भारतीय शतरंज में एक नया अध्याय जुड़ गया है। महज 19 साल की उम्र में दिव्या देशमुख ने 2025 महिला चेस वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया है। जॉर्जिया में हुए फाइनल मुकाबले में उन्होंने भारत की ही अनुभवी और दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हंपी को हराकर यह खिताब अपने नाम किया। इससे पहले यह खिताब आजतक किसी भारतीय महिला ने नहीं जीता था। इस पहले खिताब को जीतकर दिव्या ने इतिहास रच दिया। Women’s Chess World Cup 2025
पहली भारतीय महिला चेस वर्ल्ड कप विजेता
दिव्या देशमुख यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। यह जीत सिर्फ उनके करियर का ही नहीं बल्कि भारत के शतरंज इतिहास का भी एक मील का पत्थर है। इससे पहले किसी भी भारतीय महिला ने यह प्रतिष्ठित खिताब नहीं जीता था। पिछले साल दिव्या ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था और अब महिला वर्ल्ड कप जीतकर उन्होंने खुद को सीनियर स्तर पर भी साबित कर दिया है।
भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनीं
इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही दिव्या देशमुख अब भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन गई हैं। उनसे पहले यह सम्मान केवल कोनेरू हंपी, हरिका द्रोणावल्ली और तनिया सचदेव को मिला है। कोनेरू हंपी न केवल भारत की सबसे सफल महिला शतरंज खिलाड़ी हैं, बल्कि वो लंबे समय तक विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर रही हैं। ऐसे में दिव्या द्वारा उन्हें फाइनल में हराना उनकी परिपक्वता और मानसिक मजबूती को दर्शाता है।
दिव्या देशमुख की यह जीत इसलिए खास है:
दिव्या की उम्र सिर्फ 19 साल है, पर उपलब्धि विश्वस्तरीय है। वे पहली भारतीय महिला वर्ल्ड कप विजेता बनी हैं। उन्होंने एक ही साल में जूनियर और सीनियर दोनों खिताब जीतकर अपने नाम किया है। वे भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनी हैं। दिव्या देशमुख की यह ऐतिहासिक जीत सिर्फ खेल का एक पल नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती, और भारत की बेटियां अब विश्व शतरंज पर भी अपनी बादशाहत कायम करने लगी हैं।