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गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म का विशेष पर्व है. भारत में इसे आध्यात्मिक या अकादमिक गुरुओं के सम्मान में मनाया जाता है. यह दिन गुरुओं के प्रति वंदन, आभार, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का होता है. क्योंकि हर व्यक्ति के जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि अलग-अलग युग में देवताओं और महारथियों को भी गुरु ज्ञान की आवश्यकता पड़ी है. फिर चाहे वे श्रीराम हों या एकलव्य.
कब मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व
हिंदू परंपरा के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने का विधान है. आमतौर पर यह पर्व जून या फिर जुलाई के महीने में पड़ता है. इस साल गुरु पूर्णिमा गुरुवार 10 जुलाई 2025 को है. पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा की अवधि 10 जुलाई रात 01:36 से 11 जुलाई रात 2:06 तक रहेगी.
गुरु पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त 2025 (Guru Purnima 2025 Puja Time)
- ब्रह्रा पूजा मुहूर्त – सुबह 4:10 से 4:50 तक
- अभिजीत पूजा मुहूर्त- सुबह 11:59 से 12:54 तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 12:45 से 3:40 तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 7:21 से 7:41 तक
हिंदू धर्म में गुरुओं को ईश्वर से भी श्रेष्ठ दर्जा
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा का दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसलिए उनके सम्मान में इस दिन को व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) भी कहा जाता है. शास्त्रों के मुताबिक महर्षि वेद व्यास ने ही चारों वेदों की रचना की थी.
जैन, बौद्ध और हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का इतिहास
हिंदू धर्म:- हिंदू धर्म के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पावन दिन वेद व्यास से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि वेद व्यास ने ही वेदों को चार भागों में विभाजित और संपादित किया. इन्हें महाभारत और पुराणों का रचयिता भी कहा जाता है.
बौद्ध धर्म:- बौद्ध धर्म से जुड़े इतिहास के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने अपने पहले 5 शिष्यों को सारनाथ में पहला उपदेश दिया था, जिसके बाद संघ या शिष्यों के समूह का गठन हुआ.
जैन धर्म:- जैन धर्म से जुड़े इतिहास के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा का दिन भगवान महावीर की पूजा होती है. मान्यता है कि इसी दिन वे अपने पहले शिष्य गौतम स्वामी के गुरु बने थे.
गुरु पूर्णिमा के विभिन्न अनुष्ठान (Rituals of Guru Purnima)
- गुरु पूर्णिमा के दिन को विभिन्न धर्म में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है. बता दें कि केवल भारत ही नहीं बल्कि नेपाल और भूटान जैसे देशों में भी बड़े पैमाने पर गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है.
- प्राचीन समय में इस दिन किसान अच्छी वर्षा और पैदावार के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते थे.
- आधुनिक समय में विद्यालय और महाविद्यालयों या शैक्षणिक संस्थानों में छात्र अपने शिक्षकों को उपहार देते हैं, सम्मान व्यक्त करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.
- बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा पर ‘उपोसथ’ अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें बुद्ध की आठ शिक्षाओं का सम्मान किया जाता है. कई बौद्ध भिक्षु तो गुरु पूर्णिमा के दिन से अपने ध्यान यात्रा या तप साधना की शुरुआत भी करते हैं.
- कई आश्रमों में गुरु पूर्णिमा पर वेद व्यास की खड़ाऊ (चप्पल) की पूजा होती है. तो वहीं कुछ अपने आध्यात्मिक गुरु से मिलते हैं और आध्यात्मिक पथ पर चलने का प्रण लेते हैं. विशेष रूप से इस दिन को गुरु-शिष्य परंपरा के रूप में मनाया जाता है.
- हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा पर वेद व्यास की पूजा की जाती है. लोग गुरु वंदना करते हैं,गुरु का आशीर्वाद लेते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं. गीता का पाठ किया जाता है.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि (Guru Purnima Puja Vidhi)
गुरु पूर्णिमा पर आप भगवान विष्णु की पूजा करके भी शुभ फल पा सकते हैं. इसके लिए सुबह स्नानादि के बाद स्वस्छ हो जाएं और पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी, धूप, दीप, गंध, पुष्प और पीले फल चढ़ाएं. भगवान का का स्मरण करें. इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में भक्ति भाव जरूरी है. पूजा के बाद भगवान को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाएं और प्रणाम करें. इस दिन वेद व्यास की भी पूजा करनी चाहिए.
गुरु पूर्णिमा पर इन मंत्रों का जाप (Guru Purnima Mnatra) |
गुरु मंत्र | ॐ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ |
गुरु बीज मंत्र | ॐ श्री गुरुभ्यो नमः |
गायत्री मंत्र | ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥ |
गुरु अष्टकम् के श्लोक | “गुरुरादिरनाथः गुरुं मध्यमं नाथमात्मप्रबोधाय देवं नमामि॥” |
गुरु पूर्णिमा के 10 चमत्कारिक उपाय (Guru Purnima Upay)
- गुरु का आशीर्वाद लें
- पीपल वृक्ष की पूजा करें
- पीली वस्तुओं का दान करें
- गुरुओं की पूजा करें
- गुरु मंत्र का जाप करें
- घर पर गुरु यंत्र स्थापित करें
- तुलसी पूजन करें
- भगवान विष्णु की पूजा करें
- कनकधारा स्तोत्र या श्रीसूक्त का पाठ करें.
- पांच वर्ष की कन्याओं को फल और मिठाई का दान करें.
गुरु का महत्व (Importance of Guru)
प्राचीन कालीन सभ्यता से लेकर आधुनिक तौर पर व्यक्ति और समाज के निर्माण में गुरुओं की अहम भूमिका रही है. संत कबीर दास ने भी अपने दोहे के माध्यम से गुरु की भूमिका और महत्व को दर्शाया है, जोकि इस प्रकार है-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु अपने, गोविंद दियो बताए।।
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटै न दोष।।
गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥
कबीर हरि के रूठते, गुरु के शरण जाय।
कहे कबीर गुरु रूठते, हरि नहीं होत सहाय।।
आने वाले 5 सालों में गुरु पूर्णिमा की तिथि
2025- 10 जुलाई
2026- 29 जुलाई
2027- 18 जुलाई
2028- 6 जुलाई
2029- 25 जुलाई
2030- 15 जुलाई
2031- 4 जुलाई
FAQ. गुरु पूर्णिमा के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. भारत में गुरु पूर्णिमा 2025 की तारीख क्या है?
A. भारत में गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 को है.
Q. गुरु का अर्थ क्या है?
A. ‘गु’ का अर्थ अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है दूर करने वाला. इस तरह से गुरु वह है जो जीवन से अंधकार को दूर करता है.
Q. क्या गुरु पूर्णिमा पर सार्वजनिक अवकाश होता है?
A. गुरु पूर्णिमा भारत में राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश नहीं है.
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