मॉरीशस पहुंचे नरेंद्र मोदी को वहां का सर्वोच्च सम्मान मिला, मॉरीशस और भोजपुरी का क्या है नाता
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस के दौरे पर हैं और वहां 12 मार्च को राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रधानमंत्री के दौरे के बारे में एक्स पर एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने दो दिनों के कार्यक्रम के बारे में भोजपुरी में जानकारी दी.
भोजपुरी में उनके संदेश पर कई सोशल मीडिया यूज़र्स प्रतिक्रिया दे रहे है और उनकी भोजपुरी के लहज़े को लेकर उनकी तारीफ़ कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान, ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ़ ऑर्डर ऑफ़ द स्टार एंड की ऑफ़ द इंडियन ओशन’ देने की घोषणा की है. यह सम्मान पाने वाले पीएम मोदी पहले भारतीय हैं.
मारीशियन क्रिओल, फ़्रेंच और अंग्रेज़ी के अलावा मॉरीशस में बड़े पैमाने पर भोजपुरी बोली जाती है और दोनों के बीच आज़ादी से पहले का ऐतिहासिक रिश्ता रहा है.
ब्रिटिश उपनेशवादी 19वीं सदी की शुरुआत में भारत के भोजपुरी क्षेत्र (ख़ासकर आज के बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश) से बड़े पैमाने पर गिरमिटिया मज़दूरों को मॉरीशस ले कर आए थे.
मॉरीशस में भारतीय हाईकमीशन के मुताबिक़ वर्तमान में यहां भारतीय मूल के लोगों की आबादी 70% प्रतिशत है और भोजपुरी का बोलबाला है.
पीएम का भोजपुरी गीत से स्वागत
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मंगलवार को जब भारत के प्रधानमंत्री मॉरीशस पहुंचे उनका स्वागत भोजपुरी संगीत और परम्परा से किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “मॉरीशस में अविस्मरणीय स्वागत से बहुत अभिभूत हूं. यहां की संस्कृति में भारतीयता किस तरह रची-बसी है, उसकी पूरी झलक ‘गीत-गवई’ में देखने को मिली. हमारी भोजपुरी भाषा मॉरीशस में जिस तरह से फल-फूल रही है, वह हर किसी को गौरवान्वित करने वाली है.”
इसके साथ ही उन्होंने अपने स्वागत के पहलुओं को समेटे हुए एक वीडियो भी साझा किया जिसमें एक सांस्कृतिक टोली भोजपुरी में स्वागत गान गाकर उनका स्वागत कर रही है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में कहा, “रउआ लोग के परनाम, नमस्कार. भारत के माननीय प्रधानमंत्री मॉरीशस के धरती पर पहुंच गईल बाड़न. आज सवेरे हवाईअड्डा पर इन क स्वागत धूमधाम से भईल.”
जायसवाल ने कहा कि दो दिवसीय दौरे के पहले दिन प्रधानमंत्री के लिए मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने रात्रिभोज का आयोजन किया है.
12 मार्च को वह मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे.
मॉरीशस और भारतीय मूल के लोगों का इतिहास
मॉरीशस पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय देश है जिसका इतिहास, जनसांख्यिकी और संस्कृति कई मायनों में भारत से जुड़ी हुई है.
मॉरीशस में भारतीय हाई कमीशन के मुताबिक़, वहां की कुल आबादी 12 लाख के क़रीब है जिसमें 70% भारतीय मूल के और क़रीब 28 % क्रियोल हैं.
यह पहले फ़्रांसीसी उपनिवेश और ब्रिटिश उपनिवेश था और 1968 में इसे ब्रिटेन से आज़ादी मिली. फ्रांस ने इस पर कब्ज़ा किया और एक सदी तक (1710-1810 ईस्वी तक) उसका शासन रहा.
उस दौरान दक्षिण भारत, ख़ासकर पुडुचेरी से पहली बार भारतीय लोगों को लाया गया.
लेकिन 1810 में ब्रिटिश सैनिक मॉरीशस पहुंचे और उसे अपने कब्ज़े में ले लिया. 1834 में ब्रिटिश शासकों ने ग़ुलामी प्रथा को समाप्त कर दिया और इसके अगले साल यानी 1835 से गिरमिटिया श्रमिकों की व्यवस्था लागू की गई. यह एक किस्म की ठेका प्रथा थी, जिसमें मज़दूरों से कांट्रैक्ट साइन कराया जाता था.
इसके बाद के दशकों में पड़े पैमाने पर भारतीय गिरमिटिया मज़दूरों को मॉरीशस ले जाया गया. मॉरीशस के भारतीय हाई कमीशन के अनुसार सन् 1834 से सन् 1900 के दशक के बीच क़रीब पांच लाख भारतीयों को ले जाया गया.
यह दौर था औपनिवेशिक काल का, जब भयंकर ग़रीबी से जूझने वाले बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाक़ों में हज़ारों लोग गिरमिटिया के रूप में मॉरीशस, त्रिनिदाद, टोबेगो और सूरीनाम जैसे देश मज़दूरी के लिए गए थे और फिर वहीं रह गए.
हाई कमीशन के अनुसार, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब 1901 में दक्षिण अफ़्रीका से भारत लौट रहे थे तो वह 29 अक्तूबर से 15 नवंबर तक मॉरीशस में रुके थे और उनकी याद में ही गांधी के डांडी यात्रा की तारीख़ 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
जब वंशजों को खोजते बिहार पहुंचे थे मॉरीशस के राष्ट्रपति
पटना से 30 किलोमीटर दूर पुनपुन मसौढ़ी अंचल के वाजितपुर गांव में वो पत्नी अनीता पुरयाग के साथ पहुंचे थे और नागरिक अभिनंदन के दौरान अपने परदादा पुरयाग नोनिया को याद कर वह रोने लगे.
उन्होंने तब बताया था कि लगभग 150 वर्ष पहले उनके परदादा पुरयाग नोनिया बिहार के वाजितपुर गांव से मॉरीशस गए थे. तब उन्होंने बिहार और मॉरीशस के रिश्ते को ‘भाई-भाई का रिश्ता’ बताया था.
मॉरीशस के कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भारतीय मूल के लोग रहे हैं. वर्तमान में भी वहां के प्रधानमंत्री नवीनचंत्र रामगुलाम हैं और राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल हैं.
भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंध
मॉरीशस और भारत के बीच ऐतिहासिक सांस्कृतिक और जनसांख्यिकी की साझी विरासत के अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक रिश्ते भी शुरू से ही बड़े मजबूत रहे हैं.
जब मॉरीशस आज़ाद नहीं हुआ था तब 1948 से 1968 के बीच भारतीय कमिश्नर की वहां नियुक्ति हुई थी.
पिछले वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच 78.1 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था.
भारतीय हाई कमीशन के मुताबिक़, मॉरीशस से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) भी बड़े पैमाने पर होता है और दोनों देशों के बीच दोहरा टैक्स न लगाने को लेकर संधि के कारण साल 2000 से ही अब तक भारत में 175 अरब डॉलर का एफ़डीआई आया है जो कि भारत में आने वाले कुल एफ़डीआई का एक चौथाई है.
भारत से मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थ, फ़ॉर्मास्यूटिकल्स, अनाज, कपास, मछली, मीट आदि का निर्यात होता है जबकि मॉरीशस भारत को मेडिकल उपकरण, एल्युमीनियम, स्क्रैप पेपर, रिफ़ाइंड कॉपर आदि का निर्यात करता है.
साल 2021 में दोनों देशों के बीच कंप्रहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड पार्टनरशिप एग्रीमेंट हुआ. मौजूदा समय में भारत के 11 सार्वजनिक उपक्रम (पब्लिक सेक्टर यूनिट) मॉरीशस में मौजूद हैं.
भारत मॉरीशस की कई परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है जैसे मेट्रो एक्सप्रेस प्रोजेक्ट, अस्पताल, हाउसिंग प्रोजेक्ट. साल 2017 में भारत ने मॉरीशस को 500 मिलियन डॉलर का कर्ज़ भी दिया था.
कोविड और प्राकृतिक आपदाओं में भारत फ़र्स्ट रेस्पांडर (सबसे पहले मदद पहुंचाने वाला) देश रहा है.
भारत ने वहां 1987 में इंदिरा गांधी सेंटर फॉर इंडियन कल्चर स्थापित किया जो कि विदेशों में भारत का सबसे बड़ा कल्चरल सेंटर है.
भारतीय पर्यटकों के लिए मॉरीशस एक प्रमुख विदेशी डेस्टिनेशन रहा है. कोविड के पहले वहां हर साल 80,000 भारतीय पर्यटक जाते थे और मॉरीशस से 30,000 पर्यटक भारत आते थे.
1970 के दशक से ही दोनों देशों के बीच क़रीबी रक्षा रिश्ते रहे हैं.
मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस से 1,100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित अगालेगा द्वीप पर भारत एक हवाई पट्टी और एक जेट्टी का निर्माण कर रहा है. जिसे कहा जा रहा है कि यह भारत का ख़ुफ़िया सैन्य अड्डा है.
मॉरीशस के साथ रणनीतिक साझेदारी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हिंद महासागर क्षेत्र में पारंपरिक और ग़ैर पारंपरिक चुनौतियों को देखते हुए भारत और मॉरीशस समुद्री सुरक्षा में “स्वाभाविक साझीदार” हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.