Close

साइप्रस की शांति रेखा पर पीएम मोदी की दस्तक, खूब हो रही है चर्चा

PM Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तीन देशों की विदेश यात्रा पर हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने साइप्रस से की है। यह दौरा केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीति और संकेतों की दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है। इसी यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने उस ज़ोन का दौरा किया, जिसे ‘ग्रीन लाइन बफर ज़ोन’ कहा जाता है—एक ऐसा इलाका जो दशकों से साइप्रस और तुर्किए के बीच विभाजन की रेखा बना हुआ है।

साइप्रस में भव्य स्वागत और सर्वोच्च नागरिक सम्मान

साइप्रस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडूलाइड्स ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया। इस दौरान उन्हें साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी प्रदान किया गया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों का प्रतीक है। यह सम्मान ऐसे समय में मिला है जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका पहले से कहीं अधिक मुखर और निर्णायक हो चुकी है।

ग्रीन लाइन पर पीएम मोदी की ऐतिहासिक मौजूदगी

निकोशिया शहर के मध्य में स्थित उस स्थल पर जब प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति निकोस के साथ खड़े थे, उनके पीछे ‘टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस’ (TRNC) का झंडा दिखाई दे रहा था—एक ऐसा क्षेत्र जिसे केवल तुर्किए ही मान्यता देता है, जबकि शेष अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे अवैध कब्जा मानता है। वर्ष 1974 में तुर्किए ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर सैन्य कार्रवाई के जरिए नियंत्रण स्थापित किया था, जिसके बाद यह ग्रीन लाइन बफर ज़ोन अस्तित्व में आया।

क्या है ‘ग्रीन लाइन बफर ज़ोन’?

‘ग्रीन लाइन बफर ज़ोन’ साइप्रस द्वीप को उत्तर और दक्षिण हिस्सों में बांटने वाली एक अस्थायी सीमा रेखा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना (UN Peacekeeping Force) की निगरानी में रखा गया है। यह ज़ोन करीब 180 किलोमीटर लंबा है और इसकी चौड़ाई अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न है—कहीं यह कुछ मीटर है, तो कहीं कुछ किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1974 के संघर्ष के बाद की गई थी, ताकि तुर्की-नियंत्रित उत्तर और ग्रीक साइप्रस के बीच कोई नया टकराव न हो।

सामान्य जनता के लिए बंद है यह क्षेत्र

यह इलाका आम नागरिकों के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यहां केवल संयुक्त राष्ट्र के सैनिकों और विशेष अनुमति प्राप्त व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति है। इस क्षेत्र में आज भी 1974 के संघर्ष की कई निशानियां बाकी हैं—छोड़े गए घर, जर्जर वाहन, और एक प्रमुख हवाई अड्डा जो तब से बंद पड़ा है। बफर ज़ोन शांति बनाए रखने की एक जीवित मिसाल है, जो यह दर्शाता है कि अनसुलझे विवाद कैसे समय के साथ स्थायी विभाजन का रूप ले सकते हैं।        PM Modi

जी-7 समिट में पहुंचे पीएम मोदी, डोनाल्ड ट्रंप से नहीं हो पाएगी मुलाकात

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Source link
https://findsuperdeals.shop

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *