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Eknath Shinde On Shiv Sena Foundation Day: शिवसेना के 59वें स्थापना दिवस के मौके पर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हमारी शिवसेना असली है और हमारे साथ जनता का आशीर्वाद है. एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बिना नाम लिए बिका हुआ तक कह दिया.

एकनाथ शिंदे ने कहा, “हमारी शिवसेना का 59वां स्थापना दिवस है. आज कहीं और भी एक सभा चल रही है. लेकिन यह सभा (हमारी) बालासाहेब के विचारों की है और दूसरी सभा सत्ता के लिए मजबूर और बिका हुआ लोगों की है. असली शिवसेना हमारी है. हमारे पास धनुष-बाण का चिन्ह है और जनता का आशीर्वाद भी. 59 वर्षों में शिवसेना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.”

उद्धव ठाकरे पर किया पलटवार
उद्धव ठाकरे के ‘आओ मुझे मारो’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा, “मतलब हम मारेंगे और फिर लौट भी जाएंगे. बाघ की खाल ओढ़ने से कोई बाघ नहीं बनता. ताकत कलाई में होनी चाहिए. सिर्फ मुंह की भाप मत उड़ाओ. हमारे चक्कर में मत पड़ो. तुम्हारी बग्गी पलट दी और घोड़े भाग गए. हम बाला साहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं.”

‘जनता ने दिया जवाब’
डिप्टी सीएम शिंदे ने कहा, ‘आज देश में बालासाहेब के विचारों वाली शिवसेना फैल रही है. 7 राज्यों के पदाधिकारी मुझसे मिले हैं और अन्य राज्यों के नेता भी शिवसेना में शामिल होना चाहते हैं. विधानसभा की 3 चुनावों में क्या हुआ. हमने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा और 63 सीटें जीतीं. 2019 में 124 सीटों पर लड़े और 54 जीते. 2024 में 80 सीटों पर लड़े और 60 जीते. उबाठा (उद्धव ठाकरे) ने 90 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 20 जीते.उन्हें हमारे पार्टी के 1/3 वोट भी नहीं मिले. महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें जवाब दे दिया. जो सीटें उन्होंने जीतीं, वो भी कांग्रेस की मेहरबानी से. क्योंकि असली शिवसैनिकों ने उबाठा को टाटा-बाय-बाय कह दिया. जनता ने उनकी हालत खराब कर दी.’

‘उनके पास सिर्फ अंहकार’
उन्होंने ये भी कहा, “हमारे पास आत्मविश्वास है, उनके पास सिर्फ अहंकार. जिस कांग्रेस का बालासाहेब ने विरोध किया था, उसी की गोदी में कुछ लोग सत्ता के लिए बैठ गए. सत्ता के लिए उन्होंने लाचारी अपनाई. बालासाहेब और उनके विचारों के साथ विश्वासघात किया. मराठी मानुष और हिंदुत्व के साथ भी धोखा किया. गिरगिट भी रंग बदलता है, लेकिन इतनी तेजी से रंग बदलने वाला गिरगिट देश ने पहली बार देखा. मुख्यमंत्री पद के लिए जो लोग मजबूर हो गए, वो क्या आगे बालासाहेब के विचारों को लेकर चलेंगे? खुद को वारिस कहने वालों ने ही लाचारी को गले लगाया.”

‘हिंदूओं के साथ नहीं होने देंगे विश्वसाघात’
एकनाथ शिंदे ने ये भी कहा, “कितने उतावले हो गए हैं, मुझसे मुकाबला करने चले हैं? इंसान की हालत कब बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. आज जो हालत हुई है, वह सत्ता के मोह और लाचारी का ही नतीजा है. हिंदुओं के साथ अंतिम रक्त की बूंद तक विश्वासघात नहीं होने देंगे.”

[SAMACHAR]

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