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बचपन से हम सब पढ़ते आ रहे हैं कि हम सांस लेते समय ऑक्सीजन लेते हैं और सांस छोड़ते वक्त कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकालते हैं. कार्बन डाई ऑक्साइड आग बुझाने में भी मदद करती है. फिर ऐसा क्यों है कि जब हम जलती हुई आग पर फूंक मारते हैं तो वह और भड़क जाती है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
क्यों होता है ऐसा?
हम जब सांस लेते हैं उसमें लगभग 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 1% आर्गन और 0.04% कार्बन डाइऑक्साइड होती है. लेकिन जब हम सांस छोड़ते हैं तो उसमें 13.6-16% ऑक्सीजन और 4-5.3% कार्बन डाइऑक्साइड होती है. फूंक मारने की प्रक्रिया में हम हवा को तेजी से आग की ओर धकेलते हैं. फूंक मारते समय सबसे ज्यादा और तेजी से ऑक्सीजन निकलती है जो आग को और तेजी से जलने में मदद करती है. आपको बता दें कि आग को जलने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है ईंधन, गर्मी, और ऑक्सीजन. फूंक मारने से आग को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है, जिससे वह और तेजी से जलने लगती है.
कार्बन डाइऑक्साइड का क्या होता है?
अब आप सोच रहे होंगे कि सांस में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड का क्या होता है? क्या वह आग को बुझाने में मदद नहीं करता? तो इसका जवाब है कि सांस में CO₂ की मात्रा इतनी कम होती है कि वह आग को बुझाने में कोई खास प्रभाव नहीं डालता. आग बुझाने वाले यंत्रों में CO₂ का इस्तेमाल होता है, लेकिन वहां CO₂ को बहुत अधिक मात्रा में छोड़ा जाता है, जो आग के आसपास ऑक्सीजन को हटाकर उसे बुझा देता है. लेकिन हमारी सांस छोड़ते समय CO₂ की मात्रा इतनी कम होती है कि वह इस प्रक्रिया में बेअसर रहती है.
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[SAMACHAR]
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