[NEWS]
इमेज स्रोत, EPA
- Author, सौतिक बिस्वास, मैट मर्फी और जोशुआ चीथम
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़
-
13 जून 2025
गुरुवार दोपहर अहमदाबाद से लंदन गैटविक के बीच उड़ान भरने वाली फ्लाइट AI171 के साथ वास्तव में क्या हुआ, यह तो एक विस्तृत जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन एविएशन की दुनिया में टेक-ऑफ़ के बाद के पल अक्सर सबसे चुनौतीपूर्ण होते हैं.
आने वाले दिनों में भारतीय जांचकर्ताओं के साथ अमेरिका और ब्रिटेन के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे, क्योंकि अधिकारी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि टेक-ऑफ़ के ठीक बाद सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे से सिर्फ 1.5 किलोमीटर (0.9 मील) दूर बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर कैसे दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
यह पहली बार है जब 2011 में कमर्शियल सर्विस में आने के बाद कोई 787-8 ड्रीमलाइनर जानलेवा दुर्घटना का शिकार हुआ है. गुरुवार की इस त्रासदी में विमान में सवार 241 लोगों की मौत हो गई और ज़मीन पर भी कई लोग मारे गए.
बीबीसी ने भारत के एविएशन एक्सपर्ट्स और पायलटों से बात की है. जिनमें से कुछ ने नाम ना बताने की शर्त पर बात की और जो नियमित रूप से भारत के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से 787-8 उड़ाते हैं. यह समझने की कोशिश की गई है कि उड़ान भरने के कुछ ही क्षणों बाद विमान अहमदाबाद के रिहायशी इलाकों में क्यों गिर गया.
ऊंचाई पकड़ने में मुश्किल हुई
इमेज स्रोत, Getty Images
787-8 ड्रीमलाइनर को कैप्टन सुमित सबरवाल और उनके को-पायलट क्लाइव कुंदर उड़ा रहे थे. दोनों बहुत अनुभवी थे, और उनके पास संयुक्त रूप से 9,000 घंटों तक विमान उड़ाने का अनुभव था. सबरवाल के पास 22 सालों से अधिक का कमर्शियल एयरलाइन पायलट का अनुभव था.
गुरुवार दोपहर को अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमान 242 लोगों को लेकर रनवे पर चल रहा था. एयर इंडिया के अनुसार, विमान ने स्थानीय समयानुसार दोपहर एक बजकर 39 मिनट पर उड़ान भरी.
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब विमान उड़ान भर रहा था तो उसमें 100 टन ईंधन था, यानी टैंक लगभग पूरी तरह भरा हुआ था.
भारत के विमानन नियामक ने कहा कि टेक-ऑफ़ के तुरंत बाद कॉकपिट से ‘मेडे कॉल’ दी गई. उसके बाद विमान से कोई जवाब नहीं मिला.
यह साफ नहीं है कि मेडे कॉल क्यों दी गई, लेकिन उड़ान के एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति ने भारतीय मीडिया को बताया कि उसने एक तेज़ धमाका तब सुना, जब विमान उड़ान भरने में संघर्ष कर रहा था.
बीबीसी वेरीफाई द्वारा प्रमाणित फुटेज में दिखा है कि विमान एक रिहायशी इलाके के ऊपर बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा था. फाइनल ट्रांसमिटेड डेटा के मुताबिक, विमान अधिकतम 625 फीट (190 मीटर) की ऊंचाई तक पहुंचा.
इसके बाद यह नीचे गिरने लगा और पेड़ों व इमारतों के पीछ छिप गया, फिर एक बड़ा विस्फोट दिखाई देता है.
एक पायलट ने कहा, “अगर विमान ने दोनों इंजन खो दिए हों, तो उसके पास प्रतिक्रिया के लिए समय नहीं होता.”
बीबीसी वेरीफाई द्वारा देखे गए सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि विमान केवल 30 सेकंड तक हवा में था.
विमान एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और तस्वीरों में दिखा कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में आवासीय इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिनमें अस्पताल और सरकारी भवन भी शामिल थे.
दोनों इंजन एक साथ फेल?
इमेज स्रोत, Getty Images
विमान की उड़ान के वीडियो के आधार पर यह तय करना लगभग असंभव है कि दुर्घटना की सटीक वजह क्या थी.
आने वाले दिनों में विमान के ब्लैक बॉक्स, जो उड़ान संबंधी आंकड़े रिकॉर्ड करता है और मलबे की जांच से जुड़ी एक जटिल जांच शुरू की जाएगी.
लेकिन जो वीडियो सामने आए हैं उनसे मालूम चलता है कि विमान ज़मीन से उठने में संघर्ष कर रहा था, मानों उसमें थ्रस्ट या पावर की कमी थी.
कुछ विशेषज्ञों ने जिस एक संभावित कारण की अटकल लगाई है, वो है एक अत्यंत दुर्लभ डबल इंजन फेल्योर की आशंका.
सवाल उठ रहे हैं कि क्या विमान ने अपनी रैम एयर टर्बाइन एक्टिव की थी. यह एक आपातकालीन बैकअप टर्बाइन होती है, जो तब काम करती है जब मुख्य इंजन आवश्यक प्रणालियों को बिजली देना बंद कर देते हैं.
दो इंजन एक साथ फेल होना बेहद असामान्य है. इसका सबसे चर्चित उदाहरण 2009 की ‘मिरेकल ऑन द हडसन’ घटना है, जब एक अमेरिकी एयरवेज़ एयरबस ए320 ने न्यूयॉर्क के लागार्डिया एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ क्षणों बाद पक्षियों से टकराने के कारण दोनों इंजन खो दिए, लेकिन विमान को ग्लाइड करते हुए सुरक्षित लैंड करवा लिया गया.
एक वरिष्ठ पायलट ने बीबीसी को बताया कि दोनों इंजन फेल होने के कारण ईंधन का दूषित होना या पाइपलाइन में रुकावट (क्लॉगिंग) भी हो सकता है.
विमान के इंजन एक सटीक फ्यूल मेटरिंग सिस्टम पर निर्भर करते हैं. अगर यह प्रणाली ब्लॉक हो जाए, तो इससे ईंधन की आपूर्ति रुक सकती है और इंजन बंद हो सकते हैं.
पूर्व पायलट मार्को चान ने बीबीसी वेरीफाई को बताया कि उपलब्ध फुटेज के आधार पर डबल इंजन फेल्योर का कोई ठोस प्रमाण नहीं है.
विमानन विशेषज्ञ मोहन रंगनाथन ने बीबीसी को बताया कि दोहरे इंजन फेल्योर की घटना ‘बहुत-बहुत दुर्लभ’ होती है.
इंजन निर्माता जीई एयरोस्पेस ने कहा कि वह जांच में सहायता के लिए भारत में एक टीम भेज रहा है, जबकि बोइंग ने कहा कि वह एयरलाइन को अपना पूरा समर्थन दे रहा है.
पक्षी से टकराव
इमेज स्रोत, Reuters
भारत में कुछ विशेषज्ञों द्वारा एक और आशंका जताई गई है वो है विमान का पक्षी से टकराव.
जब कोई पक्षी विमान से टकराता है, तो यह घटना होती है और यह विमान के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है.
गंभीर मामलों में अगर कोई पक्षी इंजन में चला जाए, तो इंजन की पावर चली जाती है, जैसा कि दक्षिण कोरिया की जेजू एयर की दुर्घटना में हुआ, जिसमें पिछले साल 179 लोगों की मौत हुई थी.
अहमदाबाद हवाई अड्डे से परिचित विशेषज्ञों और पायलटों ने बीबीसी को बताया कि वहां बहुत ज्यादा पक्षी होते हैं.
रंगनाथान कहते हैं, “वे (पक्षी) हमेशा आसपास रहते हैं.”
बीबीसी ने तीन और भारतीय पायलटों से बात की है जिन्होंने इस हवाई अड्डे से उड़ान भरी है वो इस बात की पुष्टि करते हैं.
गुजरात में जहां अहमदाबाद स्थित है वहां पांच सालों में 462 पक्षी टकराव की घटनाएं दर्ज की गई हैं, अधिकतर अहमदाबाद हवाई अड्डे पर हुईं.
ये जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में संसद में दी थी.
सितंबर 2023 की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में एयरपोर्ट अथॉरिटी के आंकड़ों का हवाला दिया गया, जिसमें बताया गया कि 2022–23 में अहमदाबाद में विमान से पक्षियों के टकराने के 38 मामले आए, जो उसके पिछले 12 महीनों की तुलना में 35 फीसदी ज्यादा थे.
2009 की घटना में सीगल पक्षियों का एक झुंड 2,700 फीट की ऊंचाई पर विमान के इंजन में चला गया था. ये एयर इंडिया की इस फ्लाइट की ऊंचाई से चार गुना अधिक था. लेकिन इस मामले में भारतीय पायलटों के पास न तो पर्याप्त ऊंचाई थी और न ही प्रतिक्रिया देने के लिए समय.
हालांकि, एक वरिष्ठ पायलट ने कहा कि पक्षी से टकराव शायद ही कभी विनाशकारी होता है, “जब तक कि वह दोनों इंजनों को प्रभावित न करे.”
क्या विमान के फ्लैप्स एक कारण हो सकते हैं?
इमेज स्रोत, Vikas Pandey/BBC
बीबीसी वेरीफाई से बात करने वाले तीन विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया कि यह दुर्घटना संभवतः इसलिए हुई क्योंकि टेक-ऑफ के दौरान विमान के फ्लैप्स नहीं खोले गए थे. हालांकि अन्य पायलटों और विश्लेषकों ने इस पर सवाल उठाए हैं.
फ्लैप्स टेक-ऑफ के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये विमान को कम गति पर अधिकतम लिफ्ट प्राप्त करने में मदद करते हैं.
अगर फ्लैप्स ठीक से नहीं खोले गए हों, तो एक पूरी तरह भरा हुआ जेट, जिसमें यात्रियों के साथ लंबी दूरी की उड़ान के लिए भारी ईंधन हो और जो गर्म मौसम का सामना कर रहा हो वो टेक-ऑफ करने में संघर्ष करेगा.
एक पायलट ने बीबीसी से कहा कि अहमदाबाद में गुरुवार को तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस के पास था. ऐसे में ऊंचाई पर जब हवा की सघनता कम होती है तब अधिक फ्लैप सेटिंग और इंजन थ्रस्ट की ज़रूरत होती है. ऐसी परिस्थितियों में कॉन्फ़िगरेशन में छोटी सी गलती भी विनाशकारी परिणाम दे सकती है.
गुरुवार दोपहर बाद सामने आए सीसीटीवी फुटेज में दिखाई देता है कि विमान अहमदाबाद से उड़ान भरता है, ऊंचाई पाने के लिए संघर्ष करता है और फिर धीरे-धीरे नीचे गिरने लगता है, जिसके बाद दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है.
लेकिन बीबीसी से बात करने वाले एक पायलट के मुताबिक, “अगर टेक-ऑफ के समय फ्लैप्स बंद हों तो 787 का टेक-ऑफ कॉन्फ़िगरेशन वार्निंग सिस्टम चेतावनी देगा और फ्लाइट क्रू को असुरक्षित कॉन्फ़िगरेशन की सूचना देगा.”
पूर्व पायलट चान ने बीबीसी को बताया कि अब तक जो फुटेज सामने आए हैं उनसे तस्वीर साफ नहीं होती है, इसलिए यह पक्का नहीं कहा जा सकता कि फ्लैप्स खुले थे या नहीं.
लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसी गलती ‘बेहद असामान्य’ होगी.
चान ने कहा, “फ्लैप्स पायलट खुद टेक-ऑफ से पहले सेट करते हैं और सेटिंग की पुष्टि के लिए कई चेकलिस्ट और प्रक्रियाएं होती हैं.”
“अगर फ्लैप्स सही तरीके से सेट नहीं किए गए हों, तो यह संभावित मानवीय गलती की ओर इशारा करेगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
Source link