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Bike Taxi Ban: मुंबई जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में बाइक टैक्सी एक राहत भरा विकल्प मानी जाती हैं, लेकिन अब इन सेवाओं पर कानूनी तलवार लटक रही है. महाराष्ट्र पुलिस ने Uber और Rapido जैसी बड़ी कंपनियों के खिलाफ बिना परमिट बाइक टैक्सी चलाने के मामले में केस दर्ज किया है. इससे संकेत मिलता है कि कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र में भी बाइक टैक्सी सेवाएं बंद हो सकती हैं.
क्या है पूरा मामला?
मुंबई पुलिस और RTO अधिकारियों ने Uber और Rapido की सेवाओं की जांच की. उन्होंने खुद राइड बुक की और पाया कि जिन बाइकों पर सफेद नंबर प्लेट लगी थी (जो कि केवल निजी उपयोग के लिए होती है), उन्हीं से कमर्शियल पैसेंजर राइड्स करवाई जा रही थीं. यह मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का सीधा उल्लंघन है, जिसमें सफेद नंबर प्लेट वाली गाड़ियों का व्यावसायिक उपयोग गैरकानूनी माना गया है.
बाइक टैक्सी की क्यों बढ़ रही है लोकप्रियता ?
बड़े महानगरों में बाइक टैक्सी की मांग तेजी से बढ़ी है. इसकी सबसे बड़ी वजह- ट्रैफिक से बचाव, कम किराया, मेट्रो स्टेशन या ऑफिस तक जल्दी पहुंचने की सुविधा और युवाओं के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता है. खासकर मुंबई जैसे शहरों में हर दिन हजारों लोग बाइक टैक्सी से यात्रा करते हैं क्योंकि यह सस्ता और बेहतर साधन है.
कानूनी स्थिति क्या कहती है?
भारत में अभी तक बाइक टैक्सी के लिए कोई स्पष्ट कानूनी श्रेणी तय नहीं की गई है. इसका मतलब है कि सफेद नंबर प्लेट वाली बाइक से किसी भी तरह का कमर्शियल संचालन करना गैरकानूनी है. कंपनियां जैसे Uber और Rapido भले ही खुद को सिर्फ एक “टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म” बताएं, लेकिन कानूनी दृष्टिकोण से यह तर्क कोर्ट में स्वीकार नहीं किया जाता.
‘पार्सल ट्रिक’ अब काम नहीं आ रही
Rapido जैसी कंपनियों ने नियमों से बचने के लिए एक तरीका निकाला, जिसमें वे सवारी को ही “पार्सल” घोषित करती थीं और दावा करती थीं कि वे सिर्फ पार्सल डिलीवरी कर रही हैं. लेकिन अब सरकार और अदालतें इस तरह की चालाकी को पहचानने लगी हैं और इसे मान्यता नहीं देतीं.
ऑटो और टैक्सी यूनियन्स का विरोध
ऑटो और टैक्सी यूनियनों का कहना है कि जब वे कमर्शियल टैक्स, इंश्योरेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट और परमिट फीस भरते हैं, तो बाइक टैक्सी चलाने वालों को इस छूट का लाभ क्यों मिले? यही वजह है कि कर्नाटक में यूनियन के दबाव के चलते सरकार ने कड़ा एक्शन लिया और अब महाराष्ट्र सरकार भी इसी दिशा में कदम उठा रही है.
आगे क्या हो सकता है?
कुछ राज्य के हाई कोर्ट ने सरकारों को पहले ही आदेश दिया है कि वे बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए स्पष्ट नीति बनाएं, लेकिन अब तक प्रगति बहुत धीमी रही है.
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[SAMACHAR]
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