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Plane Crash In Ahmedabad: अहमदाबाद के मेघानी नगर में प्लेन क्रैश होने की खबर सामने आ रही है. यह प्लेन रिहायशी इलाके में गिरा है. यह एयर इंडिया का विमान है, जिसमें 242 लोग सवार थे. प्लेन क्रैश की खतरनाक और डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें धुएं का काला गुबार उठते देखा जा रहा है. इस दौरान एयरपोर्ट जाने के सभी रास्ते सुरक्षा के मद्देनजर ब्लॉक कर दिए गए हैं. विमान हादसों के बाद से एक सवाल सभी के मन में आता है कि आखिर हम कौन सी सीट बुक करें जो कि सबसे सुरक्षित रहे. आइए आपको बताते हैं कि प्लेन क्रैश में किस जगह बैठे लोगों के जिंदा होने का चांस रहता है.
इस विमान हादसे के बाद अभी तक यह खबर नहीं आ पाई है कि आखिर कितने लोग जिंदा बचे हैं और कितने काल के गाल में समा गए हैं. लेकिन इस हादसे के बाद लोगों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर जो लोग प्लेन क्रैश के वक्त जिंदा बच जाते हैं वो आखिर कौन सी सीट चुनते हैं?
पिछले विमान हादसे सीटों को लेकर क्या बताते हैं?
पिछले कई विमान हादसों की तस्वीरों पर गौर करें तो हमे यह पता चलेगा कि ऐसी कंडीशन में ज्यादातर जो लोग जिंदा बचते हैं वो पीछे की सीटों पर बैठे हुए होते हैं. बीते साल जब दक्षिण कोरिया में एक विमान हादसा हुआ था, उसमें पूरा विमान जलकर खाक हो गया था, बस उसका पिछला हिस्सा ही ऐसा था, जो कि पहचानने लायक था. वहीं जब कजाखस्तान में विमान हादसा हुआ तब भी विमान के पिछले हिस्से में बैठे लोगों के रेस्क्यू वीडियो सामने आए थे. बाकी के मुकाबले यह हिस्सा अपेक्षाकृत कम क्षतिग्रस्त था. ऐसा माना जा सकता है कि विमान में पिछले हिस्से की सीटें ज्यादा सुरक्षित होती हैं.
क्यों सुरक्षित हैं पिछली सीटें
ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं ऐसी हैं, जिनमें हादसे का असर आगे के हिस्से पर ज्यादा पड़ता है. ज्यादातर पिछला हिस्सा दुर्घटना के वक्त टक्कर से बच जाता है. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पिछली सीटों पर लोग बैठना नहीं चाहते हैं, इसकी वजह है पीछे की ओर वॉशरूम और लेगरूम का कम होना और इमरजेंसी एक्जिट भी इसी तरफ होता है. विमान के पिछले हिस्से में क्रू मेंबर्स भी रहते हैं. लेकिन अगर पिछली सीट ज्यादा सुरक्षित है तो क्या अगली सीटें सुरक्षित नहीं होती हैं? इसका जवाब है नहीं. दरअसल प्लेन में सबसे ज्यादा असुरक्षित सीटें बीच की मानी जाती हैं.
कौन सी सीटें कितनी सुरक्षित
दरअसल बीच की सीटों में विमान के पंख लगे होते हैं, जिनमें फ्यू भरा रहता है. हादसे के वक्त इनमें सबसे पहले आग लगने का खतरा होता है. भले ही ये सीटें फोटो आदि के कूल हों, लेकिन सबसे असुरक्षित मानी जाती हैं. टाइम मैग्जीन की 35 साल में हुए विमान हादसों की मानें तो पीछे की सीटों पर मौत का खतरा सिर्फ 28 फीसदी होता है. जबकि बाकी की सीटों पर यह खतरा 44 फीसदी के आसपास होता है. लेकिन यह जानने की जरूरत है कि हर हादसा अलग-अलग होता है और बचना या नहीं बचना हादसे के तरीके, परिस्थिति और पायलेट की कुशलता पर निर्भर करता है.
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[SAMACHAR]
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