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7 जून 2025
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में इसी महीने होने वाले जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता दिए जाने की वजह बताई है.
मार्क कार्नी का कहना है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसलिए उसका जी-7 की मेज़ पर होना ज़रूरी है.
कार्नी के पीएम मोदी को न्योता देने के फैसले पर कनाडा की राजनीतिक पार्टी एनडीपी के अलावा वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन ने भी सवाल उठाए हैं.
2023 में खालिस्तान समर्थक सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत और कनाडा के संबंध अब तक के सबसे ख़राब दौर में हैं.
इससे पहले शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बताया था कि मार्क कार्नी ने उन्हें जी-7 समिट का न्योता दिया है और वह इसमें शामिल होंगे.
कार्नी ने जवाब में कहा, ” कनाडा जी-7 के अध्यक्ष की भूमिका में है. हमारे जी-7 के सहयोगियों के साथ हुई चर्चा में ये सहमति बनी कि एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अहम खनिज जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण देशों को आमंत्रित करना ज़रूरी है.”
उन्होंने कहा, “भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और ग्लोबल सप्लाई चेन का केंद्र है. “
मार्क कार्नी ने भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों के बारे में भी कुछ बातें कहीं.
उन्होंने बताया, “द्विपक्षीय स्तर पर हमारे बीच सहमति बनी है कि हम कानून के पालन पर बातचीत करेंगे और इस दिशा में बात थोड़ी आगे बढ़ी है. जवाबदेही के मुद्दे पर भी सहमति बनी है. मैंने प्रधानमंत्री मोदी को न्योता दिया है और उन्होंने इसे स्वीकार किया है.”
निज्जर की हत्या के सवाल पर क्या बोले कार्नी
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हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून 2023 को कनाडा में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हरदीप सिंह निज्जर जालंधर के गांव भार सिंह पुरा के रहने वाले थे. भारत सरकार के अनुसार, निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख थे और इसके सदस्यों के संचालन, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देने में सक्रिय रूप से शामिल थे.
18 सितंबर को कनाडा की संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बयान दिया था कि निज्जर की हत्या के पीछे “भारत सरकार की संभावित संलिप्तता के आरोपों” की जांच की जा रही है. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
हालांकि, इसके बाद कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया, दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.
बाद में आरसीएमपी के प्रमुख माइक डुहेम ने ये दावा किया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने से जुड़े ठोस सबूत उनके पास हैं.
अब मार्क कार्नी से ये सवाल किया गया कि क्या उन्हें लगता है कि मोदी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल थे.
इस पर कनाडाई पीएम ने कहा, “सबसे पहली बात तो ये कि एक क़ानूनी प्रक्रिया होती है, जो अभी चल रही है. कनाडा में जांच किए जा रहे मुद्दों पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं है. “
इस पर पत्रकार ने उनसे फिर पूछा कि क्या ऐसी कोई संभावना है?
जवाब में मार्क कार्नी ने कहा, “मैं किसी भी क़ानूनी प्रक्रिया, जो चल रही होगी, उसके बारे में यही जवाब दूंगा.”
पीएम नरेंद्र मोदी क्या बोले
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून को एक्स पर पोस्ट कर बताया कि उन्हें कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है.
पीएम मोदी ने कहा, “कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से फ़ोन पर बात करके खुशी हुई. हाल ही में हुए चुनाव में उनकी जीत पर उन्हें बधाई दी और इस महीने के आख़िर में कानानास्किस में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.”
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और कनाडा आपसी सम्मान और साझा हितों के मार्गदर्शन में नए जोश के साथ मिलकर काम करेंगे.
पीएम ने लिखा, “शिखर सम्मेलन में हमारी मुलाक़ात की प्रतीक्षा है.”
इस साल जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन 15 से 17 जून तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में अमेरिका, फ़्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी और कनाडा के शीर्ष नेताओं की भागीदारी होगी.
विरोध और समर्थन दोनों
कन्जर्वेटिव पार्टी के नेता पियर पॉलिवेयर ने पीएम नरेंद्र मोदी को न्योता देने के फैसले को जरूरी बताया है.
पियर पॉलिवेयर ने कहा, “भारत पिछले छह से सात जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन का हिस्सा रहा है. भारत बड़ी और तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. हमें अपनी नेचुरल गैस और तकनीक भारत को बेचने की जरूरत है. हमें ट्रेड और सुरक्षा के मामले पर भी भारत के साथ काम करने की जरूरत है. मेरा मानना है कि भारत को न्योता भेजना जरूरी था.”
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि हमें उम्मीद है कि जब भारतीय पीएम और कनाडा के पीएम के बीच बात होगी तो कार्नी देश की सुरक्षा को लेकर भी चर्चा जरूर करेंगे.
वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष दानिश सिंह ने कहा, “ये कनाडा में रहने वाले सिखों के साथ धोखा है. और सिर्फ समुदाय नहीं बल्कि ये कनाडा के मूल्यों के साथ भी धोखा है.”
“भारत भाई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार करता रहा है और कनाडा के अधिकारियों के साथ सहयोग करने से भी इनकार करता रहा है. ये शर्मनाक और खतरनाक दोनों है.”
दानिश सिंह ने कहा, “हम ऐसी परिस्थितियों में रूस, चीन या ईरान के नेताओं का कभी स्वागत नहीं करेंगे. भारत ने कनाडा की जमीन पर विदेशी हस्तक्षेप और हत्याओं की साजिश रचने सहित अंतरराष्ट्रीय दमन के मामले में बहुत कुछ किया है. और अब उनका रेड कार्पेट पर स्वागत किया जा रहा है.”
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वहीं कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा है कि वो सिख समुदाय का समर्थन करती है.
एनडीपी की सांसद जेनी क्वॉन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “एनडीपी सिख समुदाय के साथ मिलकर पीएम कार्नी के मोदी को जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित करने की निंदा करती है.”
जेनी ने कहा, “मोदी का शासन हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा हुआ है. कनाडा को न्याय और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि उन लोगों के साथ कूटनीति करनी चाहिए जो हमारी संप्रभुता को खतरा पहुंचाते हैं.”
वहीं कनाडा के पूर्व सांसद चंद्रा आर्य ने पीएम मोदी की यात्रा को भारत-कनाडा के संबंधों के लिए अहम बताया है.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की कनाडा यात्रा कनाडा-भारत संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.”
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?
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साउथ एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने कहा कि भारत को जी-7 शिखर सम्मेलन में न्योता मिलना भारत के वैश्विक महत्व को दिखाता है.
उन्होंने कहा, “ये भारत-कनाडा के बीच उभरते तनाव को नहीं दिखाता है. आने वाले समय में रिश्तों में नरमी आने के संकेत हैं. लेकिन आखिरकार पश्चिमी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के एक शीर्ष भागीदार को शिखर सम्मेलन से बाहर रखना मुश्किल है.”
उन्होंने कहा, “भारत वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण है. भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2019 से भारत को जी-7 शिखर सम्मेलन में बुलाया जा रहा है. भारत का टेबल पर होना जरूरी है. द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी भारत को बुलाना जरूरी था. क्योंकि ये दोनों देशों के संबंधों को दोबारा बनाने में रास्ता बन सकता है.”
वहीं, सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी कहते हैं कि कनाडा ने 38 देशों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन यानी ओईसीडी की चेतावनी के बाद भारत को न्योता दिया है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कार्नी की ये पहल ओईसीडी की चेतावनी के बाद हुई है जिसमें कहा गया कनाडा की अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी.
“साफ है कि कार्नी भारत और चीन दोनों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारकर कनाडा की स्थिर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं.”
ब्रह्मा चेलानी ने लिखा, “लेकिन मोदी क्या हासिल करना चाहते हैं? कनाडा खालिस्तान चरमपंथी आंदोलन का वैश्विक केंद्र बना हुआ है, जो भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल खतरनाक आतंकवादियों को पनाह दे रहा है. लेकिन ओटावा ने नैरेटिव को बदल दिया. कनाडा की धरती पर हत्याओं की साजिश रचने के लिए मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.”
“जब तक मोदी भारत विरोधी चरमपंथियों को राजनीतिक स्थान देने की कनाडा की नीति में बदलाव के साथ बेहतर संबंधों को नहीं जोड़ते, तब तक वे इन शिखर सम्मेलनों में निवेश करने के अपने रिकॉर्ड को चमकाने का जोखिम उठा रहे हैं. जो नतीजों की तुलना में अधिक दिखावटी होते हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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