लाल धारियों की तरह दिखते हैं. यह वैस्कुलिटिस का संकेत हो सकता है.
ऐसा तब होता है जब ब्लड वेसल (शरीर में खून को ले जानी वाली वाहिकाएं ) सूज जाती हैं. कभी-कभी, यह हार्ट वाल्व में संक्रमण
फंगल इंफेक्शन
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नाख़ूनों को देखकर अन्य सामान्य बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है. मरीज़ की जांच करते समय, डॉक्टर नाख़ूनों के रंग, उनकी मोटाई और आकार में होने वाले बदलावों पर ध्यान देते हैं.
उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ नाख़ून में सफ़ेद सिरे को छोड़कर बाकी नाखून का निचला हिस्सा गुलाबी होना चाहिए.
अगर रंग बदलता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि नाख़ून में कोई इन्फेक्शन है या शरीर के अंदर कोई स्वास्थ्य समस्या चल रही है.
होली विल्किंसन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ हल में चोट के इलाज के बारे में पढ़ाते हैं.
वो कहते हैं, “अगर आपके पैर के नाख़ून सफेद या पीले हो जाएं, तो यह फंगल इंफेक्शन का संकेत हो सकता है, खासकर यदि यह केवल आपके पैर के नाख़ूनों पर हो”.
अमेरिका और ब्रिटेन जैसी जगहों पर आप हल्के फंगल नेल इंफेक्शन के इलाज के लिए स्टोर से क्रीम या मलहम खरीद सकते हैं. लेकिन अगर आप बहुत लंबा इंतजार करते हैं, तो इसका इलाज करना मुश्किल हो सकता है. (अगर आपको शक है कि आपको नेल इन्फेक्शन है तो हमेशा डॉक्टर से सलाह लेनी ज़रूरी है)
विल्किंसन कहते हैं, “मुझे लगता है कि जब लोगों के नाख़ूनों का रंग बदल जाता है, तो वे यह नहीं समझ पाते कि यह एक इन्फेक्शन . इस कारण इन्फेक्शन और बढ़ जाता है. फिर उन्हें पैरों के विशेषज्ञ के पास जाना पड़ता है”.
कमजोर नाख़ून
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आपके नाख़ूनों का आकार भी कई समस्याओं के बारे में बताता है. स्वस्थ पैर की उंगली और नाखूनों को थोड़ा बाहर की ओर मुड़ा हुआ होना चाहिए. उनमें गड्ढे नहीं होने चाहिए. यदि ऐसा है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपको कोइलोनिशिया है.
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें नाखून अंदर की ओर मुड़ जाता है और पतला और नाज़ुक दिखता है.
इस स्थिति वाले लोगों के नाखूनों के बीच में कभी-कभी गहरा गड्ढा होता है, इतना गहरा कि उसमें लिक्विड की एक बूंद भी समा सकती है. इसीलिए इसे “स्पून नेल्स” भी कहा जाता है.
अगर आपका कोई भी नाख़ून चम्मच जैसा दिखता है तो यह एनीमिया का संकेत हो सकता है.
यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें आपके शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ रक्त कोशिकाएँ नहीं होती हैं.
एनीमिया अक्सर आपके खाने में पर्याप्त आयरन न होने के कारण होता है. हालांकि यह सीलिएक रोग जैसी अन्य बीमारियों से भी जुड़ा हो सकता है.
दूसरी तरफ, आपके नाखू़नों में होने वाले बदलाव यह दिखा सकते हैं कि आपको कुछ पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहे हैं.
कुछ लोगों के नाखूनों में आड़ी लकीरें होती हैं, जिन्हें ब्यू लाइन्स के नाम से जाना जाता है.
इसका मतलब हो सकता है कि आपको पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल रहा है. लेकिन ये रेखाएं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी संकेत हो सकती हैं, जैसे डाइबिटीज या पेरिफेरल वैस्कुलर डिजिज.
पेरिफेरल वैस्कुलर बीमारी में शरीर के कुछ हिस्सों में ख़ून का बहाव कम हो जाता है. ऐसा आमतौर पर रक्त वाहिकाओं में वसा और कोलेस्ट्रॉल के बनने के कारण होता है. इसलिए इसकी जांच करवाना ज़रूरी है.
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मैरी पीयरसन, यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ वेल्स में बच्चों का इलाज करने वाली डॉक्टर है.
वह कहती है, “ब्यू लाइन्स (आड़ी रेखाएं) जिंक की कमी का संकेत दे सकती हैं, जबकि कमज़ोर नाख़ून हाइपोथायरायडिज्म (जब थायरॉयड ग्लैंड आपके शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त थायरॉयड हार्मोन नहीं बनाता) या विटामिन बी7 की कमी का संकेत हैं”.
वह कहती हैं, “कुछ मामलों में हमें अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है. उदाहरण के लिए, जब हम अपने बच्चे के पोषण के बारे में परेशान होते हैं या जहां हमें पुरानी बीमारी का संदेह हो, तो हमें उसका ध्यान रखना पड़ता है.”
कभी-कभी,नाख़ूनों में होने वाले बदलाव स्वास्थ्य समस्याओं के बजाय जीवनशैली की आदतों के कारण होते हैं.
उदाहरण के लिए नाख़ून उखड़ना. इसे ओन्कोसाइसिया के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा तब होता है जब नाख़ूनों की पतली परतें अलग होने लगती हैं और पीछे की ओर छिलने लगती हैं.
जोशुआ ज़ीचनर, न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल में त्वचा के विज्ञान के प्रोफ़ेसर हैं. वह कहते हैं, “ओन्कोसाइसिया हाथों को बहुत ज़्यादा धोने, सूखे नाख़ूनों और नेल पॉलिश के इस्तेमाल के कारण हो सकता है.”
नाख़ून सेहत के बारे में क्यों बता देता है?
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आप सोच रहे होंगे कि नाखू़नों में ऐसा क्या है जो किसी व्यक्ति के सेहत के बारे में इतना कुछ बता देता है? इसका एक मुख्य कारण यह है कि नाख़ून शरीर के उन कुछ अंगों में से एक हैं जिन्हें आप बाहर से देख सकते हैं.
बाउमगार्ट कहते हैं, “नाखू़न आपकी त्वचा का हिस्सा हैं, और आपकी त्वचा आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा है, इसके बारे में बहुत कुछ बता सकती है”.
वह कहते हैं, “जब आप पहली बार किसी मरीज को देखते हैं, तो आप उसके स्वास्थ्य के बारे में सुराग पाने के लिए उसके नाख़ून,आंखें और मुंह को देखना शुरू करते हैं.
इससे आपको शुरुआती आकलन करने और यह पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या गड़बड़ हो सकती है. इसलिए नाख़ून उन पहली चीजों में से एक हैं जिनकी हम जांच करते हैं”.
ज़्यादातर मामलों में, आपके नाख़ूनों में होने वाले बदलाव से कोई नुकसान नहीं होता है और वे केवल चोट लगने के कारण होते हैं.
लेकिन अगर आप पाते हैं कि आपके नाख़ूनों का आकार, रंग या बनावट में बदलाव लंबे समय तक रहता है, तो आपको हमेशा डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
नोट – इस आर्टिकल में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह जानकारी किसी डॉक्टर या चिकित्सा पेशेवर के मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है. इस आर्टिकल में दी गई जानकारी के आधार पर किसी पाठक द्वारा किए गए किसी भी इलाज के लिए बीबीसी ज़िम्मेदार नहीं होगी
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित