महाकुंभ 2025: प्रयागराज संगम में स्नान के लिए गंगा के पानी की स्वच्छता को लेकर क्या है विवाद?
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प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के समापन से पहले संगम क्षेत्र में गंगा-यमुना के पानी की शुद्धता को लेकर दो रिपोर्ट सामने आई हैं. इसे लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
दरअसल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को 3 फ़रवरी को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें कहा था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मानक से कई गुना ज़्यादा फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया हैं.
इसके बाद 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने एनजीटी को एक नई रिपोर्ट दी. इसमें सीपीसीबी की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया.
इस पर एनजीटी ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए यूपीपीसीबी से नई रिपोर्ट मांगी है. मामले पर 28 फ़रवरी को अगली सुनवाई होगी. कुंभ 26 फ़रवरी को समाप्त हो जाएगा.
प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ स्नान चल रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार से जारी आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक क़रीब 58 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं.
सीपीसीबी की रिपोर्ट में क्या है?
सीपीसीबी ने कुंभ मेला के दौरान श्रृंगवेरपुर घाट, लॉर्ड कर्जन ब्रिज, नागवासुकी मंदिर, दीहा घाट, नैनी ब्रिज और संगम क्षेत्र से पानी के सैंपल लिए.
इसमें 13 जनवरी 2025 को गंगा के दीहा घाट और यमुना के पुराने नैनी ब्रिज के पास से लिए गए सैंपल में 100 मिलीलीटर पानी में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 33,000 एमपीएन मिला.
श्रृंगवेरपुर घाट के सैंपल में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 23,000 एमपीएन पाया गया. सीपीसीबी के मुताबिक़ नहाने के लिए 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 एमपीएन सुरक्षित स्तर है.
संगम जहां सबसे ज़्यादा लोग स्नान करते हैं. यहां सुबह और शाम का परीक्षण किया गया. यह पाया गया कि यहां फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 100 मिलीलीटर पानी में 13,000 एमपीएन है.
रिपोर्ट में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया ही नहीं अन्य मानकों पर भी स्नान क्षेत्र का पानी आचमन और स्नान करने योग्य नहीं पाया गया.
सीपीसीबी ने यह भी कहा है कि कुंभ में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं. इसके कारण लोगों के शरीर और कपड़ों से गंदगी निकलती है. इससे पानी में मल बैक्टीरिया का घनत्व बढ़ जाता है.
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क्या है कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया?
यह शरीर में रहता है तो नुक़सानदायक नहीं है लेकिन पानी में मिलने के बाद बैक्टीरिया ख़तरनाक हो जाता है.
टोटल कोलीफ़ॉर्म का एक प्रकार फ़ीकल कॉलीफ़ॉर्म है. इसका ही एक प्रकार ई. कोली बैक्टीरिया भी है.
टोटल कोलीफ़ॉर्म मिट्टी या अन्य कारणों से पनप सकता है, लेकिन फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म और ई. कोली मल से ही आता है.
ई. कोली का हर स्ट्रेन ख़तरनाक नहीं होता लेकिन ई.कोली 0157:H7 को नुक़सानदायक माना जाता है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ख़ारिज की रिपोर्ट
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कुंभ में गंगा-यमुना के पानी को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश सरकार ने सीपीसीबी की रिपोर्ट को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 फ़रवरी को विधानसभा में इस रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए कहा है कि त्रिवेणी संगम का पानी न केवल नहाने ही बल्कि पीने के लिए भी पूरी तरह से सही है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “त्रिवेणी के पानी की गुणवत्ता पर सवाल किए जा रहे हैं. संगम और उसके आसपास के इलाके़ के सभी नालों को टैप कर दिया गया है और वहां पानी शुद्धिकरण के बाद ही छोड़ा जा रहा है. यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता बरक़रार रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है.”
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज में अभी फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट से कम है, इसका मतलब केवल महाकुंभ की छवि ख़राब करने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि संगम के इलाके़ में मौजूद पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा 8-9 है, जबकि बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3 से कम है, इसका मतलब है कि संगम का पानी केवल नहाने ही नहीं आचमन के भी योग्य है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि ‘बीजेपी वाले इस पानी का इस्तेमाल खाने-पीने और नहाने में करें तब मानेंगे कि गंगा का पानी साफ़ है.’
वहीं इस पर राज्यपाल अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विधानसभा में बुधवार को सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि ‘सरकार ने गंगा को इवेंट मैनेजमेंट का केंद्र बना दिया है. गंगा का पानी आचमन के योग्य नहीं है. सरकार गंगाजल हाथ में ले और सच बोले. इस सरकार ने 2025 में नाकामी की गंगा बहाई है.’
कितना होना चाहिए फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म?
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सीपीसीबी ने छह मानकों पर संगम क्षेत्र के पानी को जांचा. प्रदूषण मानकों के मुताबिक़ फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट से कम होना चाहिए जो कि ज़्यादा पाया गया.
वहीं यूपीपीसीबी प्रयागराज के क्षेत्रीय अधिकारी सुरेश चंद्र शुक्ला ने 18 फ़रवरी को 549 पेज की रिपोर्ट एनजीटी को दी है.
इस रिपोर्ट में पानी के मानक को स्तरीय बताते हुए यूपीपीसीबी, जल निगम, जियो ट्यूब और मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एमएनआईटी) की जांच रिपोर्ट भी लगाई गई हैं.
इस रिपोर्ट में जिस जियो ट्यूब का ज़िक्र है वो संगम में पानी के अंदर पड़ी हुई हैं. यह पानी की गुणवत्ता की जानकारी देती रहती है.
नदियों के जल पर शोध करने वाले दीपेंद्र सिंह कपूर कहते हैं, “सीपीसीबी की रिपोर्ट बता रही है कि प्रदूषण है तो इसे नकारा नहीं जा सकता है.”
वह कहते हैं, “इसके दो पक्ष हैं. पहला पक्ष है कि इतने बड़े स्नान में कोई बीमारी किसी को नहीं हुई.”
“वहीं इसका दूसरा पक्ष है कि जो भी व्यक्ति वहां स्नान कर रहा है वह वहां रूक तो रहा नहीं है. वह घर जा रहा है. उसे बीमारी घर पर होगी.”
कुंभ से आने के बाद क्या बिगड़ रही है तबीयत?
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कुंभ से आने के बाद कई लोगों को बुखार, नाक बहना, छींकना, खांसी और ज़ुकाम सहित सांस से संबंधित बीमारियों के मामले सामने आए हैं.
7 फ़रवरी को अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने वाली ग्रेटर नोएडा की सिमरन शाह ने कहा, “कुंभ से आने के बाद परिवार के सभी लोगों की तबीयत ख़राब चल रही है. अभी तक तबीयत सही होने का नाम नहीं ले रही है.”
सिमरन शाह बताती हैं कि परिवार में सभी को गले में इंफे़क्शन हो गया है, सभी लोग दवा खा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले अंकित पांडेय बताते हैं कि 17 फ़रवरी को उन्होंने भी अपने परिवार के 19 सदस्यों के साथ कुंभ का स्नान किया था.
वो कहते हैं, “प्रयागराज से आने के बाद तकरीबन सभी को सर्दी, जुकाम और हल्के बुखार की समस्या का सामना करना पड़ा. चिकित्सकों से दवा भी लेनी पड़ी. इसके बाद लोगों को अब राहत है.”
नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक डॉ. पन्नालाल बताते हैं, “यह तो होना ही है. इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं तो इसे टाल पाना बहुत मुश्किल है, जितने लोग पहुंचे हैं कम से कम 20 फ़ीसदी लोगों पर इस बैक्टीरिया का असर दिखाई देगा. कहीं थोड़ा ज़्यादा और किसी को थोड़ा कम.”
डॉ. पन्नालाल कहते हैं कि फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म के कारण लोगों को ख़ूनी दस्त, उल्टी सहित पेट की अन्य बीमारियां होती हैं. इसके साथ हल्का बुखार, सर्दी, खांसी सहित अन्य संक्रमण से जूझना पड़ सकता है. इतनी भीड़ में इस तरह की समस्या होती ही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित