2005 में झामुमो से इस्तीफा देकर निर्दलीय लड़ गये थे विधानसभा चुनाव

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Ramdas Soren News| घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), मो परवेज : घाटशिला विधानसभा क्षेत्र रामदास सोरेन की राजनीतिक जमीन है. यहीं से उन्होंने असल राजनीति शुरू की. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के जिलाध्यक्ष रहते पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो वर्ष 2005 में बागी बन गये थे. पद और पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूद गये. हालांकि, तब वह चुनाव हार गये. 35 हजार वोट लाकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनकी आगे की राजनीति कैसी होने वाली है.

2005 में कांग्रेस से गठबंधन की वजह से नहीं मिला टिकट

वर्ष 2005 में झामुमो का कांग्रेस के साथ गठबंधन था और तब प्रदीप बलमुचु इस सीट से चुनाव लड़े थे. इसके बाद वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो ने रामदास सोरेन को पार्टी का टिकट दिया और पहली बार वह विधायक बने. फिर वर्ष 2014 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू से चुनाव हार गये. हारने के बाद भी वह अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे.

2019 और 2024 में लगातार दो बार घाटशिला से जीते

वर्ष 2019 में जब पार्टी ने टिकट दिया, तो उन्होंने भाजपा से यह सीट छीन ली. वर्ष 2024 में तीसरी बार भारी मतों से जीतकर घाटशिला के विधायक बने. विधानसभा चुनाव से पहले कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन ने झामुमो से रिश्ता तोड़ा, तो रामदास सोरेन के लिए मंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया.

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मंत्री बनने पर Ramdas Soren के गांव में मना था जश्न

रामदास सोरेन को दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाये जाने से घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में खुशी का माहौल था. रामदास सोरेन के पैतृक गांव घाटशिला प्रखंड के दामपाड़ा क्षेत्र स्थित खरस्वती में जश्न मना और मिठाइयां बांटी गयीं थीं. पैतृक गांव खरस्वती में उनकी भाभी दुली सोरेन ने तब कहा था कि रामदास बाबू दोबारा मंत्री बने हैं. मेरा आशीर्वाद है, वे खूब आगे बढ़ें और झारखंड के गरीब-गुरबा की सेवा करें.

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रामदास सोरेन सूट पहने हुए (बीच में). फोटो : प्रभात खबर

27 जुलाई को घाटशिला मांझी महाल सभा में हुए थे शामिल

रामदास सोरेन 27 जुलाई 2025 को घाटशिला में मांझी परगना महाल के सभा में शामिल हुए थे. महाल को उन्होंने अपने कोष से बोलेरो वाहन दिया था. आदिवासी स्वशासन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का शिलान्यास किया था. इसके बाद वे रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए दिल्ली गये थे. दिल्ली से लौटने पर कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए. इसके बाद जमशेदुपर आये थे.

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2 अगस्त को बाथरूम में गिर गये थे रामदास सोरेन

जमशेदपुर में 2 अगस्त को सुबह-सुबह वह अपने बाथरूम में गिर गये और उनके सिर में गंभीर चोट आयी. सिर के अंदर बहुत खून बह गया. ब्लड क्लॉटिंग भी हो गयी. उनकी गंभीर हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर एयरलिफ्ट करके उन्हें दिल्ली ले जाया गया था. दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने उनको बेहतरीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे.

4 अगस्त को दिल्ली में ही शिबू सोरेन का हुआ था निधन

जिस रामदास सोरेन को जिस दिन एयरलिफ्ट करके दिल्ली ले जाया गया, उस समय दिशोम गुरु शिबू सोरेन की भी हालत गंभीर थी. वह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे. 4 अगस्त को शिबू सोरेन को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था. 5 अगस्त को रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड में स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में अंतिम संस्कार हुआ था.

शिबू सोरेन के दशकर्म के दिन रामदास ने ली अंतिम सांस

नेमरा गांव में दिशोम गुरु के श्राद्ध कर्म के दसवें दिन रामदास सोरेन ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. स्वतंत्रता दिवस के दिन वह जीवन-मृत्यु के बंधनों से आजाद हो गये. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उनका अंतिम संस्कार कब और कहां किया जायेगा. रामदास सोरेन का पूरा परिवार दिल्ली में ही है.

लगातार रामदास के साथ रहे कुणाल षाड़ंगी

बहरागोड़ा के पूर्व झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी लगातार दिल्ली में रहकर रामदास सोरेन का अपडेट ले रहे थे. वही मीडिया को भी उनका हेल्थ अपडेट देते थे. आज जब दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामदास का निधन हुआ, तो पहले उनके बड़े बेटे ने ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी दी. इसके बाद कुणाल षाड़ंगी ने भी ट्वीट करके झारखंड के शिक्षा मंत्री के निधन की पुष्टि की.

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