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Pakistan Airlines: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार सरकारी एयरलाइंस कंपनी PIA को बेचने जा रही है. कंपनी के प्राइवेटाइजेशन के लिए प्राइवेटाइजेशन कमीशन बोर्ड ने चार कंपनियों को बोली लगाने की मंजूरी भी दे दी है. इनमें से तीन सीमेंट इंडस्ट्री से जुड़ी हुई है, जबकि एक मिलिट्री फर्म है. बोली इस साल की चौथी तमिाही में लगाई जाएगी.
कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
सरकार 7 अरब डॉलर के इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड प्रोग्राम के तहत पैसे जुटाने और नकदी संकट से जूझ रहीं सरकारी कंपनियों के सुधार में जुटी हुई है. इसी क्रम में PIA में अपनी 51-100 परसेंट हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि IMF ने पिछले जुलाई में तीन साल के लिए पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर के सहायता पैकेज पर मुहर लगाई थी. इसका मकसद देश की इकोनॉमी में सुधार करना, आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना है.
पिछले साल भी हुई थी बेचने की कोशिश
पाकिस्तान की सरकार ने पिछले साल भी PIA को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी. उस वक्त PIA की कीमत 85.03 अरब पाकिस्तानी रुपये रखी थी, इसमें 45 अरब रुपये का घाटा भी शामिल था. हालांकि, इसे सिर्फ 10 अरब रुपये की ही बोली मिली थी. बीते दस सालों में यह देश की किसी बड़ी सरकारी कंपनी का निजीकरण होने जा रहा है.
इस बार बोली लगाने वाली कंपनियों में लकी सीमेंट, हब पावर होल्डिंग्स, कोहाट सीमेंट और मेट्रो वेंचर्स शामिल हैं. इसके अलावा, फौजी फर्टिलाइजर कंपनी और पाकिस्तानी एयरलाइन एयरब्लू को भी एयरलाइन के लिए बोली लगाने की मंजूरी मिल गई है. इसी के साथ बोली लगाने वाले एक और समूह का नेतृत्व निवेश कंपनी आरिफ हबीब कॉर्प कर रही है. इसमें फातिमा फर्टिलाइजर, द सिटी स्कूल और रियल एस्टेट कंपनी लेक सिटी होल्डिंग्स शामिल हैं.
मुश्किलों से गुजर रही PIA
PIA बीते कई सालों से आर्थिक संकट का सामना कर रही है. बात तब और ज्यादा बिगड़ गई जब कंपनी साल 2023 में अपने 7000 कर्मचारियों को नवंबर की सैलरी नहीं दे सकी. 2020 में कंपनी को पहला झटका तब लगा, जब यूरोपीय यूनियन ने PIA के सेफ्टी स्टैंडर्ड पर सवाल उठाते हुए इसके उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे कंपनी का इंटरनेशनल ऑपरेशन बुरी तरह से प्रभावित हुआ, जिससे कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ.
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[SAMACHAR]
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