UP News : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिला सुरक्षा के मामले में इतिहास रच दिया है। उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की नीति अब देशभर में एक मिसाल बनती जा रही है। केंद्र सरकार की इंवेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेस (ITSSO) की हालिया रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है। रिपोर्ट के अनुसार, यौन उत्पीड़न के मामलों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश ने देश के सभी बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया है, जबकि कंप्लायंस रेट (चार्जशीट दाखिल करने की दर) के मामले में भी राज्य अग्रणी बना हुआ है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की नीति और प्रशासनिक सख्ती का ही नतीजा है कि प्रदेश का निस्तारण रेशियो 98.60% तक पहुंच गया है। ये आंकड़े 21 अप्रैल 2018 से 3 जून 2025 तक की अवधि को कवर करते हैं, जिसमें कुल 1,22,130 प्राथमिकी दर्ज की गईं। ITSSO रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन को ‘रोल मॉडल’ की संज्ञा दी गई है। खास बात यह है कि जिन राज्यों में आबादी अधिक है और जहां अपराध की चुनौतियाँ ज्यादा हैं, उन राज्यों में उत्तर प्रदेश ने न केवल निस्तारण दर में बढ़त बनाई है बल्कि लंबित मामलों को खत्म करने की दिशा में भी अनुकरणीय कार्य किया है।
पेंडेंसी रेट में सबसे कम उत्तर प्रदेश
इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश का पेंडेंसी रेट मात्र 0.20 प्रतिशत है, जो इसे पूरे देश में महिला संबंधी मामलों के त्वरित निस्तारण में शीर्ष पर स्थापित करता है। वहीं दूसरी ओर मणिपुर (65.7%), तमिलनाडु (58.0%) और बिहार (34.5%) जैसे राज्यों की स्थिति काफी कमजोर पाई गई है।
कंप्लायंस रेट की बात करें तो, देशभर में गोवा और दादरा एवं नगर हवेली भले पहले और दूसरे स्थान पर हों, लेकिन बड़े राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश 80.60% की दर के साथ शीर्ष पर है। उत्तराखंड (80%) और मध्य प्रदेश (77%) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश इस श्रेणी में दसवें स्थान पर था, जो अब प्रशासनिक दक्षता के बल पर शिखर तक पहुंच चुका है।
सतत निगरानी और कार्रवाई का नतीजा
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (WCSO) की नोडल अधिकारी पद्मजा चौहान ने बताया कि योगी सरकार के नेतृत्व में महिला अपराधों की रोकथाम और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। जिले और कमिश्नरेट स्तर पर एएसपी स्तर के अधिकारी पॉक्सो मामलों की निगरानी कर रहे हैं। दो माह से अधिक पुराने मामलों में IO (इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर) से व्यक्तिगत जवाब-तलबी की जा रही है। इसके अतिरिक्त समय पर जांच पूरी करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया जा रहा है, जबकि लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। नियमित ट्रेनिंग, कानूनी कार्यशालाएं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केसों की समीक्षा, और डिजिटल मॉनिटरिंग ने इस सफलता को और भी मजबूती दी है। UP News
कानपुर बनेगा उत्तर भारत का ई-व्हीकल निर्माण हब, जानें कितनी होगी लागत
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।
Source link
https://findsuperdeals.shop