Ayodhya Ram Mandir Pujari Satyendra Das Maharaj Death Update | Ramlala | राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन: लखनऊ PGI में आखिरी सांस ली; ब्रेन हेमरेज के बाद कराया गया था एडमिट – Ayodhya News

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अयोध्या में भगवान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 80 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ पीजीआई में बुधवार को आखिरी सांस ली। 3 फरवरी को ब्रेन हैमरेज के बाद उनको अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया। तब से उनका इलाज चल रहा था।

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सत्येंद्र दास 34 साल से रामजन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी सेवा दे रहे थे। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस के समय वे रामलला को गोद में लेकर भागे थे। तब से लेकर आज तक राम लला की सेवा कर रहे थे।

4 फरवरी को सीएम योगी ने PGI में सत्येंद्र दास से मुलाकात की थी।

4 फरवरी को सीएम योगी ने PGI में सत्येंद्र दास से मुलाकात की थी।

संत कबीरनगर में जन्मे, अयोध्या में बीता जीवन सत्येंद्र दास का जन्म संतकबीरनगर जिले में 20 मई, 1945 में हुआ हुआ था। जो अयोध्या से 98.4 किमी की दूरी पर है। वे बचपन से ही भक्ति भाव में रहते थे। उनके पिता अकसर अयोध्या आया करते थे, वह भी अपने पिता के साथ अयोध्या घूमने आया करते थे।

यहां उनके पिता अभिरामदास जी के आश्रम में आते थे। सत्येंद्र दास भी अभिराम जी के आश्रम में आने लगे थे। अभिराम दास वही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था। इन्हीं मूर्तियों के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी गई।

मूर्तियों के प्रकट होने के दावे और अभिराम दास जी की रामलला के प्रति सेवा देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं के आश्रम में रहने के लिए उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया था। सत्येंद्र दास ने 1958 में घर छोड़ दिया था। उनके परिवार में दो भाई और एक बहन थीं, लेकिन बहन का निधन हो चुका है।

उन्होंने जब अपने पिता को संन्यास लेने का फैसला सुनाया तो उनके पिता ने भी कोई आश्चर्य जाहिर नहीं किया। साथ ही उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा कि मेरा एक बेटा घर संभालेगा और दूसरा रामलला की सेवा करेगा।

1992 में ली गई ये उसी मंच की तस्वीर है, जहां से कारसेवा के लिए अनाउंसमेंट किया जाता था। तस्वीर में पुजारी सत्येंद्र दास के साथ VHP के अध्यक्ष अशोक सिंघल के साथ।

1992 में ली गई ये उसी मंच की तस्वीर है, जहां से कारसेवा के लिए अनाउंसमेंट किया जाता था। तस्वीर में पुजारी सत्येंद्र दास के साथ VHP के अध्यक्ष अशोक सिंघल के साथ।

जानिए कैसे राम मंदिर से जुड़े 1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। उस समय जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त हुए थे। फरवरी 1992 में मौत हो गई, तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया। तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई।

उस समय तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे। उनसे सत्येंद्र दास के घनिष्ठ संबंध थे। इसके बाद 1 मार्च 1992 को सत्येंद्र दास की नियुक्ति हो गई। उन्हें अधिकार मिला था कि वो 4 सहायक पुजारी भी रख सकते हैं।

तब उन्होंने 4 सहायक पुजारियों को रखा था। उनमें संतोष तिवारी भी शामिल थे। 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यहां के पुजारियों की जिम्मेदारियां बढ़ा दी गई। सत्येंद्र दास को ही मुख्य पुजारी रखा गया।

खबर लगातार अपडेट की जा रही है…..



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