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4 घंटे पहले
शुक्रवार को इसराइल के ईरान पर हमलों के बाद मध्य-पूर्व में तनाव और ज्यादा बढ़ गया है.
कतर, सऊदी अरब और ओमान समेत मध्य-पूर्व के कई देशों ने इसराइल के ईरान पर किए गए हमलों की निंदा की है.
कतर ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर इसराइल के उल्लंघन के खतरों की चेतावनी दी. वहीं सऊदी अरब ने ईरान पर इसराइल के हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है.
शुक्रवार को इसराइल ने ईरान पर हमले शुरू किए. ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक इन हमलों में 78 लोगों की मौत हुई है और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए इसराइल पर हमले शुरू कर दिए हैं.
कतर ने क्या कहा?
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कतर के विदेश मंत्रालय ने इसराइल के ईरान पर किए गए हमलों की निंदा करते हुए कहा है कि ये ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा का घोर उल्लंघन है.
कतर ने कहा कि इसराइल ने ऐसा कदम तब उठाया है जब दुनिया भर के देश मध्य पूर्व में शांति बहाल करने के लिए कूटनीतिक समाधान तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.
कतर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसराइल को रोकने की अपील की है. कतर के विदेश मंत्रालय का कहना है कि अगर इसराइल को रोकने में देरी की गई तो मध्य-पूर्व में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
कतर का कहना है कि इससे शांति की संभावनाएं खत्म हो सकती हैं. कतर ने ये भी कहा है इसराइल का ये कदम मध्य-पूर्व के साथ वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालने वाला है.
संयुक्त राष्ट्र में कतर के स्थायी प्रतिनिधि जसीम याकूब अल हम्मादी ने वियना में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसराइल को रोकने के लिए दबाव बनाना चाहिए.
सऊदी अरब ने क्या कहा?
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सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इसराइल के ईरान पर हमलों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी किया है.
सऊदी अरब ने कहा कि वो इसराइल के ईरान पर हमलों की निंदा करता है. ये हमले ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करते हैं और ये अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन कॉल होने की जानकारी भी दी है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मोहम्मद बिन सलमान ने राष्ट्रपति ट्रंप से इसराइल के ईरान पर हमलों और मध्य-पूर्व के ताजा हालात पर बात की है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि शांति के लिए कूटनीतिक रास्ते अपनाए जाने चाहिए.
ओमान और कुवैत क्या बोले?
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ओमान के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि वो इसराइल के ईरान पर हमलों की निंदा करता है.
ओमान के विदेश मंत्रालय ने कहा, “ओमान इसराइल के हमलों को खतरनाक मानता है और ये अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है. ये अस्वीकार्य है और इससे मध्य-पूर्व की स्थिरता कमजोर होती है.”
“ये हमले ऐसे वक्त में हुए हैं जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता फिर से शुरू होने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास तेज हैं. ये साफ तौर पर कूटनीतिक प्रक्रिया में बाधा डालने और व्यापक संघर्ष को भड़काने के इरादे को दिखाता है. इसके क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर परिणाम होंगे.”
ओमान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले प्रयासों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए.
वहीं कुवैत के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कुवैत इसराइल के ईरान पर किए गए हमलों की कड़ी निंदा करता है.
कुवैत के विदेश मंत्रालय ने कहा, “ये ईरान की संप्रभुता पर हमला है और इससे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता खतरे में आई है. इसराइल का कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है.”
“कुवैत विशेष रूप से सुरक्षा परिषद से इन उल्लंघनों को रोकने में अपनी जिम्मेदारियों को इस तरह से निभाने का आह्वान करता है जिससे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे.”
तुर्की और इराक ने क्या कहा?
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तुर्की के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हम ईरान पर इसराइल के हवाई हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.
जारी बयान में कहा गया, “यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है और ये उकसावे की कार्रवाई भी है जो इस क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाने की इसराइल की नीति को बढ़ावा देती है.”
“ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता के दौरान इन हमलों से साफ संकेत मिलता है कि नेतन्याहू सरकार कूटनीतिक माध्यमों से किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए तैयार नहीं है. इसराइल अपने हितों के लिए क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति को जोखिम में डालने से हिचकता नहीं है.”
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा, “इसराइल को अपनी आक्रामक कार्रवाइयों को तुरंत रोकना चाहिए जो व्यापक संघर्षों को जन्म दे सकती हैं. हम मध्य-पूर्व में विनाश नहीं देखना चाहते हैं. हम युद्ध को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं.”
वहीं इराक सरकार ने भी इसराइल के कदम को मध्य-पूर्व की सुरक्षा और शांति के लिए खतरा कहा है.
इराक सरकार के प्रवक्ता बसीम अलवादी ने कहा, “इराक सरकार ईरान के क्षेत्र में याहूदी शासन के सैन्य हमले की कड़ी निंदा करती है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मूल सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है.”
“ये अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. खासकर तब जब अमेरिका और ईरान के बीच वार्ता चल रही है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अंतरराष्ट्रीय कानून के इस खुलेआम उल्लंघन के सामने मूकदर्शक बनकर नहीं रहना चाहिए. इराक सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपील करती है कि वो तुरंत बैठक बुलाए और इस आक्रमण को रोकने के तुरंत कदम उठाए.”
पाकिस्तान ने क्या कहा
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इसराइल के ईरान पर किए गए हमलों की निंदा की है.
शहबाज़ शरीफ़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं इसराइल के आज ईरान पर बेवजह किए गए हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. मैं इन हमलों में मारे गए ईरान के लोगों के प्रति गहरी संवेदना जाहिर करता हूं.”
“यह गंभीर और बेहद गैर-ज़िम्मेदाराना काम है और बेहद चिंताजनक भी है. इससे पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा होने का खतरा है.”
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, “हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हैं कि वे क्षेत्रीय और वैश्विक शांति को खतरे में डालने वाली किसी भी वजह को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
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