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- Author, आरिफ़ शमीम
- पदनाम, बीबीसी उर्दू
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19 अप्रैल 2024
अपडेटेड 13 जून 2025
(इसराइल ने कहा है कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के इरादे से उसपर हमले किए हैं. इसराइल ने इसे ‘ऑपरेशन राइज़िंग लायन’ नाम दिया है. इसराइल के हमलों में ईरानी सेना के कुछ सीनियर कमांडर और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत होने की ख़बर है. ये कहानी पहली बार बीते साल अप्रैल में प्रकाशित हुई थी, जब ईरान ने इसराइल पर हमला किया था. ताज़ा घटनाक्रम के बाद ये कहानी अब हम दोबारा प्रकाशित कर रहे हैं)
इसराइल के ईरान पर हमलों के बाद मध्य पूर्व में तनाव का ख़तरा फिर से बढ़ गया है.
ईरान से आ रही ख़बरों के मुताबिक, देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार अली शमख़ानी भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक इसराइल ने तेहरान और दूसरे शहरों में रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इसराइल के हमले पर कहा है कि उसे सज़ा भुगतनी होगी.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “उस (ज़ाय़निस्ट) सरकार को कड़ी सज़ा की उम्मीद करनी चाहिए. ईरान की सशस्त्र सेना उन्हें सज़ा दिए बिना नहीं जाने छोड़ेगी.”
वहीं इसराइल डिफ़ेंस फोर्सेज़ यानी आईडीएफ़ ने कहा है कि ईरान की ओर से उनपर 100 के करीब ड्रोन दागे गए हैं.
ईरान या इसराइल: सैन्य ताक़त में कौन आगे
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बीबीसी ने कई स्रोतों से इसकी पड़ताल करने की कोशिश की है कि ईरान और इसराइल में से किसकी सैन्य क्षमता ज्यादा मजबूत है. हालांकि इन देशों ने अपनी कुछ सैन्य क्षमताओं को गुप्त भी रखा होगा.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज ने दोनों देशों के हथियारों, मिसाइलों और हमला करने की ताकतों की तुलना की है.
इसके लिए कई तरह के आधिकारिक और सार्वजनिक स्रोतों का इस्तेमाल किया गया है.
कुछ अन्य संगठन जैसे स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट भी देशों की सैन्य क्षमताओं का आकलन करते हैं. लेकिन जो देश अपनी सैन्य क्षमताओं के आंकड़े जाहिर नहीं करते उनका सटीक आकलन मुश्किल है.
हालांकि पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निकोलस मार्स कहते हैं कि सैन्य क्षमता के आकलन के मामले में आईआईएसएस को बेंचमार्क माना जाता है.
आईआईएसएस के मुताबिक़ ईरान की तुलना में इसराइल का रक्षा बजट सात गुना बड़ा है.
इससे किसी भी संभावित संघर्ष में उसका पलड़ा मजबूत दिखाई पड़ता है.
आईआईएससएस के मुताबिक़ 2022 और 2023 में ईरान का रक्षा बजट 7.4 अरब डॉलर का था.
जबकि इसराइल का रक्षा बजट 19 अरब डॉलर के आसपास है.
जीडीपी की तुलना में इसराइल का रक्षा बजट ईरान से दोगुना है.
टेक्नोलॉजी में कौन आगे
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आईआईएसएस के आंकड़ों के मुताबिक़, इसराइल के पास हमले के लिए तैयार 340 लड़ाकू विमान हैं. इससे इसराइल सटीक हमले करने में मजबूत स्थिति में है. इसराइल के पास एफ-15 विमान हैं जो लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं.
इसराइल के पास छिप कर वार करने वाले एफ-35 लड़ाकू विमान भी हैं जो रडार को चकमा दे सकते हैं. उसके पास तेज हमले करने वाले हेलीकॉप्टर भी हैं.
आईआईएसएस का आकलन है कि ईरान के पास 320 लड़ाकू विमान हैं. उसके पास 1960 के दशक के लड़ाकू विमान भी हैं, जिनमें एफ-4एस, एफ-5एस और एफ-14एस जैसे विमान शामिल हैं (1986 की फिल्म टॉप गन से ये विमान मशहूर हुए थे)
लेकिन पीआरआईओ के निकोलस मार्श का कहना है कि ये साफ़ नहीं है कि इन पुराने विमानों से कितने उड़ान भरने की स्थिति में हैं. क्योंकि इनके रिपेयरिंग पार्ट्स मंगाना बहुत मुश्किल होगा.
आयरन डोम और ऐरो सिस्टम
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इसराइल की सेना की रीढ़ की हड्डी है इसका आयरन डोम (लोहे का गुंबद) और ऐरो सिस्टम.
मिसाइल इंजीनियर उज़ी रहमान देश के रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले इसराइल मिसाइल डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन के संस्थापक हैं.
अब यरूशलम इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजी एंड सिक्योरिटी में सीनियर रिसर्चर रहमान ने बीबीसी को बताया कि पिछले शनिवार को जब आयरन डोम और इसराइल के सहयोगी देशों ने मिल कर ईरान की ओर से दागी गईं मिसाइलों और ड्रोन को नाकाम कर दिया था तो उन्होंने कितना सुरक्षित महसूस किया था.
उन्होंने कहा, “मैं बहुत खुश और संतुष्ट था. लक्ष्य को भेदने में ये काफी सटीक है. इसमें छोटी दूरी का मिसाइल डिफेंस है. ऐसे किसी दूसरे सिस्टम में ये नहीं है.”
ईरान इसराइल से कितनी दूर है
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इसराइल ईरान से 2100 किलोमीटर की दूरी पर है.
डिफेंस आई के संपादक टिम रिप्ले ने बीबीसी को बताया कि अगर इसराइल को ईरान पर हमला करना होगा तो उसे मिसाइलों का सहारा लेना होगा.
ईरान का मिसाइल प्रोग्राम मध्य पूर्व का सबसे बड़ा और सबसे अधिक विविधता वाली मिसाइल परियोजना माना जाता है.
अमेरिकी सेंट्रल कमान के जनरल केनेथ मैकेंजी ने 2022 में कहा था कि ईरान के पास 3000 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.
ईरान की मिसाइलें और ड्रोन
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ईरान ने अपने मिसाइल सिस्टम और ड्रोन पर काफी काम किया है. खास कर 1980 से 1988 में पड़ोसी देश इराक़ के साथ युद्ध के दौरान उसने इस पर काम शुरू किया था.
इसने छोटी रेंज की मिसाइलें और ड्रोन विकसित किए हैं. इसराइल पर हाल के हमलों में ऐसी ही मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.
सऊदी अरब पर हूती विद्रोहियों की ओर से दागी गई मिसाइलों का अध्ययन करने वाले विश्लेषकों का कहना है कि ये ईरान में ही बने थे.
लॉन्ग रेंज अटैक का तरीका
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डिफेंस आईज के टिम रिप्ले का कहना है कि इस बात की संभावना काफी कम है कि इसराइल ईरान से जमीनी लड़ाई लड़ेगा. इसराइल की ताक़त उसकी वायुसेना की क्षमता और गाइडेड हथियार हैं. इसलिए उसके पास ईरान के अहम ठिकानों पर हवाई हमले करने की पूरी क्षमता है.
रिप्ले का कहना है कि इसराइल की ओर से ऐसे हमलों के जरिये ईरान के प्रमुख अधिकारियों और तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की अधिक संभावना है.
वो कहते हैं, “चोट वहां करो, जहां सबसे ज्यादा दर्द हो. इसराइली सेना के अधिकारी और नेता हर वक़्त इसका इस्तेमाल करते हैं. वो उनके युद्ध सिद्धांत का हिस्सा है. यानी वो अपने विरोधियों को इतना दर्द पहुंचाना चाहते हैं कि वो इसराइल पर हमला करने से पहले कम से कम दो बार जरूर सोचे.”
इसके पहले भी इसराइल के हमले में कई सेना के हाई प्रोफाइल अधिकारी और राजनीतिक नेता मारे जा चुके हैं. इन हमलों में सीरिया की राजधानी दमिश्क में पहली अप्रैल को ईरानी वाणिज्य दूतावास पर किया गया हमला भी शामिल है. इसी हमले के बाद ईरान ने इसराइल पर हमला शुरू किया है.
हालांकि इसराइल ने प्रमुख ईरानी नागरिकों और सैन्य अधिकारियों पर हमले की जिम्मेदारी कभी नहीं ली. लेकिन उसने इससे इनकार भी नहीं किया.
नौसेना की ताक़त
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आईआईएसएस की रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरानी नौसेना का आधुनिकीकरण नहीं हुआ है हालांकि उसके पास 220 जहाज हैं, वहीं इसराइल के पास इनकी संख्या 60 है.
साइबर हमले
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अगर साइबर हमले हुए तो ईरान को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है क्यों उसका डिफेंस सिस्टम टेक्नोलॉजी के लिहाज से ज्यादा विकसित नहीं है.
इसलिए इसराइल की सेना पर साइबर अटैक हुआ तो ईरान को ज्यादा बढ़त मिल सकती है.
इसराइली सरकार के राष्ट्रीय साइबर निदेशालय का कहना है कि पहले की तुलना में साइबर हमले की तीव्रता ज्यादा हो सकती है. ये तीन गुना तेज़ हो सकता है और हर इसराइली सेक्टर पर हमला हो सकता है. क्योंकि युद्ध के दौरान ईरान और हिज़बुल्लाह में सहयोग और मजबूत हो गया है.
इसकी रिपोर्ट के मुताबिक़, सात अक्टूबर से लेकर 2023 के आख़िर तक 3380 साइबर अटैक हुए हैं.
ईरान के सिविल डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन के ब्रिगेडियर जनरल गुलामरज़ा जलाली ने कहा कि ईरान ने हाल के संसदीय चुनाव से पहले 200 साइबर अटैक नाकाम किेए हैं.
दिसंबर में ईरान के पेट्रोल मंत्री जवाद ओजी ने कहा था कि साइबर अटैक की वजह से पूरे देश में पेट्रोल स्टेशनों में दिक्कतें आई थीं.
परमाणु ख़तरा
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माना जाता है कि इसराइल के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन वो इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी देने से बचता है.
ईरान के पास परमाणु हथियार होने की संभावना कम है.
उस पर ऐसे हथियार बनाने की कोशिश करने के आरोप हैं.
लेकिन वो इससे इनकार करता है.
भूगोल और जनसांख्यिकी
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क्षेत्रफल के लिहाज से ईरान इसराइल की तुलना में कहीं बड़ा देश हैं.
ईरान की आबादी 89 मिलियन है जो इसराइल की आबादी (10 मिलियन) से लगभग दस गुनी अधिक है.
इसराइली सैनिकों की तुलना में ईरानी सैनिकों की संख्या भी छह गुनी अधिक है.
आईआईएसएस के मुताबिक़, ईरान की सेना में छह लाख सक्रिय सैनिक हैं तो इसराइल के पास एक लाख 70 हज़ार सक्रिय सैनिक.
इसराइल कैसे जवाबी हमला कर सकता है
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तेल अवीव यूनिवर्सिटी से जुड़े मिडिल ईस्ट रिसर्चर डॉक्टर रोंडस्की का कहना है कि ईरान के हमले के दौरान हाई अलर्ट जारी कर इसराइल ने अपनी सुरक्षा नाकामी को स्वीकार किया है.
पड़ोसी देशों के ईरान समर्थित चरमपंथी इसराइली प्रतिष्ठानों लगातार हमले करते रहे हैं. इसराइली ठिकानों पर ऐसे और हमले होने की आशंका है.
जेन्स डिफेंस में मिडिल ईस्ट डिफेंस एक्सपर्ट जेरेमी बिनी कहते हैं इस बात की संभावना कम ही है कि इसराइल तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा.
वो कहते हैं कि त्वरित कार्रवाई न करने की स्थिति में अपने पास कुछ विकल्प रख सकता है. जैसे लेबनान या सीरिया के कुछ ठिकानों पर हमले.
ईरान कार्ड
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मध्य पूर्व मामलों के विशेषज्ञ तारिक़ सुलेमान ने बीबीसी उर्दू को बताया कि इस युद्ध के और बढ़ने के आसार कम हैं.
लेकिन वो ये भी कहते हैं कि इसराइली संसद और कैबिनेट में ऐसे लोग हैं जो युद्ध चाहते हैं. वो इसके लिए इसराइली प्रधानमंत्री पर दबाव डाल सकते हैं.
वो कहते हैं जब भी बिन्यामिन नेतन्याहू खुद को राजनीतिक तौर पर कमजोर पाते हैं वो तुरंत ईरान कार्ड का इस्तेमाल करते हैं.
हिब्रू यूनिवर्सिटी की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सहयोगी देशों के साथ इसराइल की सुरक्षा गठजोड़ को नुकसान पहुंचने की स्थिति में 75 फीसदी इसराइली ईरान पर जवाबी कार्रवाई के ख़िलाफ़ है.
इसराइल और ईरान के बीच छाया युद्ध
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हालांकि ईरान और इसराइल के बीच अब तक आमने-सामने लड़ाई नहीं हुई है. इसराइल ने ईरान के कई प्रमुख सैन्य और राजनीतिक नेताओं को दूसरे देशों में निशाना बनाया है. ईरान में भी ऐसे हमले हुए हैं.
इसराइल पर इन हमलों के आरोप लगे हैं. जबकि ईरान इसराइल पर परोक्ष युद्ध के जरिये निशाना साधता रहा है.
चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह ईरान की ओर से इसराइल और लेबनान से छाया युद्ध लड़ रहा है. ईरान ने हिजबुल्लाह को समर्थन देने से इनकार नहीं किया है. वो ग़ज़़ा में हमास का भी समर्थन करता है.
इसराइल और पश्चिमी देशों का मानना है कि ईरान हमास को हथियार, गोला-बारूद और ट्रेनिंग देता है.
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यमन के हूती विद्रोही ईरान की ओर से ही छाया युद्ध लड़ने के लिए जाने जाते हैं, सऊदी अरब का कहना है कि उस पर जिन मिसाइलों से हमला हुआ तो वो ईरान में बने थे.
ईरान समर्थक संगठनों का इराक और सीरिया में काफी प्रभाव है.
ईरान सीरिया सरकार का समर्थन करता है. ये भी कहा जाता है कि इसराइल पर हमले के लिए सीरियाई जमीन का इस्तेमाल किया गया.
अमन ख्वाज़ा, कार्ला रोश, रेजा सबेती और क्रिस प्रेट्रिज की अतिरिक्त रिपोर्टिंग के साथ
[SAMACHAR]
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