[NEWS]
Trade Agreement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन के साथ हुए एक नए व्यापार समझौते की घोषणा की है. इस समझौते के तहत अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिज और मैग्नेट मिलेंगे, जबकि चीन से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका 55% तक का सीमा शुल्क लगाएगा. ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका बदले में चीन को वे सुविधाएं प्रदान करेगा, जिन पर आपसी सहमति बनी है. इसमें चीनी छात्रों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रवेश की अनुमति भी शामिल है.
लंदन में दो दिवसीय वार्ता का परिणाम
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और चीन ने लंदन में आयोजित दो दिवसीय व्यापार वार्ता में खनिज और प्रौद्योगिकी निर्यात से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए एक रूपरेखा पर सहमति जताई. यह वार्ता अप्रैल 2025 में ट्रंप की ओर से चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद शुरू हुई थी. जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी अमेरिका पर शुल्क लगाया था, लेकिन अब दोनों देश व्यापक बातचीत के जरिए समाधान की ओर बढ़ रहे हैं.
जबरन श्रम को लेकर उठा विवाद
इसी बीच, नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस ने एक रिपोर्ट जारी कर गंभीर चिंता जताई है. रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कई प्रमुख कंपनियां (एवन, वॉलमार्ट, नेस्कैफे, कोका-कोला और शेरविन-विलियम्स) चीन के झिंजियांग क्षेत्र से मिलने वाले खनिजों की सप्लाई चेन में शामिल हैं. इनमें टाइटेनियम, लिथियम, बेरिलियम और मैग्नीशियम जैसे दुर्लभ खनिज शामिल हैं. रिपोर्ट का आरोप है कि इन खनिजों के उत्पादन में जबरन श्रम का उपयोग हो सकता है.
उइगरों के शोषण का आरोप
अधिकार समूहों का दावा है कि चीनी सरकार झिंजियांग में उइगर और अन्य तुर्क अल्पसंख्यकों को ‘श्रम हस्तांतरण कार्यक्रमों’ के तहत जबरन काम करने के लिए बाध्य कर रही है. रिपोर्ट में 77 ऐसे चीनी आपूर्तिकर्ताओं का उल्लेख किया गया है, जो इन कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और वैश्विक ब्रांड्स को खनिज आपूर्ति करते हैं.
चीन का इनकार: बताया झूठा प्रचार
इस रिपोर्ट पर चीन ने कड़ा विरोध जताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि झिंजियांग में कोई भी श्रम स्थानांतरण जबरन नहीं किया गया है. उन्होंने इसे चीन-विरोधी ताकतों द्वारा फैलाया गया “झूठा प्रचार” करार दिया है. चीन ने बार-बार यह दावा किया है कि उसकी नीतियां अल्पसंख्यकों को रोजगार देने और गरीबी हटाने के लिए हैं, न कि किसी प्रकार के दमन के लिए.
इसे भी पढ़ें: कौन हैं अंकिता सिंह, क्या करती थीं काम, कितनी होगी सैलरी? सिक्किम से लापता
व्यापारिक सहयोग पर छाया मानवाधिकार का सवाल
हालिया समझौता अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों को नया मोड़ दे सकता है, लेकिन जबरन श्रम जैसे मानवाधिकार मुद्दों पर चिंता अब भी बनी हुई है. वैश्विक कंपनियों पर दबाव है कि वे अपनी सप्लाई चेन की गहराई से जांच करें और मानवाधिकारों के उल्लंघन से बचें.
इसे भी पढ़ें: 2027 तक भारत में AI का होगा बोलबाला, बाजार पहुंचेगा 17 अरब डॉलर के पार
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.
[SAMACHAR]
Source link