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- Author, एलेक्सी कल्मीकोफ़
- पदनाम, बीबीसी रूसी सेवा
- Author, पीटर बॉल
- पदनाम, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस
28 जुलाई 2025
तीन साल से लंदन में फंसी 38 मिलियन पाउंड की रूसी सुपरयॉट ‘फ़ाई’ पर मंगलवार को फ़ैसला आएगा.
भूमध्यसागर और कैरेबियन क्षेत्र में सफ़र करने के लिए डिज़ाइन की गई 38 मिलियन पाउंड (क़रीब 380 करोड़ रुपये) की रूसी सुपरयॉट ‘फ़ाई’ पिछले तीन साल से लंदन में खड़ी है. 59 मीटर लंबी यह यॉट अपनी पहली यात्रा के बाद ही हिरासत में ले ली गई थी.
‘फ़ाई’ दुनिया भर में रोकी गई दर्जनभर से ज़्यादा रूसी सुपरयॉट्स में से एक है. रूस के यूक्रेन पर बड़े हमले के बाद इन यॉट्स को ज़ब्त करना सुर्ख़ियों में रहा, लेकिन इसने उन्हें रोकने वाली सरकारों को भारी क़ानूनी और आर्थिक मुश्किलों में डाल दिया.
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज़ इंस्टीट्यूट में फ़ाइनेंशियल क्राइम एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ सेंटर के निदेशक टॉम कीटिंग कहते हैं, “सुपरयॉट्स को ज़ब्त करना एक ऐसा क़दम था, जिसे अख़बार के पहले पन्ने पर दिखाया जा सकता था. लेकिन युद्ध के नज़रिए से इसका कोई बड़ा असर नहीं हुआ और इससे सरकारें उन समस्याओं में फंस गईं, जिनकी उन्होंने उम्मीद नहीं की थी.”
मंगलवार को ब्रिटेन का सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि ‘फ़ाई’ को यहां से आज़ाद किया जाएगा या वह कैनरी व्हॉर्फ़ के साउथ डॉक में ही खड़ी रहेगी.
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सुपरयॉट ‘फ़ाई’ पर क़ानूनी लड़ाई
‘फ़ाई’ के कैप्टन गाए बूथ यॉट दिखाते हुए कहते हैं, “फ़ाई में आपका स्वागत है. हम लंदन के बीचों-बीच हैं, जहां रहना हम नहीं चाहते थे.”
यॉट पर वह इसकी लग्ज़री सुविधाओं की ओर इशारा करते हैं, जिनमें गरम पानी का स्विमिंग पूल भी शामिल है.
वह बताते हैं, “हम इसकी गहराई अपनी मर्ज़ी से तय कर सकते हैं, इसे 1.7 मीटर तक गहरा किया जा सकता है.”
पास ही गैस से चलने वाला फायर पिट और एक ऐसा बैठने का इलाक़ा है, जिसे बदलकर सिनेमा बनाया जा सकता है, जबकि मालिक के पेंटहाउस अपार्टमेंट में निजी टैरेस है.
मार्च 2022 से यह सुपरयॉट उस क़ानून के तहत हिरासत में है, जो ब्रिटेन सरकार को रूस से जुड़े जहाज़ों को रोकने का अधिकार देता है ताकि रूस के अमीर लोगों पर दबाव डाला जा सके और उनके ज़रिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाया जा सके.
लेकिन ‘फ़ाई’ के मालिक, रूसी प्रॉपर्टी कारोबारी सर्गेई नाउमेनको, इस कार्रवाई को चुनौती दे रहे हैं.
नाउमेनको ने ट्रांसपोर्ट विभाग के ख़िलाफ़ कई क़ानूनी मामले दर्ज कराए हैं ताकि यॉट की हिरासत ख़त्म कराई जा सके. ये मामले हाई कोर्ट से अपील कोर्ट होते हुए अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुके हैं.
उनकी क़ानूनी टीम का तर्क है कि चूंकि नाउमेनको पर ब्रिटेन ने कभी आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाया और उनका रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कोई संबंध नहीं है, इसलिए यॉट को हिरासत में रखना उनकी संपत्ति के शांतिपूर्वक इस्तेमाल के अधिकार का उल्लंघन है.
लेकिन सरकार अब तक यह दलील देकर जीतती रही है कि उसे अमीर रूसियों की संपत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार है ताकि रूसी सरकार पर दबाव डाला जा सके.
दुनिया भर में हिरासत में ली गई रूसी सुपरयॉट्स उन सरकारों के लिए कानूनी झंझट और करोड़ों डॉलर के रख-रखाव के ख़र्च का कारण बन रही हैं.
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सुपरयॉट्स का रख-रखाव बना भारी बोझ
एलेक्स फ़िनली, जो यूरोप में तैनात रह चुकीं पूर्व सीआईए अफ़सर हैं, रूसी सुपरयॉट्स और उन पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में लिखती रही हैं.
वह कहती हैं, “इन यॉट्स को संभालने और बनाए रखने से जुड़े क़ानूनी मसले ऐसे हैं, जिनकी इन सरकारों ने कभी उम्मीद नहीं की थी.”
सुपरयॉट्स के रख-रखाव का ख़र्च बहुत ज़्यादा होता है. आम तौर पर उनकी कुल क़ीमत का कम-से-कम 10 फ़ीसद हर साल. इसका मतलब है कि हर साल करोड़ों पाउंड खर्च होते हैं और बड़े जहाज़ों के मामले में यह कई दर्जन करोड़ पाउंड तक पहुँच सकता है.
फ़िनली कहती हैं, “यह सरकारों के लिए बहुत महंगा पड़ रहा है.”
‘फ़ाई’ के मालिक पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगे हैं, इसलिए उसका रख-रखाव वह ख़ुद कर रहे हैं. लेकिन दुनिया भर में कई सुपरयॉट्स ऐसे लोगों की हैं जिन पर प्रतिबंध हैं और स्थानीय क़ानूनों के तहत वे अपने जहाज़ों के रख-रखाव के लिए पैसे नहीं दे सकते.
इटली में, मार्च 2022 से अब तक अधिकारियों ने 600 मिलियन डॉलर की सेलिंग यॉट ‘ए’ को संभालने में 23 मिलियन पाउंड से ज़्यादा ख़र्च किए हैं, जिसके मालिक पर आर्थिक प्रतिबंध हैं. देश में कई छोटी रूसी सुपरयॉट्स भी हिरासत में हैं.
अमेरिका में 106 मीटर लंबी ‘अमाडेआ’ को हिरासत में रखने में सरकार को 30 मिलियन डॉलर से ज़्यादा का ख़र्च आ चुका है.
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सैन डिएगो में हिरासत में रखी गई सुपरयॉट अमाडेआ को बेचने की योजना वहां के अधिकारियों ने बनाई थी, ताकि रख-रखाव पर होने वाले भारी ख़र्च की भरपाई की जा सके और यूक्रेन युद्ध में मदद के लिए धन जुटाया जा सके.
लेकिन इस योजना में बार-बार देरी हो रही है, क्योंकि इस पर क़ानूनी लड़ाई चल रही है कि यह यॉट आधिकारिक रूप से किसकी संपत्ति है.
यूक्रेन के अधिकारियों को भी ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 2022 से उन्होंने क्रोएशिया में हिरासत में रखी रूस से जुड़ी सुपरयॉट रॉयल रोमांस को बेचने की कोशिश की, लेकिन अब तक सफल नहीं हो पाए.
अब तक सिर्फ़ एक सुपरयॉट को ही उस सरकार के अनुरोध पर बेचा जा सका है, जिसने उसे हिरासत में लिया था.
अल्फ़ा नीरो का रख-रखाव एंटीगा और बारबुडा सरकार को हर हफ़्ते 28 हज़ार डॉलर का पड़ रहा था. इसके बाद इस द्वीपीय देश की सरकार ने इसे बेचने का फ़ैसला किया और यह 40 मिलियन डॉलर में एक तुर्की अरबपति ने ख़रीदी.
लेकिन अब इस सौदे पर भी विवाद है. एक प्रतिबंधित रूसी उद्योगपति की बेटी का कहना है कि यह सुपरयॉट उसकी थी. उसने नए मालिक और एंटीगा सरकार पर मुक़दमा कर दिया है.
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज़ इंस्टीट्यूट के टॉम कीटिंग का मानना है कि सुपरयॉट्स को ज़ब्त करने की कार्रवाई ने पश्चिमी सरकारों का ध्यान उन असरदार क़दमों से हटा दिया, जो सीधे रूस की सैन्य वित्तीय व्यवस्था पर चोट कर सकते थे.
टॉम कीटिंग कहते हैं, “क्या ओलिगार्क पर कार्रवाई करना सही था? शायद हां. लेकिन क्या सब कुछ सिर्फ़ ओलिगार्क के बारे में कर देना सही था? बिल्कुल नहीं. हमें पहले दिन से उन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए था जो वाक़ई मायने रखती थीं.”
क़ानूनी जटिलताएं ही शायद ख़रीदारों को आगे आने से रोक रही हैं, क्योंकि ऐसी यॉट्स के मालिकाना हक़ को दुश्मन देश मान्यता न दें.
कीस्टोन लॉ के प्रमुख और सुपरयॉट से जुड़े मामलों के वकील बेंजामिन माल्ट्बी कहते हैं, “संभव है कि कोई यॉट बिकने के बाद दूसरी न्यायिक सीमा में पहुंचे और वहां के पोर्ट अधिकारी कह दें: ‘आप मालिक नहीं हैं’.”
वह आगे कहते हैं, “क़ानून के पीछे राजनीति और राजनेता होते हैं और उनके अपने फ़ैसले.”
‘फ़ाई’ की हालत पर कैप्टन बूथ की चिंता
ब्रिटेन में मौजूद कैप्टन बूथ कहते हैं कि साउथ डॉक में ‘फ़ाई’ की लगातार हिरासत उन्हें चिंतित कर रही है, क्योंकि यहां न तो ठीक-ठाक पोर्ट सुविधाएं हैं और न ही मरीन से जुड़ी व्यवस्थाएं. इसकी वजह से यह आधुनिक सुपरयॉट धीरे-धीरे ख़राब हालत में जा रही है.
वह कहते हैं, “सबसे ख़राब स्थिति होगी अगर जहाज़ पर बिजली के कारण आग लग जाए.”
वह बताते हैं कि पहली यात्रा के बाद से ही इसमें शुरुआती तकनीकी समस्याएं बनी हुई हैं.
कैप्टन बूथ कहते हैं, “अगर आग लगी तो वह बहुत जल्दी फैल जाएगी. एल्यूमिनियम 3,500 डिग्री सेल्सियस पर जलता है. फिर यह नाव डूब जाएगी.”
कैनरी व्हॉर्फ़ में ‘फ़ाई’ को रखने के ख़तरे पर सवाल पूछे जाने पर, ब्रिटेन के परिवहन विभाग ने बयान दिया कि क़ानूनी कार्यवाहियों के कारण कप्तान बूथ के दावों पर टिप्पणी करना संभव नहीं है.
डॉक का प्रबंधन कर रही कैनाल एंड रिवर ट्रस्ट का कहना है, “हार्बर मास्टर इस जहाज़ की स्थिति को लेकर परिवहन विभाग से स्पष्टता पाने की कोशिश जारी रखे हुए है. हमारी प्राथमिकता वेस्ट इंडिया डॉक्स का सुरक्षित और सुचारू संचालन है.”
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ‘फ़ाई’ का भविष्य तय कर सकता है. लेकिन बाकी रूसी सुपरयॉट्स का क्या होगा और उनका रख-रखाव कौन करेगा, यह फिलहाल तय होता नहीं दिख रहा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
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