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13 जून 2025
गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट टेकऑफ़ के तुरंत बाद दुर्घटना का शिकार हो गई. इस विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 2 पायलट और 10 क्रू मेंबर भी शामिल हैं.
इस एयरक्राफ़्ट के मुख्य पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल थे और उनके साथ फ़र्स्ट ऑफ़िसर के तौर पर क्लाइव कुंदर भी मौजूद थे.
डीजीसीए के मुताबिक़ कैप्टन सुमित सभरवाल के पास 8200 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव था, जबकि सहयोगी पायलट के पास भी 1100 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव था.
एटीसी के मुताबिक़ इस विमान ने अहमदाबाद से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर 23 नंबर रनवे से उड़ान भरी. इसने एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल को एक मेडे कॉल भी किया लेकिन उसके बाद एटीसी के कॉल का विमान ने कोई जवाब नहीं दिया.
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एटीसी से मुताबिक़ एयरक्राफ़्ट रनवे से टेकऑफ़ करने के तुरंत बाद एयरपोर्ट के बाहर गिर गया. इस हादसे के बाद घटनास्थल से विशाल काला धुआं उठने लगा.
पायलट किन हालात में मेडे की कॉल करते हैं और ये क्या होती है?
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किसी भी विमान हादसे के बाद मेडे शब्द का इस्तेमाल कई बार होता है. ये शब्द एविएशन और मैरिटाइम इमरजेंसी के लिहाज़ से बहुत अहम है.
कैंब्रिज डिक्शनरी के मुताबिक मेडे, ये शब्द तब कहा जाता है जब कोई हवाई जहाज़ या पानी का जहाज़ ख़तरे में होता है.
अमेरिकी सरकार की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफएए के मुताबिक़ मेडे एक डिस्ट्रेस कॉल यानी कि तनाव के वक़्त लगाई जाने वाली मदद की गुहार है. ये अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्य एक रेडियो सिग्नल है.
मेडे शब्द को इजाद करने का श्रेय फ्रेडरिक मॉकफोर्ड को जाता है. मॉकफोर्ड ने साल1923 में इस शब्द का इजाद किया था.
मॉकफोर्ड लंदन के कॉयडन एयरपोर्ट में रेडियो ऑफिसर थे.
साल 1924 में आई किताब बुक ऑफ़ वायरलेस टेलीग्राफी ने मेडे को इंटरनेशनल डिस्ट्रेस कॉल के तौर पर पहचान दी.
साल 1927 में हुए इंटरनेशनल रेडियोटेलीग्राफ़ कन्वेंशन में इस अंतरराष्ट्रीय डिस्ट्रेस कॉल को मान्यता मिली थी.
वैसे इस शब्द का फ्रेंच कनेक्शन भी है, ये शब्द फ्रेंच शब्द ‘M’aidez’ से निकला हुआ है जिसका मतलब होता है ‘मेरी मदद करो’.
कब होता है मेडे का इस्तेमाल?
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कॉल करने या कॉल का जवाब देने के मामले में मेडे कॉल को सबसे अहम रेडियो कॉल माना जा सकता है. यह कॉल ऐसे समय में की जाती है जब फ़ौरन मदद न मिलने पर वास्तव में किसी की ज़िंदगी पर ख़तरा हो यानी किसी की जान जा सकती है.
ये कॉल अत्यंत तनाव या ख़तरे के हालात में किए जाते हैं. इसलिए ऐसे कॉल को सबसे ज़्यादा गंभीरता से लिया जाता है.
अमेरिकी सरकार के उड्डयन विभाग फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक डिस्ट्रेस और अर्जेंसी के आधार पर दो तरह के शब्दों का इस्तेमाल होता है.
डिस्ट्रेस यानी की तनाव विशेष तौर पर जब ज़िंदगियां और हवाई जहाज़ खतरे में हो तब मेडे की गुहार लगाई जाती है.
ऐसी भी सलाह दी जाती है कि ‘मेडे’ को तीन बार पुकारा जाए ताकि वो ट्रांसमिशन के दौरान रुकावट में साफ़ सुनाई दे.
दूसरा अगर अर्जेंसी है यानी कि तुरंत मदद की ज़रूरत है तो पैन-पैन की पुकार लगाई जानी चाहिए. पैन-पैन का स्तर मेडे से कम है.
मेडे की कॉल आने पर बाक़ी सभी कम्युनिकेशन के मुकाबले पूरी प्राथमिकता दी जाती है. वहीं पैन-पैन को मेडे के अलावा बाक़ी कॉल्स पर तरजीह दी जाती है.
मेडे की घोषणा केवल उन हालात में की जाती है जब विमान, जहाज़, क्रू मेंबर और मुसाफ़िरों की सुरक्षा पर गंभीर ख़तरा हो और इसके लिए फ़ौरन ज़रूरी कदम उठाना होता है ताकि ख़तरे को बढ़ने से रोका जा सके या लोगों की जान बचाई जा सके.
इस तरह की इमरजेंसी के हालात में इंजन फ़ेल होना, बहुत ख़राब मौसम में विमान का फंसना, विमान या जहाज़ में बड़ी गड़बड़ और सफर के दौरान किसी मेडिकल इमरजेंसी की ज़रूरत भी शामिल है.
कौन करता है मेडे कॉल?
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मेडे कॉल हवाई जहाज़ उड़ा रहे पायलट या फिर पानी के जहाज़ के कैप्टन की तरफ से दी जाती है. आमतौर पर पायलट या जहाज़ का कप्तान जब किसी गंभीर आपात स्थिति का सामना कर रहे होते हैं तब ये कॉल दी जाती है.
इंजन फेल होने पर, जहाज में पानी भरने पर या प्लेन पर ऐसे किसी ख़तरे के दौरान जब पैसेंजर्स की जान जोखिम में हो तब मेडे की कॉल दी जाती है.
इसमें जहाज़ पर आग लगना, कंट्रोल खोना या कोई भी गंभीर स्थिति शामिल हो सकती हैं जो विमान या जहाज़ और उसमें सवार सभी लोगों की सुरक्षा को ख़तरे में डालता हो.
एविएशन में, पायलट रेडियो पर एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल को मेडे कॉल कम्युनिकेट करता है. गंभीर मामलों में अगर कॉल देने वाले की तरफ़ से कम्युनिकेश टूट जाता है तो मेडे को किसी दूसरे नज़दीकी विमान या जहाज़ द्वारा भी रिले या कम्युनिकेट किया जा सकता है.
मेडे की परिस्थिति में जैसे ही मदद की कॉल आती है वैसे ही उस फ्रीक्वेंसी पर मौजूद अन्य रेडियो ट्रैफ़िक को रोक दिया जाता है जिसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल पूरी तरह से रेस्क्यू में जुट जाता है.
मेडे अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत डिस्ट्रेस कॉल है. रेडियो कॉल में मेडे कॉल के लिए एक निश्चित प्रक्रिया होती है, जो इस तरह की होती है कि आपकी कॉल न केवल सुनी जाती है बल्कि इसपर प्रतिक्रिया भी दी जाती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
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