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Israel Attack on Iran: इजरायल ने शुक्रवार (13 जून, 2025) को ईरान की राजधानी तेहरान पर हमला किया. 1980 में हुए ईराक के बाद से इजरायल का ये अबतक का सबसे बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन्स माना जा रहा है. इजरायल की इस स्ट्राइक में ईरान के कई हाई मिलिट्री रैंक के अफसर मारे गए है. इसके अलावा इस हमले में 6 वैज्ञानिकों की भी जान गई है. ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के लिए किए गए इस हमले के बाद से मिडिल ईस्ट के देशों में तनाव चरम पर पहुंच गया है.
इजरायल के हमले के जवाब में ईरान की तरफ से भी सैंकड़ों ड्रोन से हमले किए गए हैं. ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामनेई ने इजरायल को कड़ी सजा भुगतने की सख्त चेतावनी दी है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस ऑपरेशन को राइजिंग लॉयन नाम दिया है, जिसके तहत ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों और मिलिट्री अड्डों पर हमले किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमें चाहे जितने भी दिन लगें, हम ईरानी खतरे को खत्म करने के लिए अपनी कार्रवाई लगातार जारी रखेंगे.
200 इजरायली फाइटर जेट्स ने की स्ट्राइक
इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि आज ईरान पहले के मुकाबले परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है. ईरानी शासन के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार का होना न सिर्फ इजरायल के अस्तित्व के लिए खतरा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है. ऐसे में इजरायल को अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए ईरान के खिलाफ कार्रवाई करनी ही पड़ेगी, क्योंकि इसके अलावा हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है.
IDF की ओर से कहा गया कि हम ईरान के खिलाफ अपने हमले जारी रखेंगे, हम जब भी अपने लिए खतरा महसूस होगा, हम कार्रवाई करेंगे. हमने पहले भी ऐसे हमले किए हैं. करीब 200 इजरायली फाइटर जेट्स ने ईरान में 100 से ज्यादा टारगेट्स को नष्ट किया है.
⭕️ IAF fighter jets, guided by precise intelligence, struck the Iranian regime’s uranium enrichment site in the Natanz area overnight. This is the largest uranium enrichment site in Iran, which has operated for years to achieve nuclear weapons capability and houses the… pic.twitter.com/JVLIZFHwLm
— Israel Defense Forces (@IDF) June 13, 2025
मोसाद की खुफिया तैयारी
इजरायली अधिकारियों के मुताबिक मोसाद ने इस हमले के लिए कई महीनों से खुफिया तैयारी की थी. शुक्रवार को हमले से पहले तस्करी के जरिए विस्फोटक ड्रोन और हथियार ईरान के अंदर भेजे गए. सबसे पहले तेहरान के पास बने ईरानी सैन्य बेस को टारगेट किया गया, जहां मिसाइल लॉन्चर्स तैनात थे. इन्हे ड्रोन की मदद से नष्ट किया गया. इसके अलावा हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम्स को भी खुफिया तरीके से हथियार पहुंचकर निष्क्रिय किया गया.
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