[NEWS]
इमेज स्रोत, ANI
11 जून 2025
टैरिफ़, ट्रेड डील और भारत पाकिस्तान के बीच सैन्य झड़प में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई बयानों को भारत के लिए ‘असहज’ माना गया.
भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष रुकवाने में ‘अमेरिका की भूमिका’ वाले उनके बयान का हवाला देकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और इसे ‘भारतीय विदेश नीति की नाकामी’ बताया था.
अब एक यूरोपीय अख़बार ने यूरोप की यात्रा पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से साक्षात्कार में यही सवाल पूछ लिया.
डॉ. एस जशंकर जवाब था कि ‘भारत के लिए अमेरिका के साथ संबंध बहुत अहम है और यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है.’
जयशंकर भारत और यूरोपीय संघ के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर वार्ता करने के लिए यूरोप में हैं और कहा जा रहा है कि दोनों पक्ष समझौते के क़रीब हैं.
एस जयशंकर ने मंगलवार को एक ट्वीट कर पहले इंडिया-यूरोपीयन यूनियन स्ट्रेटेजिक डायलॉग के संपन्न होने की जानकारी दी थी.
उन्होंने लिखा, “रक्षा, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, साइबर और एआई, अंतरिक्ष और रक्षा उद्योग में हमारे सहयोग को गहरा करने पर रचनात्मक बातचीत हुई. साथ ही हिंद-प्रशांत, यूरोप और पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी हमने अपने विचार साझा किए गए.”
‘ट्रंप की विश्वसनीयता’ पर जयशंकर का जवाब
इमेज स्रोत, Getty Images
यूरोपीय संघ की नीतियों पर केंद्रित एक समाचार वेबसाइट ‘यूरेक्टिव’ ने एस जयशंकर का साक्षात्कार लिया जिसमें यूरोप, चीन और ‘ट्रंप की विश्वसनीयता’ को लेकर सवाल पूछे गए.
वेबसाइट की ओर से पूछा गया, “क्या आप डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा करते हैं?” एस जयशंकर ने पूछा, “इससे क्या मतलब है?”
पत्रकार ने कहा, “क्या वो जो कहते हैं, उस पर डटे रहते हैं? क्या वह ऐसे पार्टनर हैं जिनके साथ भारत अपने रिश्ते और गहरा करना चाहेगा.”
इस पर जयशंकर ने कहा, “कही गई बात को मैं उसी तरह लेता हूं. हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना हमारा लक्ष्य है, जो हमारे हितों के अनुरूप हो और अमेरिका के साथ रिश्ता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह किसी व्यक्ति एक्स या राष्ट्रपति वाई के बारे में नहीं है.”
दरअसल, ट्रंप ने इसी साल जनवरी से जबसे दोबारा राष्ट्रपति पद संभाला है, तब से उन्होंने टैरिफ़ को लेकर लगातार भारत पर निशाना साधा है और कई बार भारत को वो ‘टैरिफ़ किंग’ कह चुके हैं.
भारतीय आप्रवासियों को अमेरिका से डिपोर्ट करने से लेकर प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप के बयानों पर विवाद हुए हैं.
लेकिन ताज़ा विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया झड़प में ट्रंप की ओर से सीज़फ़ायर की जानकारी सबसे पहले सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए दिए जाने और फिर दोनों देशों के बीच संघर्षविराम कराने का श्रेय लेने को लेकर भी रहा है.
22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर चरमपंथी हमले के बाद भारत ने छह-सात मई की दरमियानी रात को पाकिस्तान के अंदर ‘चरमपंथी ठिकानों’ पर हवाई हमले किए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य झड़प शुरू हो गई. चार दिन के बाद 10 मई को डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया कि, ‘दोनों देश सीज़फ़ायर के लिए सहमत हो गए हैं.’
इसके बाद भारत ने अपने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सैन्य अभियान को तत्काल रोकने का एलान तो किया लेकिन अमेरिका की भूमिका का कोई ज़िक्र नहीं किया.
एस जयशंकर ने भी ट्रंप के इस बयान की पुष्टि नहीं कि, ‘व्यापार रोकने की अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी के बाद’ दोनों देश सीज़फ़ायर के लिए राजी हुए थे.
एक डच मीडिया हाउस के पत्रकार को दिए साक्षात्कार में एस जयशंकर ने कहा था, “संघर्षविराम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत हुई थी और हमने अमेरिका समेत सभी को स्पष्ट किया था कि सबसे पहले पाकिस्तान को गोलाबारी रोकने की ज़रूरत है और उनके जनरल को हमारे जनरल से ये कहना होगा. और यही हुआ.”
भारत का संदेश लोगों तक क्यों नहीं पहुंच रहा?
इमेज स्रोत, @DrSJaishankar
‘यूरेक्टिव’ के पत्रकार ने एस जयशंकर से पूछा कि पहलगाम चरमपंथी हमले के बाद जो कुछ हुआ उसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने दो परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच टिट फ़ॉर टैट की कार्रवाई के रूप में दिखाया. भारत का संदेश लोगों तक क्यों नहीं पहुंच रहा है?’
जयशंकर ने कहा, “मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन. पाकिस्तानी मिलिटरी टाउन में वेस्ट प्वाइंट के ठीक बगल में सालों तक वह सुरक्षित रहता रहा. मैं चाहता हूं कि दुनिया ये समझे कि यह सिर्फ भारत और पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है. यह टेररिज़्म का मामला है. और यह टेररिज़्म आख़िरकार लौट कर आपको भी सताएगा.”
ब्रसेल्स प्रवास के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तान को ‘टेररिस्तान’ कहा था.
पाकिस्तान को बताया ‘टेररिस्तान’
इमेज स्रोत, Getty Images
ब्रसेल्स में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान एक पत्रकार के जवाब में एस जयशंकर ने कहा, “यह दो देशों के बीच तनाव नहीं है बल्कि असल में यह आतंकवाद के ख़तरे और गतिविधियों के ख़िलाफ़ प्रतिक्रिया थी.”
ब्रसेल्स में पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मैं आपसे अपील करना चाहूंगा कि आप इसे भारत और पाकिस्तान के तौर पर न सोचें, बल्कि इसे भारत और टेररिस्तान की तरह देखें.”
भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद धीरे धीरे स्थिति सामान्य की ओर बहाल हो रही है लेकिन अभी भी भारत ने सिंधु जल संधि से अलग होने के फैसले को बदला नहीं है.
भारत की ओर से कहा गया कि उसे आत्मरक्षा का अधिकार है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में चरमपंथ के प्रति भारत के रुख़ को स्पष्ट करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे गए थे.
ट्रंप अपने बयान से भारत के लिए मुश्किल खड़े कर रहे हैं?
इमेज स्रोत, Getty Images
दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिन्हें भारत के लिए ‘मुश्किलें’ खड़ी करने वाले बयान बताया जा रहा है.
आते ही उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ़ का मुद्दा उठाते हुए भारत पर निशाना साधा और भारत के अधिक टैरिफ़ को ‘अनुचित’ क़रार दिया.
जनवरी में जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रंप से फ़ोन पर बात हुई तो ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिकी सुरक्षा उपकरण और ख़रीदे.
ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार उचित तरीक़े से होना चाहिए.
जब यह तय हो गया था कि पीएम मोदी अमेरिका जाने वाले हैं, उससे पहले फ़रवरी के पहले सप्ताह में अमेरिका ने हथकड़ी और बेड़ी से बंधे भारतीयों को अमेरिकी सैन्य विमान से भारत प्रत्यर्पित किया गया. अमेरिका ने दावा किया कि ये लोग अवैध रूप से वहां रह रहे थे.
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ़ वॉर के बाद भारत को उम्मीद थी कि चीन में काम करने वाली पश्चिम की कंपनियां वहां से हटकर भारत में अपना उत्पादन शुरू करेंगी.
लेकिन जब दो अप्रैल को ट्रंप ने सभी देशों के ख़िलाफ़ टैरिफ़ की घोषणा की तो उसमें भारत पर 26% टैरिफ़ लगाने का एलान किया.
मई के अंतिम सप्ताह में ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर आईफ़ोन बनाने वाली कंपनी एपल भारत में फ़ोन बनाना चाहे तो बनाए, लेकिन ये टेक कंपनी बगैर टैरिफ़ के अमेरिका में अपने प्रोडक्ट नहीं बेच पाएगी.
साथ ही उन्होंने अमेरिका के बाहर बनने वाले आई फ़ोन पर 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की बात कही.
ट्रंप के इन बयानों से कुछ सप्ताह पहले ही एपल ने कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले ज़्यादातर आईफ़ोन भारत में ही बनेंगे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
[SAMACHAR]
Source link