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Garuda Purana: मृत्यु अटल है इसे कोई नहीं टाल सकता, हालांकि ये जानना असंभव है कि किसकी मृत्यु कब और कैसे होगी लेकिन गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को कर्मों के अनुसार, फल भोगना पड़ता है. उसकी मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिलेगा या नर्क ये उसके कर्म तय करते हैं.
अकाल मृत्यु कैसे होती है ?
अकाल मृत्यु से हर व्यक्ति को भय रहता है. अकाल मृत्यु यानी समय से पहले व्यक्ति की मौत हो जाना. अगर किसी की मृत्यु भूख से पीड़ित होकर, हिंसक प्राणी द्वारा, फांसी लगाकर, जहर पीकर, आग से जलने, जल में डूबने, सांप के काटने, किसी दुर्घटना के कारण या फिर आत्महत्या करने से होती है तो वह अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है. गुरुण पुराड़ में बताया है कि कौन से ऐसे कार्य हैं जिनके करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का दंड भोगना पड़ता है आइए जानते हैं.
किन लोगों को मिलती है अकाल मृत्यु ?
पराई स्त्री-पुरुष से संबंध – गरुड़ पुराण के अनुसार शादी के बाद पति या पत्नी अगर किसी पराए पुरुष या स्त्री से संबंध रखती है तो उसे अकाल मृत्यु भोगना पड़ती है.
इन जगह को अपवित्र करना – गरुड़ पुराण कहता है कि तीर्थ स्थल, मंदिर या पवित्र नदी को गंदा करना. इन पवित्र जगह पर कुकर्म करने वालों की उम्र कम हो जाती है और वह अकाल मृत्यु को भोगी बनते हैं.
ये काम बनते हैं असमय मौत का कारण- जीवन में किए कई महादोषों के कारण व्यक्ति की आयु क्षीण हो जाती है और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं.जैसे माता-पिता, गुरु, साधु-संतों का अपमान करना,बुजुर्गों को सताना, दूसरों को धन-तन-मन से परेशान करना, धर्म नियमों की अनदेखी करने वाले जल्द ही मृत्यु के निकट जाते हैं.
अकाल मृत्यु के बाद क्या होता है ?
जिन लोगों की मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई हो उनकी आत्मा को 40 दिन के अंदर दूसरा शरीर मिल जाता है लेकिन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्ति की आत्मा अनिश्चित काल तक भटकती रहती है. ऐसे में न सिर्फ उस आत्मा को बल्कि परिजन को भी इसका दोष भोगना पड़ता है.
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