Kolkata gang Rape Case : पश्चिम बंगाल की राजनीति में उस समय हलचल तेज हो गई जब कोलकाता लॉ कॉलेज में एक छात्रा से दुष्कर्म के मामले ने तूल पकड़ लिया। लेकिन इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे को लेकर तृणमूल कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों ने पार्टी को असहज स्थिति में ला खड़ा किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले में सख्त हस्तक्षेप करते हुए मदन मित्रा को कारण बताओ नोटिस भेजवाया, वहीं कल्याण बनर्जी ने अपना सुर बदलते हुए पीड़िता के समर्थन में कड़ी सजा की मांग की।
कल्याण बनर्जी के बदले तेवर, अब फांसी और गोली की बात
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, जिन्होंने पहले टिप्पणी की थी कि “अगर कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से रेप कर दे तो कॉलेज क्या कर सकता है”, अब उसी केस पर पूरी तरह पलट गए हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि “जो इस तरह की क्रूर हरकत कर सकता है, उसे फांसी दे देनी चाहिए। अगर कानून नहीं कर सकता, तो उसे लैंप पोस्ट से बांधकर गोली मार देनी चाहिए।” इस बयान से यह स्पष्ट है कि पार्टी की सार्वजनिक आलोचना और आंतरिक दबाव के चलते कल्याण बनर्जी को अपने पहले रुख से पीछे हटना पड़ा। इससे पहले उनकी टिप्पणी को महिला विरोधी करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया हुई थी और पार्टी को आधिकारिक बयान जारी कर सफाई देनी पड़ी थी।
मदन मित्रा को पार्टी का नोटिस, 3 दिन में जवाब तलब
पूर्व मंत्री और विधायक मदन मित्रा ने अपने बयान में कहा था कि “छात्रा को अकेले कॉलेज नहीं जाना चाहिए था”, जिससे व्यापक विरोध हुआ। उनके इस बयान को विक्टिम ब्लेमिंग माना गया, और टीएमसी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इसे उनका “व्यक्तिगत विचार” बताया। अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्शी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा है जिसमें कहा गया है कि “आपकी अनावश्यक और असंवेदनशील टिप्पणियों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। यह अनुशासन का उल्लंघन है। तीन दिनों में स्पष्टीकरण दें।”
टीएमसी की छवि बचाने की कोशिश
इस घटना को लेकर ममता बनर्जी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा न जाए। पीड़िता की शिकायत के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो सभी टीएमसी की छात्र इकाई टीएमसीपी से जुड़े बताए जा रहे हैं। पार्टी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि अपराधी चाहे कोई भी हो, सख्त सजा दी जाएगी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मामला ममता बनर्जी के लिए छवि प्रबंधन और नैतिक जवाबदेही दोनों का परीक्षण बन गया है, खासकर तब जब राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। कोलकाता लॉ कॉलेज में हुई इस जघन्य घटना ने न केवल राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सत्ता पक्ष के नेताओं की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी भी कठघरे में है। ऐसे समय में जब जनता निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रही है, टीएमसी नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी के भीतर अनुशासन और नैतिकता की रीढ़ बनी रहे।
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