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Guru Purnima: अगर आपके जीवन में कोई ‘सजीव गुरु’ नहीं हैं तो क्या आप गुरु पूर्णिमा नहीं मना सकते? बिल्कुल मना सकते हैं, और शायद और भी गहराई से. गुरु पूर्णिमा केवल किसी व्यक्ति की पूजा नहीं, गुरुत्व तत्व की उपासना है, जो हर जगह, हर रूप में विद्यमान है.
चाहे आपको जीवन में कोई गुरु न मिले हों, इस दिन आप ज्ञान, विवेक और चेतना के सार्वभौमिक स्रोत को नमन कर सकते हैं. यहां आप जान सकते हैं गुरु पूर्णिमा पर जिनके गुरु नहीं है वो कैसे मना सकता है और ऐसे लोगों के लिए कौन-से शास्त्रीय उपाय विशेष रूप से बताए गए हैं.
जिनका कोई गुरु नहीं है, क्या वे गुरु पूर्णिमा मना सकते हैं?
हां, और बहुत गहराई से. गुरु पूर्णिमा केवल देहधारी गुरु की वंदना नहीं है, यह ब्रह्मा से लेकर व्यास तक फैले गुरुत्व के उस परम सत्य की उपासना है, जो आत्मा में आलोकित होता है. गुरु तत्वं दैवतं, गुरु केवल एक व्यक्ति नहीं, वह चेतना है.
शास्त्रों में क्या कहा गया है ‘गुरुहीन साधकों’ के लिए?
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः.
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
इस श्लोक का अर्थ है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश सब गुरु ही हैं. तो जिनका कोई मानव-गुरु नहीं, वे ईश्वर को ही गुरु मानकर पूजा कर सकते हैं.
जिनके पास गुरु नहीं, वे कैसे करें गुरु पूर्णिमा की पूजा?
Step-by-Step पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
- अपने हृदय में एक गुरु-स्वरूप की कल्पना करें, जैसे भगवान दत्तात्रेय, वेदव्यास, शिव या किसी ग्रंथ को भी गुरु मानें (जैसे गीता, वेद, उपनिषद)
- एक दीपक जलाकर गुरु मंत्र बोलें:
- ओम् गुरवे नमः
- ज्ञानानन्दमयं देवं निर्मलस्फटिकाकृतिम्…
- गुरु गीता, शिव मंत्र, या वेद के अंश का पाठ करें
- अपने भीतर के अज्ञान को गुरु चरणों में समर्पित करें
कौन-से विकल्पिक गुरु बन सकते हैं?
- वेदव्यास जी (गुरु पूर्णिमा के मूल प्रेरक)
- भगवान शिव- आदिगुरु रूप
- श्रीकृष्ण- गीता के उपदेशदाता
- दत्तात्रेय- 24 गुरु वाले ज्ञान के स्रोत
- आपका अंतरात्मा या अनुभव
- पुस्तक, ज्ञान, शास्त्र भी गुरु हो सकते हैं
क्या गुरु बिना साधक आध्यात्मिक प्रगति कर सकता है?
आंशिक रूप से हां, लेकिन गुरु के बिना आत्म-संशोधन कठिन होता है. फिर भी यदि सच्चे मन से कोई साधक ब्रह्मा-विष्णु-महेश, या गीता जैसे ज्ञान स्रोत को गुरु मानकर समर्पण करे, तो उसे मार्गदर्शन अवश्य मिलता है.
आचार्यात् पादमादत्ते, पादं शिष्यः स्वमेधया.
पादं सब्रह्मचारिभ्यः, पादं कालक्रमेण च॥
यानि विद्या चार स्रोतों से मिलती है, और अनुभव भी एक गुरु है.
विशेष उपाय उन लोगों के लिए जिनके पास कोई गुरु नहीं
- प्रतिदिन गुरु गायत्री मंत्र का जप करें
- “ॐ गुरुदेवाय विद्महे, परब्रह्माय धीमहि, तन्नो गुरु: प्रचोदयात्”
- हर पूर्णिमा को एक ग्रंथ पढ़ने का संकल्प लें
- अपने दोष, अज्ञान और क्रोध को कागज़ पर लिखकर जल में प्रवाहित करें
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ज्ञानस्वरूप को नमन करें
- यदि संभव हो, किसी गुरु को खोजने का संकल्प लें
जीवन में कोई मार्गदर्शक न हो तो क्या करें?
- आत्म-अध्ययन करें
- स्व-चिंतन करें
- भक्ति और ध्यान के माध्यम से आंतरिक गुरु की खोज करें
- सामूहिक सत्संग, लेखन और सेवा को जीवन का हिस्सा बनाएं
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल किसी एक व्यक्ति की पूजा नहीं, बल्कि जीवन को प्रकाशित करने वाले ज्ञान की आराधना है. यदि आपके पास गुरु नहीं हैं, तो घबराएं नहीं, गुरु की खोज से पहले, आप अपने भीतर के अंधकार को जानिए और उसे मिटाने के लिए ‘गुरु तत्व’ से जुड़िए. वेदव्यास, शिव, गीता ये सब आपकी जीवन नौका के प्रथम गुरु बन सकते हैं.
FAQs
Q1. क्या बिना गुरु के साधक सफल हो सकता है?
हां, लेकिन आत्म-जांच और ईश्वर को गुरु मानना आवश्यक है.
Q2. क्या कोई किताब को भी गुरु मान सकते हैं?
बिलकुल. श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषद, और गुरु गीता, सभी योग्य गुरु हैं.
Q3. गुरु पूर्णिमा पर क्या संकल्प लें?
जहां अंधकार हो वहां प्रकाश बनूं, जहां भ्रम हो वहां विवेक.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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