यूक्रेन क्या एक और साल रूस से जंग का सामना कर पाएगा, यहां के सैनिक और आम लोग क्या कह रहे हैं?
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यूक्रेन युद्ध के मैदान में पिछड़ रहा है. तीन साल से चल रहे युद्ध के बाद यूक्रेन के ज़्यादातर सैनिक थक चुके हैं.
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यूक्रेन युद्ध का एक और साल झेल सकता है?
यूक्रेन की सेना अब भी पूरब में बढ़ रहे रूसी सैनिकों के ख़िलाफ़ लड़ रही है. लेकिन कुराखोव के पास वे घिर गए हैं.
हाल के हफ़्तों में इस इलाक़े में सबसे भीषण युद्ध हुआ है. यूक्रेन की एक मोर्टार ब्लैक पैक कुराखोव के आसपास घेराबंदी को रोकने की कोशिश कर रही है. लेकिन रूस की सेना तीन तरफ़ से आगे बढ़ रही है.
युद्धविराम पर क्या कहते हैं यूक्रेनी सैनिक
हमने इस यूनिट से एक सेफ़ हाउस में मुलाक़ात की, जहाँ वे लड़ाई के बाद आराम कर रहे थे. वे कोई आम सैनिक नहीं थे.
उनमें एक शेफ़, एक मकैनिक, एक वेब डेवलपर और एक कलाकार शामिल थे.
दोस्तों का एक समूह, जिसमें कुछ ग़ैर परंपरावादी विचारों के हैं, इनमें कई अपने आप को अराजकतावादी भी कहते हैं. ये सभी अपनी मर्ज़ी से लड़ाई में शामिल हुए हैं.
उनके 31 वर्षीय कमांडर सर्ट ने बताया कि बड़े पैमाने पर रूसी आक्रमण शुरू होने के तुरंत बाद ही यूक्रेन की सेना में वह शामिल हो गए थे.
सर्ट ने बताया कि शुरू में उनको लगा था कि युद्ध तीन साल में ख़त्म हो जाएगा. अब उनका कहना है कि वह ख़ुद को अगले 10 सालों तक जंग के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं.
ये सभी ये जानते हैं कि डोनल्ड ट्रंप यूक्रेन जंग को समाप्त करना चाहते हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दोनों ही बातचीत के लिए तैयार होने के संकेत दे चुके हैं.
लेकिन एक लागू होने लायक समझौते तक पहुँचने की संभावना मुश्किल ही दिखाई देती है. फ़िलहाल वार्ता के बारे में सिर्फ़ बातें ही हो रही हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर क्या सोचते हैं यूक्रेनी सैनिक
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सर्ट ट्रंप के लक्ष्यों से इनकार नहीं करते हैं. उनके अनुसार, “डोनाल्ड ट्रंप महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं और वह युद्ध को ख़त्म करने की कोशिश करेंगे.”
लेकिन, कमांडर सर्ट को किसी भी समझौतों के नतीजों को लेकर चिंता भी है.
वह ख़ुद को यथार्थवादी बताते हैं और उनका मानना है कि यूक्रेन को न्याय नहीं मिलेगा.
कमांडर सर्ट के मुताबिक़, “यूक्रेन के लोगों को यह सच्चाई स्वीकार करनी होगी कि रॉकेटों और गोलों के हमले में उनके घर टूट गए हैं. उनके प्रियजन मारे गए हैं और यह कठिन होगा.”
जब मैंने कमांडर सर्ट से पूछा कि क्या वह वार्ता पसंद करेंगे या लड़ाई जारी रखना पसंद करेंगे?
जवाब में सर्ट ने साफ़ कहा, “लड़ना जारी रखेंगे.” मोर्टार यूनिट के ज़्यादातर सदस्यों ने भी युद्ध जारी रखने की बात कही.
यूक्रेन के मौजूदा हालात कैसे हैं?
मोर्टार इकाई ‘ब्लैक पैक’ के वीगन शेफ़ सेरही मानते हैं कि ‘बातचीत से युद्ध अस्थायी तौर पर रुक जाएगा, लेकिन एक या दो साल बाद यह दोबारा से शुरू हो जाएगा.’
उन्होंने यह स्वीकार किया कि यूक्रेन के लिए ‘मौजूदा स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.’ लेकिन, वह भी लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार थे. उन्होंने कहा कि ‘युद्ध में मारा जाना बस एक पेशेवर जोख़िम है.’
वहीं ‘ब्लैक पैक’ यूनिट में शामिल कलाकार डेविड का सोचना है कि डोनाल्ड ट्रंप चिंताजनक रूप से अप्रत्याशित हैं.
डेविड के अनुसार, “डोनाल्ड ट्रंप या तो यूक्रेन के लिए बहुत अच्छे साबित होंगे या फिर बहुत बुरे.”
यूक्रेनी सेना की यह यूनिट एक हफ़्ता मोर्चे पर बिताती है और एक हफ़्ता आराम करती है. पर आराम के समय में भी वह अपनी ट्रेनिंग जारी रखते हैं ताकि वह ख़ुद को लड़ने के लिए तैयार रख सकें.
एक बर्फ़ीले मैदान में वे अपने मोर्टार के साथ अभ्यास करते हैं. हाल ही में इस टीम के साथ डेनिस शामिल हुए हैं, जिन्होंने अपनी मर्जी से जर्मनी में अपने घर की सुरक्षा को त्याग दिया है.
डेनिस ने कहा, “मैंने ख़ुद से पूछा कि क्या मैं एक ऐसी दुनिया में रह सकता हूँ, जहाँ यूक्रेन का अस्तित्व नहीं है?”
हताहत सैनिकों की संख्या ज़्यादा
डेनिस बेमन से यह मानते हुए कहते हैं, “अब ऐसा लगता है कि हम हार रहे हैं लेकिन हम कोशिश नहीं करेंगे तो ज़रूर हार जाएंगे. कम से कम मैं जीतने की कोशिश करते हुए मरूंगा, बजाय इसके कि मैं बस बैठ जाऊं और हार मान लूं.”
लेकिन, अपने दूसरे साथियों की सोच से उलट डेनिस का मानना है कि यूक्रेन को कम से कम युद्धविराम पर विचार ज़रूर करना चाहिए.
उन्हें यह भी लगता है कि यूक्रेन में हताहत सैनिकों की संख्या आधिकारिक तौर पर बताई गई संख्या से कहीं ज़्यादा है.
जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, युद्ध में यूक्रेन के 4,00,000 से भी ज़्यादा सैनिक या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए हैं.
डेनिस का यह भी मानना है कि और ज़्यादा सैनिकों को भर्ती करना करना समस्या का समाधान नहीं होगा.
वह कहते हैं, “मुझे ऐसा लगता है कि हमने अपने कई समर्पित सैनिकों को या तो खो दिया है या वो थक चुके हैं, ऐसे में मेरे लिए, ऐसा नहीं है कि हम युद्धविराम चाहते हैं, लेकिन हम कई और सालों तक लड़ते हुए नहीं रह सकते हैं.”
युद्ध विराम पर लोगों का क्या कहना है?
यूक्रेन के तीसरे सबसे बड़े शहर निप्रो में भी युद्ध को लेकर थकान नज़र आती है. इस शहर पर रूस की मिसाइलों और ड्रोन के हमले नियमित अंतराल पर होते रहे हैं.
दिन-रात यहाँ हवाई हमले का अलर्ट देने वाले सायरन बजते रहते हैं. जब ये ख़ामोश होते हैं, इन असामान्य हालात में यूक्रेन के लोग, कुछ वक़्त के लिए ही सही, सामान्य महसूस करने की कोशिश करते हैं. इस दौरान वो थिएटर भी जाते हैं.
दोपहर के वक़्त, ‘क़ैदाश फ़ेमिली’ नाम के एक हास्य नाटक की प्रस्तुति के दौरान, यहां युद्ध की याद आती ही है, युद्ध में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा जाता है, जिसके बाद यूक्रेन का राष्ट्रगान चलाया जाता है.
लेकिन नाटक के दर्शकों में से भी कुछ लोगों ने यह माना कि कि वे लंबे समय तक युद्ध से छुटकारे की उम्मीद कर रहे हैं.
नाटक देखने आई एक महिला लुडामायला ने मुझसे कहा, “बदक़िस्मती से युद्ध थमने की उम्मीद बहुत कम हैं. हमें कुछ सहायता मिल रही है, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं. इसीलिए हमें वार्ता की मेज पर बैठना चाहिए और समझौता करना चाहिए.”
युद्धविराम के लिए वार्ता के सवाल पर एक और महिला केसेनिया ने कहा, “इसका कोई आसान जवाब नहीं है. हमारे बहुत से सैनिक मारे जा चुके हैं. उन्होंने किसके लिए लड़ाई लड़ी- हमारे इलाक़ों के लिए. लेकिन मैं चाहती हूं कि युद्ध ख़त्म हो जाए.”
यूक्रेन में हुए जनमत सर्वेक्षणों में भी सामने आया है कि युद्ध ख़त्म करने के लिए वार्ता शुरू करने को लेकर समर्थन बढ़ रहा है.
युद्धविराम के लिए सबसे मज़बूत आवाज़ उस तबके की ओर से आ रही है, जिन्हें लड़ाई की वजह से अपना घर या क्षेत्र छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
थियेटर के पास बने एक शेल्टर जो कि पहले छात्रों के रहने का ठिकाना था, उसमें चार बुज़ुर्ग महिलाओं का एक समूह रहता है, जो अपने घरों को छोड़ आई हैं.
उनमें से एक 87 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला वैलेंटिना का कहना है कि वह बिना कुछ लिए हुए यहां आ गई थीं.
उस आश्रय में उनको खाना, कपड़े और जूते उपलब्ध करवाए गए. वैलेंटिना ने कहा, “यहां अच्छा व्यवहार होता है. मेहमान बनना अच्छा है लेकिन अपने घर पर रहना उससे भी बेहतर है.”
वैलेंटिना का घर अब रूसी कब्ज़े वाले इलाक़े में है. सभी चारों महिलाएं चाहती हैं कि शांति के लिए समझौता हो.
इनमें से एक 89 वर्षीय महिला मारिया कहती हैं, “इतनी तबाही और बर्बादी के बाद मुझे यह नहीं पता कि आख़िर दोनों पक्ष एक दूसरे से कैसे आंख मिला पाएंगे.”
मारिया का मानना है कि यह पहले से ही स्पष्ट हो गया है कि कोई भी पक्ष सैन्य बल से नहीं जीतेगा, इसीलिए वार्ता की ज़रूरत है.
अगर वार्ता होती है तो भी इन महिलाओं को सबसे ज़्यादा क़ुर्बानी देनी पड़ सकती है, उसी तरह जैसे यूक्रेन को शांति के लिए अपनी ज़मीन क़ुर्बान करनी पड़ सकती है.
(डेनियल विटेनबर्ग और अनस्तासिया लेवशेंको की अतिरिक्त रिपोर्टिंग)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.