सिकल सेल एनीमिया के लिए अब तक 6 करोड़ लोगों की हो चुकी है जांच

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Health: देश में आदिवासी बहुल इलाकों में सिकल सेल एनीमिया की समस्या गंभीर है. देश को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2047 का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए आदिवासी बहुल इलाकों में सिकल सेल एनीमिया से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर कार्यक्रम चलाने का फैसला लिया गया है. राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएससीएईएम) के तहत सिकल सेल रोग के निदान के लिए देश भर में जिला अस्पतालों से लेकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) में इससे जुड़े रोग के लिए सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में जांच की सुविधा मुहैया करायी गयी है.

अब तक सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए कुल 30 बेडसाइड परीक्षण (पीओसीटी) और 5 नॉन-रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) एसेज मान्य परीक्षणों को आईसीएमआर द्वारा अनुमोदित किया गया है. इसे राज्यों द्वारा जांच के लिए उपयोग जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार 31 जुलाई 2025 तक 17 चिन्हित जनजाति बहुल राज्यों में कुल 6.07 करोड़ सिकल सेल एनीमिया संबंधी जांच की गयी. इस रोग से पीड़ित मरीज काे कई तरह की सुविधा मुहैया करायी जाती है. 

देश के जनजातीय समुदाय को स्वस्थ बनाने की मुहिम

जनजातीय कार्य मंत्रालय के जरिये सिकल सेल एनीमिया के प्रति जागरूकता एवं परामर्श सामग्री विकसित की गयी है. राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में इसे वितरित किया गया है. इसका मकसद आदिवासी समुदाय में सिकल सेल एनीमिया को लेकर मासिक आयुष्मान आरोग्य शिविरों के जरिये विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता फैलाना है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित सिकल सेल एनीमिया केंद्र की स्थापना के लिए लागत मानदंडों के लिए दिशानिर्देश जारी किया है और अब तक जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा देश के 14 राज्यों में 15 ऐसे उत्कृष्टता केंद्रों को मंजूरी दी जा चुकी है. 

स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के तहत आईसीएमआर ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में आईसीएमआर-राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटीएच) और महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हीमोग्लोबिन पैथी के अनुसंधान प्रबंधन और नियंत्रण के लिए एक केंद्र की स्थापना की है, जो सिकल सेल रोग सहित राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सहयोग करता है. मंगलवार को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी दी. 

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