यूक्रेन के पास कौन से दुर्लभ खनिज हैं और ट्रम्प उन्हें क्यों लेना चाहते हैं?
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यूक्रेन और अमेरिका खनिज समझौते की शर्तों पर राज़ी हो गए हैं. यूक्रेन की राजधानी कीएव में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को इसकी जानकारी दी है.
अधिकारी ने इसका ब्योरा तो नहीं दिया लेकिन कहा कि दोनों देश समझौते में अहम संशोधनों के लिए राजी हो गए ताकि इसे अंजाम दिया सके.
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिका ने यूक्रेन के खनिजों के इस्तेमाल से 500 अरब डॉलर की कमाई हासिल करने की शुरुआती शर्त छोड़ दी है.
लेकिन समझौते के बदले अमेरिका ने यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी नहीं दी है. ये डील के लिए यूक्रेन की ये प्रमुख शर्त थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की इस सप्ताह इस डील पर दस्तख़्त करने वॉशिंगटन आ सकते हैं. इससे पहले दोनों नेताओं ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था.
अतीत में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ट्रंप के खनिज समझौते के प्रस्ताव के ये कहते हुए ख़ारिज कर चुके हैं कि वो ‘अपने देश को नहीं बेचेंगे.’
यूक्रेन के पास दुर्लभ खनिजों का एक बड़ा भंडार है. जिन क्षेत्रों ये खनिज हैं उनमें से कुछ फ़िलहाल रूस के कब्ज़े में हैं.
लेकिन 10 फ़रवरी को फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, “मैंने उनसे कह दिया है कि हमें $500 बिलियन के रेयर अर्थ मिनरल चाहिएं. और वो इसके लिए लगभग मान गए हैं.”
इस इंटरव्यू के बाद ज़ेलेंस्की ने कहा था, “ये कोई गंभीर वार्तालाप नहीं था. मैं अपना देश नहीं बेच सकता.”
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क्या अब थमेगी जंग?
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ट्रंप ने कहा था कि यूक्रेन अमेरिका को अपने रेयर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल करने दे क्योंकि रूस के साथ युद्ध के दौरान जो बाइडन प्रशासन ने उसे अरबों डॉलर की मदद की थी.
ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिका अब तक यूक्रेन को 300 से 500 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. अमेरका ने ज़ेंलेस्की को तानाशाह कहा था और युद्ध शुरू करने लिए रूस को नहीं बल्कि यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया था.
इस खनिज समझौते को रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन को अमेरिका का समर्थन जारी रखने की अहम शर्त के तौर पर देखा जा रहा है.
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ये समझौता रूस के साथ यूक्रेन के युद्धविराम की राह में पहला कदम होगा.
मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वो यूक्रेन के खनिजों तक अमेरिका की पहुंच में बाधा नहीं बनेंगे.
इसमें उन इलाकों के खनिज भी शामिल हैं, जिन पर रूस ने कब्जा कर रखा है.
अमेरिका ने इस समझौते के बदले भले ही यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी नहीं दी हो लेकिन माना जा रहा है कि इसके बाद युद्धविराम की कोशिशों में तेजी आ सकती है.
ट्रंप की यूक्रेन के खनिजों पर क्यों है नज़र
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सवाल ये है कि ट्रंप यूक्रेन के खनिजों को हासिल करने पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं.
दरअसल ट्रंप की नज़र यूक्रेन के जिस रेयर अर्थ मिनरल्स खजाने पर है उनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कार से लेकर आधुनिक हथियारों और सैन्य साजो-सामान बनाने में होता है.
रेयर अर्थ मिनरल्स की ग्लोबल सप्लाई पर फिलहाल चीन का कब्जा है.
संभवत: चीन को रोकने के लिए ही ट्रंप रेयर अर्थ मिनरल्स के उत्पादन और सप्लाई पर अमेरिका का हिस्सा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
पिछले कुछ दशकों में चीन रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन और इसकी प्रोसेसिंग के मामले में सबसे बड़ा देश बन गया है. इन खनिजों के ग्लोबल प्रोडक्शन के 60 से 70 फ़ीसदी हिस्से पर उसका कब्जा है. प्रोसेसिंग क्षमता में भी 90 फ़ीसदी हिस्सेदारी चीन के पास है.
रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए चीन पर अमेरिकी निर्भरता ट्रंप प्रशासन के लिए चिंता की बात है. इससे आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर चीन के मुक़ाबले अमेरिकी दांव कमजोर पड़ सकता है.
यूक्रेन के पास कौन से खनिज हैं?
यूक्रेन के पास उन 30 खनिजों में से 21 के भंडार हैं जिन्हें यूरोपियन यूनियन ‘बेहद अहम कच्चा माल’ कहता है. यूक्रेन के पास इन खनिजों का जो भंडार है वो पूरी दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स के रिजर्व का पांच फीसदी है.
यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स के ज्यादातर भंडार क्रिस्टलाइन शील्ड के दक्षिण इलाके में हैं. ये इलाका अज़ोव सागर के दायरे में आता है. यहां ज्यादातर इलाकों पर फिलहाल रूस का कब्जा है.
फिलहाल यूक्रेन के पास ग्रेफाइट का 1.90 करोड़ टन का भंडार है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में होता है.
यूक्रेन के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को बनाने के लिए जरूरी लिथियम का भी भंडार हैं. यूरोप में लिथियम का जितना बड़ा भंडार है उसका तिहाई हिस्सा अकेले यूक्रेन के पास है.
रूस के हमले से पहले यूक्रेन दुनिया के सात फ़ीसदी टाइटेनियम का उत्पादन करता था. इसका इस्तेमाल विमानों से लेकर पावर स्टेशनों के निर्माण में होता है.
यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स के कुछ भंडारों पर रूस ने कब्जा कर लिया है. यूक्रेन के आर्थिक मामलों की मंत्री यूलिया स्वीरिदेंको के मुताबिक़ लगभग 350 अरब डॉलर के खनिज संसाधनों पर रूस का कब्जा हो चुका है.
रेयर अर्थ मिनरल्स क्या हैं?
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रेयर अर्थ रासायनिक तौर पर 17 समान तत्वों का सामूहिक नाम है, जिनका इस्तेमाल आधुनिक टेक्नोलॉजी और उद्योगों में होता है.
स्मार्टफोन, कंप्यूटर, मेडिकल उपकरणों समेत कई चीजों को बनाने और तकनीकों में इनका इस्तेमाल होता है.
रेयर अर्थ मिनरल्स में स्केनडियम, वाईट्रियम, लेन्थनम, सेरियम, प्रेसिडोनियम, नियोडाइमियम, प्रोमेथियम, सैमेरियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डायसप्रोसियम, होलमियम, एरबियम, थुलियम और ल्युटेटियम शामिल हैं.
इन खनिजों को इसलिए ‘रेयर’ कहा जाता है क्योंंकि शुद्ध रूप मिलना लगभग दुर्लभ है. हालांकि पूरी दुनिया में इनके कुछ भंडार मौजूद हैं.
रेयर अर्थ मिनरल्स अक्सर थोरियम और यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों के साथ पाए जाते हैं. लेकिन उन्हें इससे अलग करने के लिए काफी जहरीले रसायनों की जरूरत पड़ती है. लिहाजा इनकी प्रोसेसिंग काफी मुश्किल और महंगी हो जाती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित