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ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर सेना के आला अफ़सरों में क्यों थे मतभेद

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इमेज स्रोत, Getty Images

25 मई, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने आख़िरकार तय कर लिया कि अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर से सिख चरमपंथियों को हटाने के लिए सेना की मदद ली जाएगी.

इंदिरा गाँधी ने सेनाध्यक्ष जनरल एएस वैद्य को तलब कर उनसे कहा कि वो सावधान की मुद्रा में रहें क्योंकि पंजाब का प्रशासन वहाँ के हालात से निपटने के लिए किसी भी समय उनकी मदद माँग सकता है.

इंदिरा गाँधी के प्रधान सचिव रहे पी. सी. एलेक्ज़ेंडर अपनी क़िताब ‘थ्रू द कॉरीडोर्स ऑफ़ पावर’ में लिखते हैं, “वैद्य ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया कि ताक़त का अधिकतम प्रदर्शन किया जाएगा लेकिन उसका इस्तेमाल न्यूनतम होगा.”

“इंदिरा ने बार-बार जनरल वैद्य से कहा कि आपके ऑपरेशन से मंदिर को और ख़ासकर हरमंदिर साहिब को किसी तरह की क्षति नहीं पहुँचनी चाहिए. मैं यहाँ बिल्कुल साफ़ कर देना चाहता हूँ कि 25 मई को प्रधानमंत्री ने जिस सैनिक ऑपरेशन की अनुमति दी थी और जिसके बारे में वैद्य ने 27 मई को हमसे चर्चा की थी, उसे सिर्फ़ गुरुद्वारों की घेराबंदी कर चरमपंथियों को बाहर निकालने तक सीमित रखा गया था.”

[SAMACHAR]

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