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5 घंटे पहले
गुरुवार को लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. एयर इंडिया ने बताया कि विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई है, जबकि एक ब्रिटिश नागरिक बच गया है और उनका इलाज चल रहा है.
यह भारत के इतिहास में सबसे दर्दनाक विमान दुर्घटनाओं में से एक है.
इससे पहले साल 1996 में दिल्ली के पास चरखी-दादरी में दो विमान हवा में टकरा गए थे, जिसमें तीन सौ से अधिक लोग मारे गए थे.
एयर इंडिया की फ्लाइट 171, बोइंग 787 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी. इसमें सवार यात्री भारत के कई राज्यों और विदेशों से थे.
विमान में सवार चालक दल का कोई भी सदस्य जीवित नहीं बचा.
मुख्य पायलट और सह-पायलट सहित चालक दल के सात सदस्य मुंबई से थे, जबकि एक पिंपरी चिंचवाड़ से था.
वे सभी अनुभवी थे और उन्हें इस क्षेत्र में कई सालों का अनुभव था.
विमान में चालक दल के सदस्य पायलट सुमित सबरवाल, सह-पायलट क्लाइव कुंदर, अपर्णा महादिक, मैथिली पाटिल, दीपक पाठक, रोशनी संघारे और साइनिता चक्रवर्ती थे.
सुमित सबरवाल, पायलट
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60 साल के कैप्टन सुमित सबरवाल अपने 88 साल के पिता पुष्पराज सबरवाल के साथ मुंबई के पवई में ‘जलवायु विहार’ सोसाइटी में रहते थे.
सबरवाल एक अनुभवी पायलट थे, जिन्हें आठ हज़ार घंटे से ज़्यादा उड़ान का अनुभव था.
उनके एक पड़ोसी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सुमित लंबे करियर के बाद रिटायर होने वाले थे.
उन्होंने अगले कुछ महीनों में रिटायर होकर अपने पिता के साथ स्थायी रूप से रहने की योजना बनाई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सुमित 1994 से पायलट के तौर पर काम कर रहे थे. खुद पायलट होने के अलावा उन्होंने कई युवा पायलटों को ट्रेनिंग भी दी.
हाल ही में कोरोना काल में उनकी मां का निधन हो गया था. उनकी बहन दिल्ली में रहती हैं. उनकी बहन के दो बेटे भी पायलट बन चुके हैं और इसी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.
सबरवाल के कुछ रिश्तेदार उनका शव लेने और आगे की कार्यवाही के लिए अहमदाबाद गए हैं. हालांकि, उनके बुजुर्ग पिता अपने बेटे को खोने से गहरे सदमे में हैं.
क्लाइव कुंदर, सह-पायलट
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सुमित सबरवाल के सह-पायलट क्लाइव कुंदर थे. हालांकि वो सबरवाल से उम्र में छोटे थे, लेकिन उन्हें भी ऐसे ड्रीमलाइनर उड़ाने का पेशेवर अनुभव था.
उन्हें लगभग 1,500 घंटों की उड़ान का अनुभव था. क्लाइव की भी इस विमान दुर्घटना में मौत हो गई.
अभिनेता विक्रांत मैसी का संबंध क्लाइव के परिवार से है. उन्होंने इस हादसे को लेकर इंस्टाग्राम पर दुख जाहिर किया.
विक्रांत ने लिखा, “मेरे चाचा क्लिफोर्ड कुंदर ने इस दुर्घटना में अपने बेटे को खो दिया. क्लाइव कुंदर इस दुर्भाग्यपूर्ण विमान में फर्स्ट ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे.”
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक क्लाइव का परिवार मूल रूप से कर्नाटक के मैंगलोर का रहने वाला है, लेकिन कई साल पहले वे मुंबई आ गए थे.
क्लाइव की मां भी एयर इंडिया में केबिन क्रू के रूप में काम करती थीं.
मुंबई में पढ़ाई करने के बाद क्लाइव ने अमेरिका के फ्लोरिडा में अपनी कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग पूरी की. उन्होंने अपने कमर्शियल करियर की शुरुआत से लेकर अब तक 1100 घंटे की उड़ान पूरी की.
क्लाइव के रिश्तेदारों ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक उनके माता-पिता फिलहाल अपनी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया चले गए हैं.
मैथिली पाटिल, केबिन क्रू
मैथिली पाटिल पनवेल के न्हावा गांव की निवासी हैं और दो साल पहले एयर इंडिया में चालक दल की सदस्य के रूप में शामिल हुई थीं.
विमान दुर्घटना की खबर मिलते ही उनकी मां, चाचा और भाई अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए.
मैथिली के परिवार में पांच सदस्य शामिल हैं और वो तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं.
मैथिली पाटिल के पिता पनवेल के पास ओएनजीसी कंपनी में काम करते हैं. उन्होंने बहुत मुश्किल हालात में तीनों बच्चों को पढ़ाया है. इस घटना के बाद वह भी सदमे में हैं.
न्हावा गांव के टी.एस. रहमान स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई करने वाली मैथिली का बचपन से ही एयरहोस्टेस बनने का सपना था.
मैथिली ने बहुत ही साधारण परिस्थितियों में पढ़ाई की है. दो साल पहले उन्होंने एविएशन की पढ़ाई पूरी की और एयर इंडिया में नौकरी शुरू की.
मैथिली पाटिल के रिश्तेदार और न्हावा गांव के पूर्व सरपंच जितेंद्र म्हात्रे ने बीबीसी मराठी को मैथिली के बारे में जानकारी दी.
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बीबीसी मराठी से बात करते हुए जितेंद्र पाटिल ने कहा, “हम इस घटना से स्तब्ध हैं कि हमारी बेटी कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई करने के बाद एयर होस्टेस बन गई. बेहद कठिन परिस्थितियों में हमारी बेटी ने पढ़ाई कर एयर होस्टेस बनने का अपना सपना पूरा किया.”
“हमें इस घटना पर यकीन नहीं हो रहा है. हमारे कुछ लोग अहमदाबाद गए हैं. सरकार-प्रशासन से हमारी यही विनती है कि हमारे परिवार का सदस्य वापस नहीं आएगा, लेकिन परिवार को सहयोग दिया जाए.”
जिस स्कूल में मैथिली पढ़ती थीं, उसके प्रिंसिपल डेज़ी पॉल ने बताया कि कुछ दिन पहले मैथिली स्कूल आई थीं और उन्होंने छात्रों को विमानन क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में मार्गदर्शन दिया था.
उन्होंने कहा, “मैथिली पाटिल बहुत शांत, अनुशासित और होनहार लड़की थी. उन्होंने कक्षा एक से 12 तक की शिक्षा हमारे स्कूल से हासिल की.”
डेज़ी पॉल ने कहा, “दो महीने पहले स्कूल ने पूर्व छात्रों को आमंत्रित किया था. वह तब आईं. उन्होंने वर्तमान छात्रों का मार्गदर्शन किया और उन्हें एयर होस्टेस के रूप में करियर के अवसरों के बारे में बताया.”
दीपक पाठक, केबिन क्रू
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों में बदलापुर के 34 साल के दीपक पाठक भी शामिल थे.
वह पिछले 11 सालों से एयर इंडिया में केबिन क्रू के रूप में काम कर रहे थे.
दीपक पाठक बदलापुर के रहने वाले थे. हालांकि, उनका बचपन मुंबई के परेल इलाके में बीता. उनकी स्कूली शिक्षा परेल इलाके में हुई और कॉलेज की पढ़ाई बदलापुर के आदर्श कॉलेज में हुई.
दीपक के परिवार के मुताबिक, कॉलेज के बाद दीपक एविएशन में अपना करियर बनाना चाहते थे. इसी के अनुरूप उन्होंने कदम उठाया और अपने पसंदीदा क्षेत्र में प्रवेश किया.
वह हमेशा विमान उड़ान भरने से पहले घर पर फोन करता था और हमेशा की तरह उसने लंदन की उड़ान से पहले भी घर पर फोन किया था.
उन्होंने विमान के उड़ान भरने से कुछ मिनट पहले अपना फेसबुक स्टेटस भी अपडेट किया था.
चूंकि उनके पिता घर में काम करने वाले अकेले हैं, इसलिए सभी बच्चों को पढ़ाना और घर चलाना उनके लिए बहुत मुश्किल था. दीपक पाठक के पिता बालासाहेब पाठक रेलवे की माटुंगा वर्कशॉप में काम करते थे.
दीपक पाठक की शादी चार साल पहले हुई थी. उनकी पत्नी काम के लिए नासिक गई हुई थीं. वह बदलापुर में अपने माता-पिता के पास आकर रहते थे. फिलहाल वो और उनकी पत्नी काम के लिए घाटकोपर में किराए के मकान में रह रहे थे.
दीपक की दो बड़ी बहनें भी हैं. दोनों की शादी हो चुकी है. घटना की सूचना मिलने पर दीपक की बहनें और रिश्तेदार अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए.
फिलहाल, माता-पिता और अन्य रिश्तेदार बदलापुर स्थित घर पर मौजूद हैं, लेकिन वो बात करने की स्थिति में नहीं हैं.
दीपक के बचपन के दोस्त सार्थक सुर्वे और दीपक के पिता बालासाहेब पाठक के दोस्त शरद मातोंडकर ने बीबीसी मराठी को जानकारी दी.
सार्थक सुर्वे ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने अपने सपनों के लिए संघर्ष किया और उनका यह अंत हुआ.
दीपक के दोस्त सार्थक ने कहा, “हमें यकीन नहीं हो रहा है. दीपक बहुत मिलनसार था. वह अब तक अपने सपनों के लिए लड़ता रहा. उसकी कई चीजों में दिलचस्पी थी. वह डांस करता था, गाता था और रील भी बनाता था.”
रोशनी संघारे, केबिन क्रू
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना में डोंबिवली की 27 वर्षीय रोशनी संघारे की भी मृत्यु हो गई.
वह अपने परिवार के साथ मुंबई के पास ठाणे ज़िले के डोंबिवली में रहती थीं. उनके परिवार में उनकी माँ, पिता और छोटा भाई हैं.
संघारे परिवार इस त्रासदी से गहरे सदमे में है. रोशनी संघारे के चाचा दत्ता संघारे ने बीबीसी मराठी को बताया कि बचपन से ही रोशनी का सपना एयर होस्टेस बनने का था.
दत्ता संघारे ने कहा, “करीब पांच साल पहले रोशनी ने अपना सपना पूरा किया और एक घरेलू एयरलाइन में एयर होस्टेस के तौर पर काम करना शुरू किया. लेकिन वह एक अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन में भी काम करना चाहती थी. इसीलिए वह करीब दो साल पहले एयर इंडिया में शामिल हुई.”
रोशनी के मामा प्रवीण ने बताया कि रोशनी का संघर्ष 10 बाई 10 के कमरे में रहने से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन में एयर होस्टेस बनने तक का है.
उनके चाचा ने बताया कि रोशनी की शादी की बातचीत चल रही थी.
रोशनी की इंस्टाग्राम प्रोफाइल के मुताबिक, वह एक ब्लॉगर थीं. ‘स्काई लव्स हर’ उनकी प्रोफाइल का नाम है. रोशनी अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर काफी एक्टिव रहती हैं. इंस्टाग्राम पर उनके करीब 57 हजार फॉलोअर्स हैं.
अपर्णा महादिक, केबिन क्रू
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गोरेगांव, मुंबई की रहने वाली अपर्णा महादिक भी लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में केबिन क्रू मेंबर थीं. उन्हें भी कई सालों का अनुभव था और वे फिलहाल ‘सीनियर क्रू मेंबर’ के तौर पर काम कर रही थीं. उनके पति अमोल महादिक भी इसी फील्ड में पायलट के तौर पर काम कर रहे हैं.
40 वर्षीय अपर्णा पिछले 10 सालों से इस क्षेत्र में कार्यरत थीं. उनके परिवार में 9 साल की बेटी और पति हैं.
अपर्णा महादिक सांसद और एनसीपी (अजित पवार) के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की बहन की बहू हैं. इसलिए विमान हादसे की खबर मिलते ही राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े कई लोग गोरेगांव स्थित उनके घर पहुंच गए. अदिति तटकरे और अनिकेत तटकरे भी उनके घर पहुंचे थे.
उनके रिश्तेदार सदमे में थे और उनमें से किसी से भी सीधे बात करना संभव नहीं था.
राज्य मंत्री और महादिक परिवार के परिचित योगेश कदम ने मीडिया से कहा, “यह घटना बहुत दुखद है. महादिक और तटकरे परिवार दोनों ही शोक में हैं. हम उनके साथ हैं. एक परिवार के तौर पर और समाज के सदस्य के तौर पर.”
सैनीता चक्रवर्ती, केबिन क्रू
35 साल की सैनीता चक्रवर्ती लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में सबसे कम उम्र की क्रू मेंबर में से एक थीं. वह मुंबई के जुहू कोलीवाड़ा में रहती थीं.
सैनीता पहले एयरलाइन ‘गो एयर’ में काम करती थीं और हाल ही में ‘एयर इंडिया’ में शामिल हुई थीं.
स्कूल के एक मित्र द्वारा इंडियन एक्सप्रेस को दी गई जानकारी के अनुसार, सैनीता मुंबई में पली-बढ़ी थीं.
उन्होंने मानेकजी कूपर स्कूल से पढ़ाई की और आगे की पढ़ाई मीठीबाई कॉलेज से की.
इरफ़ान शेख़, केबिन क्रू
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22 साल के इरफ़ान शेख़ भी एयर इंडिया के विमान के चालक दल सदस्य थे.
इरफ़ान काम के सिलसिले में मुंबई में रहते थे, लेकिन उनका परिवार पिंपरी के संत तुकाराम नगर में रहता है. दो साल पहले एविएशन सेक्टर में काम करने वाले इरफ़ान को जब भी काम से फुर्सत मिलती थी, वह पिंपरी जाते थे.
आखिरी बार वह कुछ दिन पहले बकरीद के मौके पर घर गए थे.
इरफ़ान के रिश्तेदारों के मुताबिक, उन्होंने ‘एयर विस्तारा’ जॉइन की थी. लेकिन उस कंपनी के ‘एयर इंडिया’ में विलय के बाद, उन्होंने ‘एयर इंडिया’ के लिए काम करना शुरू कर दिया. इससे पहले भी वे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में काम कर चुके थे.
ज़रूरत के हिसाब से उनका काम का रोस्टर बदलता रहा. जब उन्हें पता चला कि उन्हें लंदन के लिए यह फ्लाइट लेनी है, तब वे पिंपरी में ही थे. फिर उनका परिवार उन्हें पुणे एयरपोर्ट तक छोड़ने आया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
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