यूपी: लखनऊ में महिला और उनकी चार बेटियों की हत्या के आरोप में अरशद गिरफ़्तार, पुलिस और पड़ोसियों ने क्या बताया?
- Author, सैयद मोज़िज़ इमाम
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
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नए साल के पहले दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के होटल में एक ही परिवार के पाँच लोगों के शव बरामद हुए. पुलिस ने बताया कि बरामद शव एक महिला और उनकी चार बेटियों के थे.
यह परिवार नए साल का जश्न मनाने के लिए आगरा से लखनऊ आया था, परिवार में मृतकों के अलावा पिता और भाई भी हैं. सभी लोग लखनऊ के नाका इलाके में चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने गली में एक होटल में ठहरे थे.
वारदात की खबर मिलने के बाद पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी. मामले में आरोप महिला के बेटे अरशद पर है. पुलिस की सामने अरशद ने अपना गुनाह भी मान लिया है. पुलिस के मुताबिक हत्या की इस वारदात में अभियुक्त के साथ पिता भी शामिल हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
डीसीपी रवीना त्यागी ने बताया कि अरशद ने हत्या की बात स्वीकार कर ली है. त्यागी ने कहा कि पूछताछ में वारदात के पीछे पारिवारिक कलह की बात सामने आई है. पुलिस के मुताबिक़ हत्या से पहले पूरे परिवार को नशा दिया गया था. बाद में गला घोंटकर और नस काट कर वारदात को अंजाम दिया गया.
मृतकों में अरशद की सबसे छोटी बहन आलिया की उम्र महज नौ साल थी, 16 साल की अक्सा उससे बड़ी थी फिर 18 साल की रहीमन और सबसे बड़ी बहन 19 साल की अलशिया थी.
पुलिस के मुताबिक़, लखनऊ आने से पहले ये सभी लोग अजमेर गए थे. उन्होंने 30 दिसंबर की रात में होटल में रहने के लिए कमरा लिया था.
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अभियुक्त का वीडियो वायरल
इमेज स्रोत, @lkopolice
लखनऊ के एक होटल में पांच हत्याओं के बाद एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है.
यह वीडियो अभियुक्त अरशद का बताया जा रहा है. वीडियो में अरशद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने घर की ज़मीन भू-माफियाओं से बचाने की बात करते हैं. साथ ही वह इसे मंदिर के लिए दान करने और मंदिर बनाने में मदद देने की बात भी करते हैं.
अभियुक्त और उनका पूरा परिवार आगरा के इस्लामनगर इलाके में रहता था.
अभियुक्त अरशद ने यह भी आरोप लगाया है कि वो धर्म परिवर्तन करना चाहते थे, इसलिए इस्लामनगर में उनके मोहल्ले के लोग उन्हें जानबूझकर परेशान कर रहे थे.
अभियुक्त के कथित वायरल वीडियो में उन्हें यह दावा करते हुए भी सुना जा सकता है, “हम लोग बस्ती वालों की वजह से धर्म परिवर्तन करना चाहते थे ताकि हम लोग चैन से जी सकें.”
वीडियो के मुताबिक, अरशद इन सबसे तंग आकर खुद भी मौत को गले लगाना चाहते थे.
अरशद ने अपनी पूरी बस्ती को ही सभी मौतों का ज़िम्मेदार बताया और कुछ लोगों के नाम भी लिए हैं. पुलिस ने इस मामले के हर पहलू से खंगालना शुरू कर दिया है.
हालांकि, पुलिस इस वायरल वीडियो की पुष्टि करने में जुटी है लेकिन इस वीडियों में कई संगीन आरोप लगाए गए हैं.
बांग्लादेशी वाला एंगल?
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वीडियो में कही गई बातों के मुताबिक अभियुक्त अरशद ने अपने परिवार को बचाने की बहुत कोशिश की. बहुत से लोगों मदद मांगी लेकिन किसी ने मदद नहीं की.
अरशद के कथित वायरल वीडियो में उसे यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हमने कई लोगों से मदद मांगी लेकिन किसी ने मदद नहीं की.
अभियुक्त ने आरोप लगाया कि उन्हें बांग्लादेशी कह कर प्रताड़ित करने की कोशिश की जाती थी. उन्होंने दावा किया कि वह और उसका परिवार दरअसल, बदायूं का रहने वाला है, उनके पास सभी कागज़ात भी हैं फिर भी उस पर बांग्लादेशी होने के आरोप लगाए जाते हैं.
अभियुक्त ने आरोप लगाया कि विरोधी पक्ष की नज़र गरीब परिवारों की बेटियों पर रहती है. वह लोग ग़रीब परिवारों की बेटियों को उठाकर हैदराबाद में बेचने का काम करते हैं.
अभियुक्त का दावा है कि विरोधी पक्ष, उनको और उनके पिता को किसी झूठे मुकदमे में फंसाकर लड़कियों को बेचने की फिराक में था. उन्होंने दावा किया कि लड़कियों को बुरे लोगों से बचाने के लिए ही उन्होंने ऐसा कदम उठाया है.
अभियुक्त ने यह भी स्वीकार किया कि हत्या की इस वारदात में उनके पिता भी शामिल थे. पुलिस को अब उनकी तलाश है.
हालांकि एक अन्य वायरल वीडियो में अरशद के पिता बदर भी दिखाई देते हैं. इस वीडियो की सत्यता की भी पुष्टि की जा रही है लेकिन इसमें अभियुक्त के पिता बदर कहते हैं कि वो 17 साल से आगरा की इस बस्ती में रह रहे थे. कुछ लोग उन्हें लगातार तंग कर रहें है. पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
बदर कहते हैं कि वो इस्लाम धर्म छोड़ना चाहते थे, इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.
हालांकि बीबीसी इन दोनों ही वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता, पुलिस के मुताबिक वीडियो में कही जा रहीं सभी बातों की जांच की जा रही है.
आगरा में पड़ोसियों ने क्या बताया
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अभियुक्त और उनका पूरा परिवार आगरा के इस्लामनगर इलाके में रहता था. जानकारी के मुताबिक वहीं पर उन्होंने 100 गज ज़मीन खरीदी थी जिसमें से आधी बेच कर, बाकी पर मकान बनवाया था.
पड़ोसियों ने बताया कि करीब 15 दिन पहले पूरा परिवार अजमेर जाने की बात कहकर निकला था.
हालांकि पड़ोसियों का कहना है कि परिवार वालों की मोहल्ले के लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं थी. ये लोग अपने काम से काम रखते थे, उन्हें किसी से घुलना-मिलना पसंद नहीं था.
दरअसल, अभियुक्त और उनके पिता कपड़े की फेरी लगाते थे. उनका परिवार तकरीबन बीस साल पहले बदायूं से आगरा आया था. वे लोग पहले किराये पर रहते थे.
आगरा में अरशद के पड़ोसी नन्हे ख़ान का कहना है कि अरशद की मानसिक सेहत ठीक नहीं लगती है. उन्होंने अपना आधा प्लॉट अलीम ख़ान नाम के शख्स को सात लाख में बेचा था, उस पैसे से मकान बनाया था.
नन्हे ख़ान ने हैदराबाद तक फैले मानव तस्करी और गरीब लड़कियों को हैदराबाद में बेचे जाने के आरोपों को भी नकार दिया.
उन्होंने कहा कि जहां तक लड़की का सवाल है, ये गलत है क्योंकि बस्ती के लोगों ने कई ग़रीब घर की लड़कियों की शादी चंदा करके कराई थी. कोई उनको परेशान नहीं कर रहा था.
अरशद के व्यक्तिगत व्यवहार के बारे में मोहल्ले में रहने वाली फातिमा बेगम का कहना है, “वो हर बात पर भड़क जाता था. सबको ऊल-ुलूल बातें बोलता था, पूरे मोहल्ले में उसका व्यवहार ठीक नहीं था. वह अपनी बहनों को भी मारता था. अपनी बीवी को भी छोड़ चुका है. मरने वाली चारों उसकी सगी बहने थीं.”
पुलिस का क्या कहना है
नये साल के पहले दिन हुई इस दिल दहलाने वाली घटना के बाद पुलिस सक्रिय है. अभियुक्त से पूछताछ जारी है.
डीसीपी रवीना त्यागी के मुताबिक पुलिस को पता चला कि थाना नाका क्षेत्र में होटल शरणजीत में पांच लोगों के शव मिले हैं, स्थानीय पुलिस ने 24 वर्षीय अरशद को हिरासत में लिया है जो आगरा का रहने वाला है. उन्होंने पूछताछ में बताया कि परिवारिक कलह के कारण उन्होंने अपनी चार सगी बहनों और माता की हत्या कर दी है.
पुलिस के मुताबिक शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है और कानूनी कार्यवाही की जा रही है.
लखनऊ पुलिस में संयुक्त आयुक्त (अपराध) बबलू कुमार ने मीडिया से कहा कि जब ये लोग रहने आए थे तब साथ में पिता और भाई भी थे. कुमार के मुताबिक आस-पास के होटल के स्टाफ से भी पूछताछ की जा रही है.
पुलिस के मुताबिक हत्या के बाद अरशद ने अपने पिता को रेलवे स्टेशन छोड़ दिया और थाने जाकर वारदात की बात बताई. पुलिस इलाके के सीसीटीवी फुटेज की भी पड़ताल कर रही है.
होटल शरणजीत के आस-पास के लोगों का कहना है कि उनको किसी ने देखा नहीं था. पास में चाय का होटल चलाने वाले पुनीत साहनी का कहना है कि वारदात रात में हुई थी. सुबह 6 बजे जब वो होटल खोलने आए तो भीड़ लगी हुई थी.
पुलिस ने होटल को सील कर दिया है और यहां काम करने वालों के बारे में पता लगया जा रहा है.
फ़ॉरेंसिक साइंस और मनोविज्ञान क्या कहता है?
बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी की फ़ॉरेंसिक साइंस में रिसर्च कर रही मीनाक्षी शुक्ला का कहना है कि फ़ॉरेंसिक विज्ञान की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण है.
पीड़ितों के शवों पर गला घोंटने के निशान, रक्तस्राव और हड्डी के टूटने जैसे फ़ॉरेंसिक साक्ष्य अपराध की विधि और कारण को स्पष्ट करते हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह पता लगाया जा सकता है.
पीड़ित नशे की हालत में थे या हत्या के समय होश में थे साथ ही, होटल के कमरे से मिले फिंगरप्रिंट, खून के धब्बे, और अन्य डीएनए साक्ष्य, घटनाओं के क्रम को पुनः निर्मित करने में मदद करेंगे.
शुक्ला के मुताबिक अभियुक्त द्वारा रिकॉर्ड किए गए कबूलनामे के वीडियो का फॉरेंसिक विश्लेषण उसकी सत्यता की पुष्टि करेगा, जिससे यह साबित होगा कि अपराध पूर्वनियोजित था.
अंततः इस मामले में फॉरेंसिक साइंस, घटनाओं का क्रम स्थापित करने और साक्ष्य के माध्यम से सच्चाई को उजागर करने में मदद करेगा. वहीं, आपराधिक कानून अरशद के इरादे, उद्देश्यों के आधार पर न्याय सुनिश्चित करेगा.
यूनिटी लॉ कालेज में मनोविज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर शम्सी अकबर का कहना है कि इस वारदात के दो पहलू हो सकते हैं. पहला व्यक्ति ने तनाव और चिंता में आकर जल्दबाजी में निर्णय ले लिया.
दूसरा कारण यह हो सकता है कि एक बीमारी होती है स्कित्ज़ोफ़्रेनिया जिसमें व्यक्ति को अलग-अलग तरह के भ्रम होते हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति को, ऐसा लगता है कि जो वो सोच और देख रहा है, वही सत्य है पर ऐसा वास्तविकता में होता नहीं है.
इस बीमारी की वजह से व्यक्ति इस तरह के काम कर सकता है. इस केस में व्यक्ति ने अपनी बहनों और माँ को मार डाला. संभवतः उन्होंने किसी वहम में आकर ऐसा किया हो, उन्हें कोई डर हो. हालांकि, जब तक व्यक्ति की मानसिक स्थिति के बारे मे सही जानकारी न हो तो कुछ भी कहना सम्भव नहीं है.
शुक्ला का कहना है कि यह मामला आपराधिक कानून, फ़ॉरेंसिक विज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के गहरे संबंध को उजागर करता है. अरशद का यह दावा कि उनका परिवार उत्पीड़न और घर छीने जाने की आशंका के कारण परेशान था, आपराधिक कानून की उन धारणाओं से जुड़ा है, जो उकसावे और उत्तेजना को समझने की कोशिश करती हैं.
हालांकि, कानून के अनुसार, उकसावे को हत्या जैसे अपराध के लिए वैध बचाव नहीं माना जा सकता. विशेष रूप से तब, जब अपराध की योजना पहले से बनाई गई हो.
(आगरा से नसीम अहमद के सहयोग के साथ)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित