ट्रंप की पुतिन को चेतावनी, क्या यूक्रेन के साथ जंग रोकने में आगे बढ़ेगा रूस
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डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में युद्ध ख़त्म नहीं करते हैं तो वह रूस पर टैरिफ़ समेत और कई कड़े प्रतिबंध लगा देंगे.
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ट्रंप ने लिखा कि वो पुतिन पर युद्ध को ख़त्म करने के लिए दबाव डालकर ‘अहसान’ कर रहे हैं.
ट्रंप ने पहले कहा था कि वह रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को बातचीत के लिए ज़रिए एक ही दिन में हल कर देंगे.
रूस ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ट्रंप की ताज़ा टिप्पणियों के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
लेकिन रूस के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल के दिनों में कहा है कि नए अमेरिकी प्रशासन से बातचीत की थोड़ी गुंजाइश तो है.
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क्या मानेंगे पुतिन?
पुतिन ने भी बार-बार कहा है कि वह जंग रोकने के लिए बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन यूक्रेन को अपनी ज़मीन का वो 20 फ़ीसदी हिस्सा छोड़ना होगा जो अब रूसी कब्ज़ें में है.
इसके अलावा पुतिन ये भी नहीं चाहते कि यूक्रेन नेटो में शामिल हो.
लेकिन यूक्रेन एक इंच ज़मीन छोड़ने को तैयार नहीं है. हालांकि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ये कह चुके हैं कि उन्हें अपनी कुछ ज़मीन फ़िलहाल के लिए छोड़नी पड़ सकती है.
मंगलवार को ट्रंप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह ‘बहुत जल्द’ पुतिन से बात करेंगे और ऐसी ‘संभावना है’ कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ तो वे उसपर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा देंगे.
लेकिन बुधवार को अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, “मैं रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर बहुत बड़ा अहसान करने जा रहा हूं. अब समझौता करो, और इस बेतुके युद्ध को रोको. अगर हम जल्द ही कोई ‘सौदा’ नहीं करते हैं, तो मेरे पास रूस से आने वाले सामान पर भारी आयात शुल्क लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.”
अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा, “आइये इस युद्ध को ख़त्म करें. अगर मैं राष्ट्रपति होता तो ये शुरू ही नहीं होता. हम इस युद्ध का अंत आसान या कठिन तरीके से कर सकते हैं. आसान तरीका हमेशा बेहतर होता है. अब समझौता करने का समय आ गया है.”
‘ट्रंप के मन में क्या है?’
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इससे पहले रूस के संयुक्त राष्ट्र में उप राजदूत दिमित्री पोल्यान्स्की ने रॉयटर्स ने बातचीत की थी. उन्होंने कहा था कि रूस को ये जानना चाहता है कि युद्ध रोकने के समझौते में ट्रंप क्या चाहते हैं, तभी बात आगे बढ़ेगी.
इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को कहा है कि किसी भी समझौते के तहत कम से कम दो लाख शांति सैनिकों की ज़रूरत होगी.
उन्होने ब्लूमबर्ग को बताया कि इस शांति सेना में अमेरिकी सैनिक भी होने चाहिए.
उन्होंने कहा, “यह अमेरिका के बिना संभव नहीं हो सकता. चाहे कुछ यूरोपीय मित्रों को ऐसा लगता है पर ऐसा है नहीं. “
यूक्रेन में ट्रंप की तारीफ़
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यूक्रेन के नेता ट्रंप के इस सख्त बयान की सराहना कर सकते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि पुतिन केवल ताकत की भाषा समझते हैं.
लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणियों पर यूक्रेन में शुरुआती प्रतिक्रिया से पता चलता है कि लोग अब शब्दों की नहीं, बल्कि किसी ठोस कार्रवाई का इंतज़ार कर रहे हैं.
ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि और अधिक आर्थिक प्रतिबंध कहाँ, कब और कैसा लगाए जाएंगे. साल 2022 के बाद से अमेरिका में रूसी आयात में भारी गिरावट आई है. रूस पर पहले से ही काफ़ी कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
वर्तमान में, अमेरिका को रूस का मुख्य निर्यात फॉस्फेट आधारित उर्वरक और प्लैटिनम है.
ट्रंप के बयान पर सोशल मीडिया पर यूक्रेन के लोगों की ओर से आम तौर पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. कई लोगों ने लिखा कि और अधिक प्रतिबंध रूसी आक्रामकता का एक कमज़ोर जवाब है.
लेकिन अधिकतर लोगों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुतिन वास्तव में किसी भी शांति वार्ता में यूक्रेन के साथ चर्चा करने के लिए तैयार होंगे?
रूस से क्या संकेत मिले?
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इस बीच मास्को में कुछ लोगों को ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सरकार रूसियों को यूक्रेन में ‘जीत से कुछ कम’ स्वीकार करने के लिए तैयार कर रही है.
एक पुतिन समर्थक टीवी संपादक मार्गरीटा सिमोनियन ने युद्ध समाप्त करने के लिए ‘यथार्थवादी’ हालात की बात करनी शुरू कर दी है. उनका सुझाव है कि दोनों मुल्क़ों के बीच वर्तमान सरहद पर लड़ाई को रोकना भी इसका हल हो सकता है.
इसका अर्थ यह होगा कि ज़ापोरज़िया जैसे चार यूक्रेनी इलाके जो दो साल से अवैध रूसी कब्ज़े में हैं उनपर यूक्रेन को नियंत्रण छोड़ना होगा.
ये आसान नहीं है.
रूस के कट्टरपंथी ब्लॉगर इस तरह की बातचीत को ‘पराजयवादी’ बताते हैं. ज़ेड ब्लॉगर्स के नाम से जाने जाने वाले ये लोग समझौते की बात से ख़फ़ा दिख रहे हैं.
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने टैरिफ़ और सख्त प्रतिबंधों की धमकी के बीच रूसी लोगों के लिए अपने ‘प्यार’ का इज़हार भी किया.
उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में सोवियत संघ को हुए नुकसान की प्रति सम्मान व्यक्त किया.
ये पुतिन के लिए एक नाज़ुक मुद्दा है.
हालांकि ट्रंप ने सिर्फ़ रूसी नुकसान का ज़िक्र किया. हक़ीक़त में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लाखों यूक्रेनियन और अन्य सोवियत नागरिकों ने भी अपनी जान गंवाई थी.
ट्रंप अतीत में ये कह चुके हैं कि पुतिन की यूक्रेन के नेटो में शामिल होने से जुड़ी चिंताओं को समझ सकते हैं. यूक्रेन की नज़र में ऐसा बयान ये कहने के समान है कि पुतिन को उकसाया गया था.
लेकिन अब ट्रंप के सुर बदलते नज़र आ रहे हैं.
ट्रंप इस जंग पर क्या पक्ष रखते हैं वो अहम है. लेकिन रूस के साथ 11 साल के युद्ध के बाद यूक्रेन के लोगों बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.