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Women Employment : सात साल में देश में नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या 2023-24 में दोगुनी होकर 40.3 प्रतिशत हो जाना एक बड़ी उपलब्धि है. जबकि 2017-18 में यह 22 प्रतिशत थी. इसी अवधि में महिलाओं की बेरोजगारी दर भी 5.6 प्रतिशत से घटकर 3.2 फीसदी रह गयी, जो उनके लिए रोजगार के अवसरों में सकारात्मक वृद्धि को दर्शाती है. यह बदलाव ग्रामीण भारत में और भी महत्वपूर्ण है, जहां महिला रोजगार में 96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि शहरी क्षेत्र में इसी अवधि में महिला रोजगार में 43 फीसदी की वृद्धि देखी गयी है.
उल्लेखनीय है कि 2047 तक विकसित भारत का विजन प्राप्त करने के प्रमुख लक्ष्यों में एक देश में 70 फीसदी महिला कार्यबल भागीदारी सुनिश्चित करना है. श्रम मंत्रालय के मुताबिक, देश में महिला कार्यबल भागीदारी दर में वृद्धि उल्लेखनीय है. महिला स्नातकों की रोजगार क्षमता 2013 के 42 फीसदी से बढ़कर 2024 में 47.53 प्रतिशत हो गयी है, जबकि स्नातकोत्तर और उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त महिलाओं में रोजगार दर 2017-18 के 34.5 फीसदी से बढ़कर 2023-24 में 40 प्रतिशत हो गयी है. यह अर्थव्यवस्था और देश के सामाजिक विकास के लिए सकारात्मक संकेत है.
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात साल में 1.56 करोड़ महिलाएं औपचारिक कार्यबल में शामिल हुई हैं. अगस्त तक ई-श्रम ने 16.69 करोड़ से अधिक महिला असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण दर्ज किया है, जिससे उन्हें सरकार की विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं तक पहुंच प्राप्त हुई है. कुल 15 मंत्रालयों की 70 केंद्रीय योजनाएं और 400 से अधिक राज्य स्तरीय योजनाएं महिला उद्यमिता को समर्थन देने पर केंद्रित हैं. पिछले एक दशक में जेंडर बजट में 429 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 2013-14 (संशोधित अनुमान) के 0.85 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2025-26 में 4.49 लाख करोड़ रुपये हो गये.
जाहिर है, इसके जरिये रोजगार, रोजगार योग्यता, उद्यमिता और कल्याण पर जोर दिया गया है. पीएम मुद्रा योजना महिला स्वरोजगार और वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, तो पीएम स्वनिधि ने, जिसके तहत लगभग 44 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं, रेहड़ी-पटरी वालों को सशक्त बनाया है. इन तमाम प्रयासों से देशभर में महिलाओं के बीच आर्थिक आत्मनिर्भरता की नयी लहर चल रही है.
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