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Israel Iran War: जंग तो खुद ही एक मसला है जंग क्या मसलों का हल देगी… ये लाइन आपने कभी न कभी जरूर सुनी होगी, जिसका सीधा मतलब ये है कि जंग अपने आप में तबाही की तरफ धकेलने का काम करती है. कई देश सालों तक जंग में रहते हैं और अपने लोगों की जान दांव पर लगाते हैं, साथ ही आर्थिक तौर पर भी कई साल पीछे चले जाते हैं. जंग भले ही किसी के लिए हार और जीत का मसला हो, लेकिन ये हर तरह से नुकसान पहुंचाने का काम करती है. दुनियाभर के तमाम देशों में चल रही हलचल का परिणाम भी हम सबको भुगतना पड़ रहा है. ये लड़ाई हमारी धरती को भी लगातार बीमार करने का काम कर रही है.
जंग पहुंचा रही नुकसान
पिछले कुछ सालों से रूस-यूक्रेन, इजरायल-गाजा और अब ईरान और इजरायल के बीच जंग छिड़ी हुई है. कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच भी खूब तनातनी देखने के लिए मिली थी. अब इन तमाम लड़ाइयों को लेकर एक स्टडी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि कैसे जंग न सिर्फ लोगों को दर्द दे रही हैं, बल्कि हमारे वातावरण और धरती को भी नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है.
स्टडी में हुआ खुलासा
यूके और यूएस के रिसर्चर्स ने एक स्टडी में बताया है कि जंग में इस्तेमाल होने वाला बारूद और सैन्य वाहन पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा जिन बिल्डिंगों को तबाह किया जाता है, उनसे निकलने वाली गैसों से भी पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो रहा है. अगर ये लगातार चलता रहा तो हमारी पूरी धरती के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है और इससे उबर पाना बेहद मुश्किल होगा.
लगातार हो रहा है कार्बन उत्सर्जन
स्टडी में बताया गया है कि बमबारी से इतना कार्बन उत्सर्जन हो रहा है कि ये जंग के बाद भी लोगों को मारने के लिए काफी है. इसके अलावा आसपास मौजूद देशों के लिए भी ये बेहद खतरनाक है. गाजा पर हुई इजरायली बमबारी से 713 टन कार्बन उत्सर्जन की बात कही गई है. इतना कार्बन पॉल्यूशन कई देश मिलकर भी नहीं फैला पाते हैं. इसके अलावा टैंक और अन्य सैन्य वाहनों से भी हजारों टन कार्बन उत्सर्जन देखा गया है. कुल मिलाकर दुनियाभर में जंग का माहौल हमारी धरती में जहर घोलने का काम कर रहा है.
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[SAMACHAR]
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