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RSS senior leader Indresh Kumar statement on india pakistan border and buddhism in tibbet

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Indresh Kumar On India-Pakistan Border: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने रविवार (15 जून) को हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक बड़ा बयान दिया है. उनके बयानों ने संकेत दिया कि आने वाले समय में भारत-पाकिस्तान की सीमा में बड़ा बदलाव हो सकता है, जो कच्छ से लेकर लद्दाख तक 100-150 किलोमीटर पाकिस्तान के भीतर तक खिसक सकती है. 

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), सिंध, बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और पख्तूनिस्तान जैसे इलाके इस्लामाबाद के खिलाफ बगावत कर सकते हैं और या तो भारत में विलय चाहेंगे या स्वतंत्रता की राह चुन सकते हैं.

इंद्रेश कुमार ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए बयान में कहा, “एक बात का इंतजार कीजिए, ऐसा भी हो सकता है कि भारत-पाकिस्तान की सीमा कच्छ और लद्दाख से 100-150 किमी पाकिस्तान के अंदर खिसक जाए. उस समय एक ओर पाकिस्तान रहेगा और दूसरी ओर वे हिस्से जो आज पाकिस्तान के कब्जे में हैं, लेकिन स्वतंत्रता या भारत से जुड़ाव की मांग करेंगे- जैसे PoK, बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित-बाल्टिस्तान.” 

बौद्ध की पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा चीन- इंद्रेश कुमार 
इंद्रेश कुमार ने चीन पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वह तिब्बत और कैलाश मानसरोवर के बाद अब हिमालय क्षेत्र के बौद्ध समुदायों की पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा है. पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि चीन तिब्बत सहित हिमालयी क्षेत्र में बौद्धों की पहचान और उनकी संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन तिब्बती और हिमालयी बौद्ध लड़कियों की जबरन चीनी युवकों से शादियां करवा रहा है.

उन्होंने कहा कि चीन ने हाल ही में घोषणा की है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा करेगा, जिसे पूरी दुनिया को मिलकर विरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि तिब्बती और अन्य जगहों के बौद्ध अपने धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैंने लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के तिब्बती मठों और क्षेत्रों का दौरा कर वहां के लोगों से बात कर के बौद्धों और सनातनी हिंदुओं से एकजुट रहने का आह्वान किया.” 

धर्म परिवर्तन और आतंकवाद पर इंद्रेश कुमार ने क्या कहा?

धार्मिक परिवर्तन और आतंकवाद को लेकर भी उन्होंने तीखा बयान दिया. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण से व्यक्ति की पहचान, नाम और संस्कृति बदल जाती है, जिससे समाज में दरार आती है. उन्होंने चेताया कि “धर्मांतरण मानवता का पतन है, न कि प्रगति.”

उन्होंने आतंकवाद को किसी धर्म से न जोड़ने की सलाह दी, लेकिन उन लोगों की आलोचना की जो आतंकियों के लिए जनाजे निकालते हैं या उनका समर्थन करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी गलत नीतियों के कारण भारत ने तिब्बत, कैलाश और अक्साई चिन जैसे अहम भूभाग खो दिए.

शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने शिपकी-ला पास पर पर्यटकों की बढ़ती मौजूदगी का समर्थन करते हुए कहा, “हमें अपनी सीमाओं को मजबूत करना होगा. भारत सरकार ने चीन के द्वारा तिब्बत और हिमालय हड़पने के बाद जो सीमा बना ली है, वह सीमा चीन की नहीं है, वो सब नाजायज कब्जा है तो चीन को उसे खाली करना चाहिए.” वहीं उन्होंने ये भी कहा, “जब भारतीय पर्यटक वहां जाएंगे और सीमा देखेंगे जो तिब्बत की है लेकिन चीन ने हड़पी है तो एक रोष जन्म लेगा.”

[SAMACHAR]

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