मुस्लिम देश ने लगाया बुर्का-हिजाब पर रोक

Ban On Burqa-Hijab : जहां एक ओर इस्लामिक देशों में महिलाओं के लिए बुर्का और हिजाब को अनिवार्य करने की होड़ लगी रहती है, वहीं मुस्लिम बहुल देश कजाकिस्तान ने एक अभूतपूर्व और साहसिक कदम उठाते हुए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है। यह फैसला न केवल धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और उदार सोच की ओर एक संकेत है, बल्कि राजनीतिक इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के विरुद्ध एक स्पष्ट नीति भी मानी जा रही है।

कजाकिस्तान का कानूनी निर्णय : धार्मिक प्रतीकों पर नियंत्रण

पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे कजाकिस्तान की संसद ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत सार्वजनिक स्थलों, सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कॉलेजों और सार्वजनिक आयोजनों में चेहरे को पूरी तरह ढंकने वाले धार्मिक परिधान जैसे कि बुर्का और निकाब पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड (जुर्माना) का प्रावधान रखा गया है।

सरकार का तर्क : कट्टरपंथ और धार्मिक चरमपंथ पर लगाम

कजाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह निर्णय महिलाओं की पहचान छिपाने वाली कट्टरपंथी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी था। सरकार का उद्देश्य है कि धर्म की आड़ में उग्र विचारधारा और सामाजिक अलगाव को बढ़ावा न मिले। देश के धर्म मामलों के मंत्री ने स्पष्ट कहा कि इस प्रतिबंध का मकसद धार्मिक स्वतंत्रता छीनना नहीं, बल्कि एक आधुनिक, समावेशी और सार्वजनिक रूप से संवाद योग्य समाज को बनाए रखना है।

कट्टरपंथ के खिलाफ नरमी नहीं

विशेषज्ञों का मानना है कि कजाकिस्तान का यह कदम कट्टरपंथ को सामाजिक मान्यता देने से रोकने की दिशा में निर्णायक नीति है। देश में पहले भी इस्लामी कट्टरता के संकेत मिलने लगे थे, खासकर युवाओं में। जिसे रोकने के लिए सरकार ने शिक्षा प्रणाली में धर्मनिरपेक्षता को मजबूती दी और अब सार्वजनिक जीवन में भी यही सख्ती दिख रही है।

दुनिया के लिए संकेत : हर मुस्लिम देश एक जैसा नहीं

कजाकिस्तान का यह फैसला यह दर्शाता है कि हर मुस्लिम बहुल देश इस्लामिक कट्टरता के दबाव में नहीं झुकता। जहां एक ओर ईरान, अफगानिस्तान और सऊदी अरब में महिलाओं को पर्दे में रहना मजबूरी है, वहीं कजाकिस्तान जैसे देश इस पर राज्य की उदार, आधुनिक सोच को प्राथमिकता दे रहे हैं। कजाकिस्तान द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का-हिजाब पर प्रतिबंध का फैसला एक साहसी और सोच-परक पहल है, जो यह दर्शाता है कि धर्म और आधुनिकता के बीच संतुलन कैसे साधा जा सकता है। यह नीति न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक एकता को मजबूती देगी, बल्कि महिलाओं को सशक्त और स्वतंत्र नागरिक के रूप में विकसित होने का अवसर भी प्रदान करेगी।

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