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जिले में 1.72 लाख हेक्टेयर में होगी धान की खेती

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औरंगाबाद शहर. खरीफ फसल धान की नर्सरी की तैयारी के लिए रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र महत्वपूर्ण माना जाता है. किसान तैयारी में जुट है. यह परंपरा सदियों पुरानी है. ज्येष्ठ महिना अंतिम चरण में है. रविवार को ही सूर्य रोहण से मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. साथ ही गुरुवार से आषाढ़ महीना का भी शुरूआत होगा. ऐसे में कृषि कार्य शुरू करने का समय आते ही किसान नर्सरी लगाने में जुट गये हैं. वैसे जिले में इस बार एक लाख 72 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यह लक्ष्य वर्ष 2023-24 के अपेक्षाकृत तकरीबन 1000 हेक्टेयर अधिक है. वहीं पिछले साल से कम है. पिछले वर्ष एक लाख 75 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी. वैसे लंबी अवधि की वराईटी के धान का बिचड़ा गिराने का उपयुक्त समय बीत रहा है. सूर्य की तीखी किरणें धरती को तपा रही है. आसमान से अंगारे बरस रहे हैं. जलस्त्रोत सूख गये हैं. बोरिंग का भी जल स्तर खिसक कर पाताल में चला गया है. ऐसे मौसम में कृषि कार्य संभव नहीं प्रतीत हो रहा है. इसके बावजूद किसान नर्सरी लगाने की तैयारी में जुटे हैं. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कभी-कभी बारिश होने से किसानों का मनोबल बढ़ा है. इक्के-दुक्के साधन संपन्न किसानों ने सबमर्सिबल के सहारे बिचड़ा गिराया भी है. रामपुर गांव के रामचंद्र सिंह, सूही गांव के अजीत कुमार व रामाश्रय पांडेय तथा बुमरू के संजय कुमार सिंह ने मंसूरी धान का बिचड़ा गिरा दिया है. हाल में कृषि विभाग द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों में खरीफ फसल लगाने के लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. विभिन्न प्रखंडों में खरीफ महाभियान के तहत किसानों को उन्नत खेती की गुर बताये गये हैं.

हर प्रखंडों के लिए लक्ष्य निर्धारित

धान की खेती के लिए सभी प्रखंडों के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित है. सदर प्रखंड में 14 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होगी. बारुण में 17 हजार, दाउदनगर में 10 हजार, देव में 11 हजार, गोह में 16 हजार, हसपुरा में 10 हजार, कुटुंबा में 20 हजार, मदनपुर में 10 हेक्टेयर, नवीनगर में 24 हजार, ओबरा में 20 हजार हेक्टेयर व रफीगंज प्रखंड में 18 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का संभावित लक्ष्य निर्धारित है. इसमें दक्षिणी क्षेत्र के कई ऐसे प्रखंड हैं, जहां असिंचित भूभाग अधिक है. रफीगंज, मदनपुर, नवीनगर, देव व कुटुंबा प्रखंडों के दर्जनों गांवों में भगवान भरोसे खेती होती है.

6702 हेक्टेयर में अन्य खरीफ फसलों की होगी खेती

कृषि विभाग द्वारा दलहनी व मोटे अनाज की खेती का भी संभावित लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिले में 1431.35 हेक्टेयर में अरहर, 148.40 हेक्टेयर में बाजरा, 1.30 हेक्टेयर में मूंगफली 266.37 हेक्टेयर में ज्वार, 68.50 हेक्टेयर में कुलथी, 9.08 हेक्टेयर में सोयाबीन, 2255.57 हेक्टेयर में मक्का, 11.98 हेक्टेयर में गन्ना तथा 9.78 हेक्टेयर में सूर्यमुखी की खेती की जायेगी. इसी प्रकार 42.89 हेक्टेयर में उड़द, 12 हेक्टेयर में जुट, 153.66 हेक्टेयर में मूंग, 1176.21 हेक्टेयर में ढ़ैंचा, 420.48 हेक्टेयर में मडुआ, 164.60 हेक्टेयर भूमि में चिना, 8.93 हेक्टेयर में कुटकी तथा 20.29 हेक्टेयर में सावां यानि कुल मिलाकर 6702.41 हेक्टेयर भूमि में अन्य फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

17200 हेक्टेयर में लगायी गयी नर्सरी

जिला कृषि पदाधिकारी रामईश्वर प्रसाद ने बताया कि इस बार सभी प्रखंडों में 17200 हेक्टेयर मंर धान का बिचड़ा लगाया जाना है. खरीफ मौसम में विभिन्न फसलों की उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को आधुनिक तकनीक से खेती करने की सलाह दी गयी है. प्रखंड स्तर पर खरीफ महाभियान का आयोजन किया गया है. पंचायत स्तर पर आत्मा के तहत चौपाल लगाकर किसानों को जीरो टिलेज, सीड ड्रिल व पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती करने की तरीके बताये गये हैं. मौसम परिवर्तन के परिपेक्ष में धान की सीधी बुआई, विभिन्न खरीफ फसलों की वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने, जैविक खेती, कृषि यांत्रिकीकरण, केसीसी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि सरकारी योजनाओं के बारे जानकारी दी जा रही है.

जून में 136.1 एमएम बारिश का अनुमान

एसएसओ ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जून माह में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा का औसतन अनुपात 136.1 एमएम है. अब तक रेन फॉल रिपोर्ट शून्य है. किसी भी क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है. वैसे पिछले महीने मई में विभिन्न प्रखंडों में मिला जुलाकर 240.4 एमएम यानी औसतन 25.5 एमएम बारिश हुई थी.

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[SAMACHAR]

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