Israel Iran War : पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच लगातार बढ़ते तनाव और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद वैश्विक ऊर्जा बाजारों में नई हलचल शुरू हो गई है। इस भू-राजनीतिक संकट का केंद्र बन रहा है होर्मुज जलडमरूमध्य — वह समुद्री मार्ग जिसके जरिए दुनिया के बड़े हिस्से को कच्चे तेल की आपूर्ति होती है। अगर ईरान इस मार्ग को बंद कर देता है, तो न केवल वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था बाधित होगी, बल्कि भारत जैसे बड़े देशों पर भी इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।
इस विषय पर भारत सरकार पहले से ही सजग है और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत के पास पर्याप्त विकल्प और रणनीतिक भंडार मौजूद है, जिससे फिलहाल घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कितना तेल आता है इस मार्ग से?
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ऊर्जा आपूर्ति को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि देश प्रतिदिन लगभग 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है, जिसमें से 1.5 से 2 मिलियन बैरल तेल की आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य के ज़रिए होती है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत की निर्भरता पूरी तरह इस मार्ग पर नहीं है, क्योंकि शेष तेल वैकल्पिक स्रोतों और समुद्री रास्तों से मंगाया जा रहा है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि देश की प्रमुख तेल कंपनियों के पास तीन सप्ताह तक की खपत के बराबर तेल भंडार पहले से मौजूद है, जबकि एक अग्रणी कंपनी के पास 25 दिनों तक का रिज़र्व स्टॉक सुरक्षित रखा गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार पहले ही तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रभावी कदम उठा चुकी है और कई अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से रणनीतिक संवाद बनाए हुए है।
संकट की घड़ी में भी विकल्प तैयार
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार की प्राथमिकता शांति और स्थायित्व बनाए रखने की है, लेकिन अगर परिस्थिति और बिगड़ती है तो भारत वैकल्पिक मार्गों से आपूर्ति को बढ़ाने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय नेताओं से चर्चा कर रहे हैं, जिसमें ईरान के राष्ट्रपति से भी तनाव कम करने पर विस्तार से बातचीत हुई है।
तेल कीमतों को लेकर क्या है पूर्वानुमान?
तेल की कीमतों में संभावित उछाल को लेकर हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस पर अभी कोई ठोस अनुमान लगाना कठिन है। “पिछले लंबे समय से कीमतें 65 से 75 डॉलर प्रति बैरल के बीच बनी रही हैं। यदि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है, तो कीमतों पर इसका असर जरूर पड़ेगा, लेकिन वैश्विक बाजार में तेल की उपलब्धता अच्छी है और पारंपरिक आपूर्तिकर्ता भी आपूर्ति बनाए रखने में रुचि लेंगे क्योंकि यह उनके लिए भी राजस्व का प्रश्न है । Israel Iran War
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