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बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. यह दिन सिर्फ बौद्ध धर्म के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में भी बहुत खास माना जाता है. इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है. भगवान बुद्ध का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए अब इस दिन को बुद्ध जयंती भी कहते हैं. आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व.
पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा की तिथि 11 मई को शाम 8:01 बजे शुरू होगी और 12 मई की रात 10:25 बजे खत्म होगी. उदयातिथि के हिसाब से बुद्ध पूर्णिमा 12 मई को मनाई जाएगी. इस दिन चंद्रोदय यानी चंद्रमा के निकलने का समय शाम 6:57 बजे रहेगा.
बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ भगवान बुद्ध के जन्म का दिन नहीं है, बल्कि इसी दिन उन्हें ज्ञान भी मिला था. इसलिए यह दिन ज्ञान और सीख के लिए भी बहुत खास माना जाता है. जो लोग अपने बुरे काम छोड़कर नया और अच्छा जीवन शुरू करना चाहते हैं, वे इस दिन अच्छा संकल्प ले सकते हैं.
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी हुआ. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ था. वे एक राजकुमार थे. उनके पास सब कुछ था: धन, सुख और वैभव. लेकिन फिर भी उन्हें अपना जीवन बिना किसी खास उद्देश्य के अधूरा लगता था.
सिद्धार्थ ने सच्चाई की तलाश में सात साल तक कठिन साधना की. आखिर में, वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला. इसी दिन वे राजकुमार सिद्धार्थ से भगवान बुद्ध बन गए.
इसी कारण वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के नए जन्म का दिन माना जाता है. तभी से इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाने लगा. मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने इसी दिन खीर खाकर अपना व्रत तोड़ा था, इसलिए इस दिन खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है.
Published at : 11 May 2025 07:35 PM (IST)
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